विनय कुमार सिंह
प्रयागराज (ब्यूरो)। भूगर्भ जल विभाग के अधिशासी अभियंता रवि कांत सिंह ने बताया कि पिछले एक-दो दशकों से चलाए जा रहे जल संरक्षण अभियान का कुछ असर दिखने लगा है .एक दशक पहले जो ब्लाक डार्क जोन में थे, अब वहां पर कुछ सुधार है लेकिन सुरक्षित नहीं हुए है। इसी बीच शहरी क्षेत्र डार्क जोन में चला गया है। यहां पर पानी का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। जिले के 23 ब्लाकों में आठ ब्लाक और शहरी क्षेत्र में जल संकट है। यहां का भूजल स्तर नीचे खिसक रहा है। अगर, अभी से रोकथाम शुरू नहीं हुई तो आने वाले समय में पानी की समस्या का बढऩा तय है। ऐसे में पानी के संकट के साथ शुद्ध पानी पाना बड़ा मुश्किल होता जा रहा है। इसका फायदा पानी का कारोबार करने वाले बखूबी जानते हैं।
2013
की रिपोर्ट में होलागढ,़ मऊआइमा, चाका, बहादुरपुर धनूपुर डार्क जोन में था
2017
की रिपोर्ट में सिर्फ चाका ब्लाक ही रहा। जबकि होलागढ़, मऊआइमा, बहादुरपुर और धनूपुर में कुछ सुधार हो गया।
2020
की रिपोर्ट में केवल प्रयागराज शहर ही डार्क जोन में रह गया। जबकि बहरिया और चाका क्रिटिकल जोन में तो जबकि धनूपुर, होलागढ़, मऊआइमा, प्रतापपुर और सैदाबाद सेमी क्रिटिकल जोन कटेगरी में
फेल हो रहे हैंडपंप, नई बोरिंग भी नहीं
भू-जल का जिस तरह से दोहन हो रहा है, उसके अनुरूप पानी रिचार्ज भी नहीं हो रहा। इसका नतीजा है कि भूजल स्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है। सबसे खराब स्थिति ग्रामीण इलाकों की है। बहादुरपुर, बहरिया जैसे ब्लॉकों में हैंडपंप फेल हो रहे हैं। नई बोरिंग भी नहीं हो रही।
इस पर सरकार दें ध्यान
विशेषज्ञों के मुताबिक गांवों में भी तालाब, कुएं जैसे पानी एकत्रित करके उसका संरक्षण करने वाले स्थान हो रहे हैं खत्म
- इससे भूजल रिचार्ज भी नहीं हो रहा, जबकि हाल के वर्षों में दोहन बढ़ गया है कई गुना
- शहरों में भी भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। पिछले चौदह वर्ष में जलस्तर करीब 12-13 मीटर पहुंच चुका है नीचे
- विशेषज्ञों के मुताबिक अगर भूजल रिचार्ज के उपाय जल्द शुरू नहीं हुए तब आसपास के इलाकों के लिए बहुत दूर नही संकट
हाई लाइट
- जिले के अंदर रोजाना 402 एमएलडी पानी की होती है सप्लाई
- जिले में 342 बड़े और 322 छोटे टयूबवेल है
- जनपद में एक गहराई है तकरीबन ढाई सौ से तीन सौ फीट
- 100 के नीचे रहता है टीडीएस
हर दिन बताया जाएगा पानी को स्वच्छ करने के आसान तरीके
जिस पानी को आप शुद्ध करना चाहते हैं उसे एक बरतन में डालकर तेज आंच पर उबाल दें। पानी को उबालने से उसमें मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं। जिसके बाद वह पानी पीने लायक हो जाता है। कभी ऐसे हालात पड़े की आपके पास साफ पीने नहीं हो तो यह बात हमेशा याद रखें।
सबसे ज्यादा पानी की डिमांड पुराने शहरों में है। अगर टीडीएस सौ तक है तो वह ठीक है। इस मात्रा का पानी हर जगह सप्लाई हो रही है। वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में पानी नदी या नहर के जरिए आता है तो सबसे पहले पानी में मौजूद अशुद्धियों की जांच होती है। इसके बाद तय किया जाता है कि उस पानी को किस विधि से साफ किया जाना चाहिए।
सौरभ श्रीवास्ताव, अधिशासी अभियंता जलकल विभाग
प्रयागराज कॉलिंग
आप भी अपने एरिया में आ रहे सप्लाई वाले पानी का टीडीएस चेक कर हमें भेज सकते हैं। इसके साथ ही आप पानी बचाने और शुद्ध पानी पीने के लिए क्या उपाय करते हैं। व्हाट्सएस नंबर और ट्विटर पर ट्वीट कर जवाब दे सकते हैं।
8948001555
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