प्रयागराज (ब्यूरो)। जिले को लगातार हो रहे विकास की बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। यहां हरियाली यानी ग्रीनरी का लेवल काफी निचले स्तर पर पहुंच गया है। ग्रीनरी के मामले में हमारा स्थान प्रदेश में अंडर 20 में भी नही है। यही कारण है कि सरकार ने इस साल पौधरोपण का लक्ष्य बढ़ाकर 75 लाख कर दिया है। यह पौधे दो फेज में रोपे जाएंगे। पहला फेज शनिवार को था और अब स्वतंत्रता दिवस पर बाकी पौधरोपण होगा। कुल मिलाकर प्रयास विकास के नाम पर काटे गए पेड़ों से हुई हरियाली की कमी की भरपाई करना है।
जिले छोटे लेकिन ग्रीनरी बड़ी
प्रदेश के 75 जिलों में ग्रीनरी के मामले में प्रयागराज 29वें पायदान पर खड़ा है। फारेस्ट विभाग की रिपोर्ट बताती है कि कई छोटे जिलों में हरियाली का प्रतिशत प्रयागराज से अधिक है। जिले का कुल जियोग्राफिकल एरिया 5482 वर्ग किमी है और इसमें से महज 156.27 वर्ग किमी में ही पेड़-पौधे हैं। जो कि 2.85 फीसदी हैं। जबकि प्रदेश के अमरोहा, सोनभद्र, अयोध्या, बलरामपुर, आगरा, बिजनौर, बुलंदशहर, चंदौली, चित्रकूट, कुशीनगर, ललितपुर, लखनऊ, महोबा आदि में ग्रीनरी का प्रतिशत प्रयागराज से कहीं ज्यादा है। माना जाता है कि हाइवे और सड़क चौड़ीकरण के चलते अंधाधुंध हो रही पेड़ों की कटाई से यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
एक नजर में प्रयागराज का वन क्षेत्र
कुल जियोग्राफिकल एरिया- 5482 वर्ग किमी
अति घने जंगल का एरिया- 6.16 वर्ग किमी
मध्यम घने जंगल का एरिया- 26.19 वर्ग किमी
ओपेन फारेस्ट एरिया- 123.92 वर्ग किमी
कुल फारेस्ट एरिया- 156.27 वर्ग किमी
कुल फारेस्ट एरिया- 2.85 फीसदी
प्रदेश के टॉप टेन ग्रीनरी वाले शहर
आगरा 6.5
बहराइच 10.62
बिजनौर 8.75
चंदौली 21.78
चित्रकूट 19.64
इटावा 10.88
ललितपुर 11.54
लखनऊ 15.32
मिर्जापुर 16.94
श्रावस्ती 17.40
सोनभद्र 35.29
दिखने लगा है असर
फारेस्ट एरिया कम होने का असर दिखने भी लगा है। एक्सपर्ट मानते हैं कि साल दर साल जिले में बारिश का स्तर कम हो रहा है। बारिश हो रही है तो वह आउट आफ सीजन होती है। हरियाली नही होने से बारिश जैसा वातावरण डेवलप नही हो पाता है। इसके अलावा जिले में ठंड का असर भी हर साल कम होता जा रहा है। जबकि गर्मी अधिक पड़ रही है। हर साल मई-जून महीने में तापमान का स्तर बढ़ता जा रहा है।
लगातार हो रही भरपाई की कोशिश
इस साल पौधरोपण अभियान की शुरुआत शनिवार से हुई है। पहले दिन 64 लाख पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद 11 लाख पौधे 15 अगस्त के दिन रोपे जाएंगे। इसमें 24 लाख पौधों से अधिक है। जबकि 2्र022 में 72 लाख और 2021 में 61 लाख पौधे जिले में रोपे गए थे। अधिकारियों का कहना है कि जितने पेड़ काटे जाते हैं उनके अपोजिट कई गुना पौधे हर साल रोपे जाते हैं। जितना भी टारगेट रखा जाता है उसका एक तिहाई अकेले वन विभाग को पौधरोपण करना होता है।
पचास फीसदी पौधे ही करते हैं सर्वाइव
हर साल भले ही लाखों की संख्या में पौधे लगाए जाते हैं लेकिन सर्वाइवल महज पचास फीसदी होता है। बाकी पौधे देखभाल की कमी से खराब हो जाते हैं या सूख जाते हैं। वन विभाग का दावा है कि उसके लगाए 90 फीसदी पौधे सर्वाइव करते हैं जबकि आंकड़े बताते हैं कि अन्य विभागों द्वारा लगाए गए पौधों में केवल 50 फीसदी ही जीवित बचते हैं। बाकी किसी न किसी लापरवाही का शिकार हो जाते हैं।
बच्चों को पौधरोपण के लिए कर रहे प्रेरित
इस साल पौधरोपण अभियान में बच्चों को भी प्रेरित किया जा रहा है। शासन के आदेश पर स्कूल-कॉलेजों में विद्यार्थियों को फलदार पौधे लगाने को दिए जा रहे हैं। जिसे बाल पौधरोपण भंडारा नाम दिया गया है। करछना के तीन कॉलेज और एक स्कूल में बच्चों को दस हजार फलदार पौधे दिए गए हैं। इसके अलावा यमुनापार क्षेत्रों में सबसे ज्यादा 40 हजार से अधिक सहजन के पौधों का वितरण किया गया है। इसके अलावा नीम, सागौन, शीशम, अमरूद, आम आदि के पौधों का भी वितरण किया गया है।
ऐसे करें पौधों की देखभाल
- अपने पौधों पर भरपूर रोशनी पडऩे दीजिए।
- पौधों को नियमित तौर पर पानी दें।
- कुछ सप्ताह में अपने पौधों को फर्टिलाइज करें।
- पौधों पर जमा धूल को साफ करते रहें।
- पौधे को एयर वेंट्स से दूर रखें।
- गार्डन के खरपतवार की नियमित सफाई करें।
- कुछ महीने में अपने गार्डन में मल्च एड करें।
- किसी भी डेड या बीमार पौधे को काटकर अलग कर दें।
- पौधों के बीच की दूरी को मेंटेन रखें।
- पौधे को अधिक गहराई पर न लगाएं।
इस साल का पौधरोपण का लक्ष्य 75 लाख से अधिक रखा गया है। यह दो फेज में लगाए जाएंगे। शनिवार को 84 और 15 अगस्त को 14 फीसदी पौधे रोपित किए जाएंगे। सभी विभागों को पोधे लगाने के साथ उनकी देखभाल करने के निर्देश दिए गए हैं। पौधरोपण समिति इन पौधों की मानीटरिंग भी करेगी।
महावीर कौजलगी, डीएफओ प्रयागराज