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पुलिस के कुल जवान हैं कोरोना पाजिटिव

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क्षेत्राधिकारी भी हुए कोरोना से पीडि़त

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इंस्पेक्टर भी हो चुके हैं कोरोना से ग्रसित

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सब इंस्पेक्टर भी हुए पीडि़त

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कांस्टेबल की भी रिपोर्ट आई पाजिटिव

- हर वक्त पब्लिक के बीच रहने वाले वाले जवानों के रेकार्ड पर उठ रहे सवाल

-पब्लिक के हलक से नीचे नहीं उतर रहे विभागीय कोरोना पाजिटिव के आंकड़े

PRAYAGRAJ:

एक तरफ पंचायत चुनाव दूसरी तरफ पब्लिक को कोरोना गाइडलाइन नियमों के पालन कराने की जिम्मेदारी पुलिसकर्मियों पर है। प्रतिदिन हजारों व सैकड़ों लोगों की कोरोना जांच रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है।

इनमें पुलिस के पाजिटिव मिले जवानों की संख्या केवल 25 है। यह दावा खुद पुलिस विभाग का कोरोना सेल करता है। हालांकि यह रेकार्ड पब्लिक के हलक से नीचे नहीं उतर रहा। बड़ी संख्या में पाजिटिव मिल रहे लोगों के बीच काम करने वाली पुलिस के इस रेकार्ड से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

सारा काम है पब्लिक के बीच

कोरोना की यह दूसरी लहर पहली बार की अपेक्षा काफी तेजी से बढ़ रही है। हर रोज हजारों व सैकड़ों की संख्या में लोग पाजिटिव मिल रहे हैं। इनके बीच पुलिस के जवान हर पल शांति व सुरक्षा की कमान संभालने में जुटे हैं। भीड़भाड़ वाले इलाके हों या फिर मास्क और वाहन की चेकिंग। बगैर पब्लिक या उनके द्वारा दिए गए कागजात आदि छुए चेक कर पाना या रोकना इनके लिए संभव नहीं है। अभियुक्त को पकड़ने के लिए पुलिस को हाथ लगाना ही पड़ेगा। मास्क चेकिंग में जुर्माने की रसीद काटते वक्त आरोपित द्वारा दिए गए रुपयों को हाथ से पकड़ना भी मजबूरी है। इतना ही नहीं भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर सोशल डिस्टेंस का पालन कराने के लिए जवानों को पास जाना ही पड़ेगा। मार्केट में गश्त के लिए पब्लिक के बीच से गुजरना भी इनकी ड्यूटी में है। इन सब के बीच चौराहों पर सुबह शाम पिकेट ड्यूटी की जिम्मेदारी ऊपर से। ऐसे में पब्लिक के बीच बड़ा सवाल ये हैं कि इसके बावजूद पुलिस के पाजिटिव की संख्या केवल 25 कैसे हो सकती है। पब्लिक चाहे जो सोचे पर पुलिस लाइंस के कोरोना सेल में जवानों के पाजिटिव होने के यही रेकार्ड मौजूद हैं। जिसे पुलिस मीडिया सेल के जरिए बताया गया।

उठ रहे सवाल

आंकड़ों में कुछ तो झोल जरूर है

माना यह जा रहा है कि इन आंकड़ों में कुछ न कुछ तकनीकी झोल जरूर है।

क्योंकि पंचायत चुनाव को कराने की जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर है।

चुनावी कार्यो में व्यस्त पुलिस खुद की जांच नहीं करा पा रही है।

जिसकी वजह से सही विभागीय लोगों के पाजिटिव की संख्या न के बराबर है।

यदि रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है और उसे छिपाया जा रहा तो यह और भी बड़ा खतरा है।

क्योंकि चुनाव में यदि पाजिटिव रिपोर्ट को छिपा कर जवान ड्यूटी किए तो कई अन पाजिटिव पुलिस कर्मी कोरोना से ग्रसित हो सकते हैं।

यदि ऐसा हुआ तो इसमें दो राय नहीं कि हालात बद से बदतर हो जाएंगे।

हालांकि फ्रंट लाइन में शामिल पुलिस के जवानों को कोरोना से बचाव के टीके लगे हैं

शायद यही वजह है कि पुलिस विभाग में कोरोना से पाजिटिव लोगों की संख्या कम है

यदि ऐसा है तो टीके उन 25 जवानों को भी लगे हों जिन्हें पाजिटिव बताया जा रहा

मान लिया जाय कि इन्हें कोरोना से बचाव के टीके नहीं लगे तो यह भी एक बड़ा सवाल ही है।