प्रयागराज (ब्यूरो)। प्रयागराज में दोनों साल का कुल मिलाकर 1.30 करोड़ से अधिक पौधरोपण होना है। 4, 5, 7 जुलाई और 15 अगस्त को मिलाकर सभी 70.96 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए तमाम विभागों का कोटा तय किया गया है। उनको पौधों का वितरण भी किया जा रहा है। गड्ढे खोदवाने का काम भी लगभग पूर्ण हो चुका है। प्रशासन का ध्यान शहर की ग्रीनरी बढ़ाने की तरफ है। यही कारण है कि सभी विभागों को लापरवाही नही बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
किस विभाग को मिला कितना लक्ष्य
विभाग पौधेरोपण का लक्ष्य
वन विभाग 2042082
पर्यावरण विभाग 266898
ग्राम विकास विभाग 2923200
राजस्व विभाग 233360
पंचायतीराज विभाग 332360
आवास विकास विभाग 6्र020
औद्योगिक विकास 4900
नगर विकास विभाग 137060
लोक निर्माण विभाग 10640
सिचाई विभाग 10640
कृषि विभाग 561980
पशुपालन विभाग 8260
सहकारिता विभाग 13300
उद्योग विभाग 7420
ऊर्जा विभाग 6580
माध्यमिक शिक्षा 6700
बेसिक शिक्षा 7140
प्राविधिक शिक्षा 7140
उच्च शिक्षा 27580
श्रम विभाग 1960
स्वास्थ्य विभाग 12600
परिवहन विभाग 1960
रेलवे विभाग 26180
रक्षा विभाग 5880
उद्यान विभाग 368408
गृह विभाग 7280
कुल लक्ष्य 7096088
पिछले वित्तीय वर्ष का कुल लक्ष्य- 5987514
4 जुलाई को होने वाला कुल पौधरोपण- 5068608
5 जुलाई को होने वाला कुल पौधरोपण- 506867
7 जुलाई को होने वाला कुल पौधरोपण- 506867
15 अगस्त को होने वाला कुल पौधरोपण- 1013746
डेढ़ से दो मीटर का गैप जरूरी
नियमानुसार दो पौधों के बीच में डेढ़ से दो मीटर का गैप रखना जरूरी होता है। इससे उनको पनपने का उचित मौका मिलता है। साथ ही उनको धूप भी पर्याप्त मिल जाती है। इस मानक का पालन करें तो 2021 में 13 वर्गकिमी एरिया में पौधे लगाए गए हैं और इस साल 15 वर्गकिमी एरिया में पौधरोपण किया जाएगा। जबकि प्रयागराज की कुल ग्रीनरी 156 वर्गकिमी में फैली हुई है जो कि 2.82 फीसदी है। एफएसआई यानी फारेस्ट सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में यही कहा गया है। अगर ईमानदारी से पौधरोपण हो तो प्रयागराज की ग्रीनरी पिछले दस साल में दोगुनी हो जानी चाहिए थी। लेकिन हालात अभी भी जस के तस बने हुए हैं।
क्या कहती है एफएसआई की रिपोर्ट
एफएसआई की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि जिले का वन क्षेत्र का दायरा कम हो रहा है। कुल भौगोलिक एरिया का महज 2.82 फीसदी ही हरियाली है। देखा जाए तो जिले में इस समय 5482 वर्ग किमी भौगोलिक एरिया है और 6.16 वर्गकिमी एरिया ही घने जंगलों में आता है। 26.19 वर्ग किमी का एरिया हल्का वन क्षेत्र और 123.92 वर्गकिमी का एरिया खुला वन क्षेत्र है, मतलब यहां आवासीय एरिया भी मौजूद हैं। इस तरह स कुल मिलाकर 2.82 फीसदी एरिया ही हरा है। बाकी जगह पर कंक्रीट और सीमेंट ढांचा खड़ा हो चुका है।
रोड चौड़ीकरण की भेंट चढ़ रहे पेड़
स्मार्ट सिटी बनने की दिशा में प्रयागराज में सबसे ज्यादा नुकसान हरियाली को हुआ है। हर साल हजारों पेड़ रोड चौड़ीकरण के नाम पर काटे जा रहे हैं। हाल ही में विभिन्न राजमार्गोु के चौड़ीकरण के नाम पर 3600 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई है। शहर की तमाम सड़कों और राजमार्गों के विकास में बाधक बने पेड़ों को आए दिन धराशायी किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि हर साल जितने पेड़ काटे जाते हैं उनका कई गुना पौधरोपण कराया जाता है।
नंबर वन है सोनभद्र
प्रदेश में सबसे अधिक वन क्षेत्र सोनभद्र जिले में है। यहां कुल 35.39 फीसदी वन क्षेत्र मौजूद है। दूसरे नंबर पर चंदौली जिला है जहां पर वन क्षेत्र 21.78 फीसदी है। सबसे कम वन क्षेत्र भदोही जिले में है जहां महज 0.37 फीसदी ही हरियाली बची है। इसके अलावा वाराणसी में भी हरियाली काफी कम है। जो जिले घने और संकरे हैं वहां पर हरियाली काफी कम है। यहां पेड़ से अधिक झाडिय़ां मौजूद हैं।
कागजों में कुछ, असलियत में कुछ और सच
बताया जाता है कि हर साल लगने वाले कुल पौधों की तीस प्रतिशत खराब हो जाते हैं। लेकिन असलियत कुछ और है। खराब होने वाले पौधों की संख्या दोगुने से अधिक होती है। विभागों के अधिकारियों ने बताया कि पौधे तो लग जाते हैं लेकिन इनकी देखभाल नहीं हो पाती है। विभागों के पास माली भी मौजूद नही है। ऐसे में जो पौधे लगते हैं वह देखभाल के अभाव में खराब हो जाते हैं। यह भी अजब व्यवस्था है कि पौधे गए रोपों की ग्राउंड रिपोर्ट तीन साल बाद मिलती है। तीन साल बाद यह बताया जाता है कि इन पौधों की क्या स्थिति है और यह पर्यावरण के लिए कितने सहायक साबित हुए हैं। ऐसे में अधिकारियों के पास भी पुख्ता रिपोर्ट नही होती कि रोपे गए लाखों पौधों का क्या हुआ है।
99 फीसदी गड्ढे खोदे जा चुके हैं। शनिवार को बारह लाख पौधों का वितरण किया गया है। विभागों ने कहा है कि पौधों की पूरी देखभाल की जाएगी। किसानों की मांग पर आंवला, बांस, जामुन, शीशम आदि के पौधे बांटे जा रहे हैं।
रमेश चंद्र, डीएफओ प्रयागराज