सन्नाटे में आ गये अरैल एरिया के लोग, किसी भी थाने को नहीं थी मुठभेड़ की सूचना

रात के करीब दो बज रहे थे। अरैल इलाके में इस वक्त पूरी तरह से सन्नाटा होता है। इस रास्ते पर लाइट भी कम ही होती है। माघ मेला के चलते मिट्टी काटकर रास्ता जरूर बना दिया गया है जिससे कछार एरिया में मूवमेंट आसान हो गया है। इस वक्त बदमाश टारगेट एचीव करने के लिए निकले हुए हैं? इसकी जानकारी जिले के किसी भी थाने की पुलिस को नहीं थी। आसपास के लोग भी चैन की नींद सो रहे थे। अचानक गोलियां चलनी शुरू हो गयी तो लोगों की नींद टूट गयी। हालांकि, तब भी न तो माघ मेला पुलिस को भनक लगी और न ही नैनी थाने की पुलिस को। क्रास फायरिंग में बदमाशों को गोली खाकर गिरते हुए एसटीएफ के जवानों ने देख लिया था। इसके बाद उन्होंने चारों तरफ घेराबंदी कर ली और वेट करने लगे। कुछ देर तक मूवमेंट नहीं हुआ तो टीम दोनों के पास पहुंची। तब तक दोनों मरणासन्न अवस्था में थे। इसके बाद टीम ने कंट्रोल रूम को सूचना दी तो नैनी थाने की पुलिस भोर में तीन बजे के करीब स्पॉट पर पहुंची। इसके बाद दोनों को एसआरएन भेजा गया जहां डॉक्टर्स ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।

सफेदपोश माफिया देते थे पनाह

मुठभेड़ में दो बदमाशों के मारे जाने की के बाद कुछ रसूखदार सफेदपोशों का नाम भी सामने आया है। ये लोग माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण देते थे। इसमें सबसे पहला नाम मुन्ना बजरंगी का आया। मुन्ना खुद जौनपुर जिले का रहने वाला था और मारे गये दोनों भदोही जिले के। दोनों जिलों की सरहद लगी हुई है। मुन्ना का नाम मुख्तार अंसारी के साथ भी जोड़ा गया था। गाजीपुर में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में मुन्ना बजरंगी का नाम सबसे ऊपर सामने आया था। तब कहा गया था कि मुन्ना ने श्री राय की हत्या मुख्तार के कहने पर करवायी है। इसके चलते दोनों का नाम मुख्तार से भी जोड़ा जा रहा है। वैसे झारखंड से आने वाले कोयले को लेकर मुख्तार और बृजेश सिंह की अदावत जग-जाहिर थी। मुख्तार अपना अम्पायर लगातार मजबूत बनाने पर काम करते रहे ताकि कोयले से होने वाली आमदनी पर उनका हक काबिज रहे।

मुख्तार गर्दिश में तो दिलीप का साथ

मुन्ना बजरंगी और मुख्तार की शरण में पलने वाले नीरज, वकील और डॉक्टर जैसे बदमाशों की शामत आयी तो उन्होंने ऐसे शख्स की तलाश शुरू कर दी जो उन्हें संरक्षण दे सके। मुन्ना की बागपत जेल में हत्या के बाद सरकार ने माफियाओं के खिलाफ अभियान शुरू किया तो मुख्तार पहले गिरफ्तार हुए और बाद में पंजाब जेल शिफ्ट कर दिये गये। उनके बेटों पर भी पुलिस ने शिकंजा कस दिया तो गुर्गो ने जरायम जगत के दूसरे लोगों को पकड़ना शुरू कर दिया। एसटीएफ के अनुसार इसी दौरान नीरज के जरिए वकील प्रयागराज में दिलीप के सम्पर्क में आया।

भदोही के विधायक ने जताया था जान का खतरा

वकील और डॉक्टर से भदोही के बाहुबली विधायक विजय मिश्र को भी जान का खतरा था। इन दोनों शातिर अपराधियों से अपनी जान का खतरा बताते हुए श्री मिश्र ने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी भी लिखी थी। इसमें उन्होंने हत्या करा दिये जाने की आशंका जतायी थी। आशंका जतायी जा रही है कि यह प्रकरण भी एसटीएफ के संज्ञान में था। बता दें कि विजय मिश्रा खुद कार्रवाई झेल रहे हैं। इन दिनों वह जेल में बंद हैं। उनका अल्लापुर में स्थित आवास पीडीए नक्शा पास न होने पर ढहा जा चुका है। उनकी पत्‍‌नी और बेटे के खिलाफ भी अपहरण का केस दर्ज हो चुका है।

नाम बदलकर पुलिस को करते थे गुमराह

राजीव पांडेय और अमजद दोनों यूपी के भदोही जिले के रहने वाले थे। दोनों की हिस्ट्रीशीटर भदोही के अलग अलग थानों में खुली हुई है। पुलिस के अनुसार वकील पांडेय उर्फ राजीव पांडेय उर्फ राजेश ने साल 2009 में जुर्म की दुनिया में कदम रखा था। अमजद का जरायम जगत से नाता साल 2011 में जुड़ा था। वकील उर्फ राजीव पांडेय के खिलाफ बीस मुक़दमे दर्ज है। अमजद के खिलाफ कुल 24 मुक़दमे दर्ज किये जा चुके हैं। दोनों के खिलाफ यूपी के कई शहरों के अलावा झारखंड प्रांत के रांची में आपराधिक मुकदमा दर्ज था। वकील और अमजद दोनों ही पुलिस व अपने दुश्मनों को गुमराह करने के लिए कई नामों का इस्तेमाल करते थे। वकील खुद को कभी राजीव पांडेय बताता था तो कभी राजेश पांडेय। अमजद खुद का नाम कभी डाक्टर बताता था तो कभी अंगद और कभी पिंटू।

स्थानीय सपा नेता था निशाने पर

एसटीएफ के अफसरों का दावा है कि दोनों बदमाश इन दिनों प्रयागराज के माफिया दिलीप मिश्र के शूटर के तौर पर काम करने लगे थे। दिलीप समाजवादी पार्टी का नेता है और ब्लाक प्रमुख रह चुका है। दिलीप मिश्र से मिली सुपारी लेकर ही दोनों हत्या की एक बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए शहर आए हुए थे। दोनों के निशाने पर सपा के एक स्थानीय नेता थे। दिलीप मिश्र से उनकी पुरानी अदावत है। दोनों सपा नेता की गतिविधियों और उनके ठिकानों की रेकी करने के लिए ही प्रयागराज आए थे।