प्रयागराज ब्यूरो । हत्या के तीन आरोपितों को एडीजे-1 की अदालत द्वारा मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। आरोपितों पर शंकरगढ़ के मिश्र का पुरवा निवासी हीरालाल की हत्या का आरोप था। घटना वर्ष 2003 के सातवें महीने में 27 तारीख को हुई थी। मृतक की पत्नी रामकली की तहरीर पर पुलिस द्वारा केस दर्ज किया गया था। अदालत प्रस्तुत साक्ष्यों व गवाहों के आधार पर अभियुक्तों के खिलाफ आरोप साबित हुए। जिसके आधार पर न्यायाधीश डॉ। लक्ष्मी कांत राठौर ने फैसला सुनाया। अर्थदण्ड को जमा नहीं करने पर तीनों को अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।
एडीजीसी ने कोर्ट की बहस
वादी मुकदमा रामकली की तरफ से सरकारी अधिवक्ताओं के द्वारा बहस की गई। एडीजीसी अखिलेश सिंह बिसेन ने कोर्ट को बताया वह साइकिल मरम्मत की दुकान चलाकर परिवार का भरण पोषण करने वाला मृतक हीरालाल रात में अपने दरवाजे पर सो रहा था। दर्ज मुकदमें में वादिनी ने कहा है कि बगल में उसका बेटा भी सोया हुआ था। जबकि वह थोड़ी दूरी पर सो रही थी। इस बीच आरोपित मंजू कोल उसका साथी काशी प्रसाद व मैकू लाल पहुंच गया। यह कहते हुए कि सामान नहीं देता और पति हीरालाल पर तमंचे से फायर कर दिया। जिससे हीरा लाल की मौत हो गई। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपित जाने लगे तो लालटेन की रोशनी में वह मंजू कोल को पहचान ली थी। पुलिस द्वारा उसकी गिरफ्तारी की गई। पूछताछ के बाद उसके अन्य आरोपित साथी गिरफ्तार किए गए। वारदात में प्रयुक्त जमीन में गाड़े गए तमंचे को भी पुलिस ने बरामद किया था। अधिवक्ता के द्वारा आरोपितों को सख्त से सख्त सजा दिए जाने की याचना अदालत से की गई। मामले में आरोपितों के खिलाफ मौजूद साक्ष्य व गवाहों की गवाही के आधार पर अभियुक्तों पर लगाए गए आरोप साबित हुए। जिसके आधार पर अदालत ने हत्या के मामले में तीनों को आजीवन कारावास की सुजा सुनाई। तीनों पर 20-20 हजार रुपये के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया गया है। अर्थदण्ड अदा नहीं करने पर छह-छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। अभियुक्त मंजू कोल को आम्र्स एक्ट में सात साल की सजा व पांच हजार रुपये के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया गया है।
घटना शंकरगढ़ थाना क्षेत्र में आज से करीब 21 साल पूर्व हुई थी। 2003 में हुई इस घटना में तीन अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा अदालत के द्वारा सुनाई गई है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी