प्रयागराज (ब्‍यूरो)। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने कोतवाली व चौक एरिया में पेपर बैग का व्यापार करने वाले तमाम व्यापारियों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि एक पेपर बैग की कीमत पांच से दस रुपये तक आती है। इसे आराम से चार से पांच बार यूज किया जा सकता है। कॉटन बैग की कीमत बीस रुपये तक है। इस बैग को 173 बार से अधिक यूज कर सकते है। वहीं पॉलिथिन बैग एक रुपये में मिलता है। लेकिन मजबूती के हिसाब से सिर्फ दो से तीन बार इस्तेमाल करने लायक होता है। जानकारों की माने तो शहर में कुल पांच प्रतिशत ही पेपर बैग व कॉटन बैग का यूज होता है। पेपर बैग के तुलना पॉलिथिन दस और कॉटन बैग के तुलना बीस गुना सस्ती है। इसलिए इसका यूज ज्यादा है और इसे रोकने की जरूरत है।

क्या होता है सिंगल यूज प्लास्टिक ?

पॉलिथिन (सिंगल यूज प्लास्टिक) की बनी ऐसी चीजें, जिनका हम सिर्फ एक ही बार यूज कर सकते हैं या फिर यूज कर फेंक देते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, वह सिंगल यूज प्लास्टिक कहलाता है। इसका यूज चिप्स, पैकेट की पैकेजिंग, बोतल, स्ट्रा, थर्मोकॉल प्लेट और गिलास व अन्य आइटम बनाने में किया जाता है।

अच्छा विकल्प हो सकता है कॉटन बैग

पॉलिथिन व पेपर बैग का व्यापार करने वाले विनोद केशरवानी का कहना है कि कॉटन बैग विकल्प हो सकता है, लेकिन वह बहुत महंगा होगा। एक किलो प्लास्टिक बैग 60 से 70 रुपये में मिल जाता है। इसमें करीब 60 प्लास्टिक कैरी बैग आते हैं। इस हिसाब से एक कैरी बैग अधिकतम एक रुपए का पड़ता है। लेकिन उसी साइज या उसी कैपिसिटी का कॉटन बैग लेने है, तो उसकी कीमत बीस रुपए होती है। इसलिए ये आर्थिक दृष्टि से उतना बेहतर नहीं होगा। अगर प्लास्टिक बैग की जगह पेपर बैग का विकल्प लेते है, तो इससे पर्यावरण को ज्यादा नुकसान होगा। क्योंकि पेड़ काटकर कागज बनाया जाता है। अगर प्लास्टिक कैरी बैग की जगह पेपर बैग की खपत बढ़ती है, तो इससे डिफॉरेस्टेशन (पेड कटना) बढऩे का खतरा है।