प्रयागराज ब्यूरो । शहर के कई फ्यूल पम्प ऐसे हैं जहां टॉयलेट जैसी सुविधा महज दिखावे के लिए है। कोरम पूरा करते हुए पम्प के कोने में टॉयलेट बना दिए गए हैं। उपभोक्ताओं की नजर नहीं पडऩे से उन्हें यहां दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोने में बनाए गए टॉयलेट का कहीं बोर्ड तक नहीं लगा, कि लोग टॉयलेट कहां है यह समझ सकें। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं उपभोक्ताओं को होती है। यह स्थिति दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा की गई रियलिटी चेक में सामने आई।
कोने में टायलेट, बोर्ड हैं नदारद
पेट्रोल पम्प पर लोगों की सुविधाओं को लेकर किए गए रियलिटी चेक में टॉयलेट की स्थिति बदतर नजर आई। कचहरी तिपहिया वाहन स्टैंड के पास स्थित फ्यूल पम्प पर टॉयलेट सबसे पीछे एक पतली सी गली में है। खुद रिपोर्टर यहां पहुंचने के बाद काफी देर तक टॉयलेट खोजता रहा। पूछने पर मालूम चला कि टायलेट सामने गली में है। गोली में होने के बावजूद कोई ऐसा बोर्ड नहीं लगाया गया कि वही पढ़ कर लोग यह जान सकें कि टॉयलेट कहां है। खैर बाकी फ्री एयर और वाटर सुविधा ठीक मिली। पूछने पर कर्मचारियों ने बताया कि मैनेजर कहीं गए हुए हैं।
टॉयलेट किस साइड मालूम नहीं
म्योहाल
म्योहाल चौराहा फ्यूल पम्प पर भी फ्री एयर और वाटर की सुविधा तो ठीक है। मगर यहां भी एक दम कोने में वाटर और एयर मशीन के पीछे टॉयलेट बनाया गया है। जहां आसानी से नजरों का पहुंच पाना काफी मुश्किल है। यहां भी कोई ऐसा बोर्ड नहीं लगाया गया कि लोग बोर्ड पढ़कर यह समझ सकें कि टॉयलेट किस साइड है। दरवाजे पर छोटा सा लिखा हुआ टॉयलेट वाटर कूलर की टंकी से ढक गया है। हालांकि इस पेट्रोल पम्प के बगल सुलभ काम्प्लेक्स है। जरूरत पडऩे पर उपभोक्ता इसका उपयोग कर लेते हैं। इस लिए फ्यूल पम्प के टॉयलेट को जल्दी कर्मचारी भी नहीं यूज करते। फ्यूल पम्प मैनेजर मनोज सिंह ने खुद माना कि बाहर टॉयलेट का बोर्ड होना चाहिए। कहा कि जल्द ही बोर्ड लगाया जाएगा।
सरदार पटेल
सरदार पटेल मार्ग स्थित फ्यूल पम्प भी टॉयलेट एक दम कोने में बनाया गया है। इतना कोने में है कि सामने खड़ा होने के बावजूद आसानी से वह दिखाई नहीं देगा। लोहे के एंगल पर रखे गए जेनरेटर के नीचे तीन दरवाजे है। आगे के दो कमरों में सामान रखा है। तीसरे नंबर के दरवाजे को टॉयलेट बताया गया। हालांकि कर्मचारी कहते हैं कि वह इमरजेंसी के लिए है। कर्मचारी तक यहां बाहर ही जाते हैं। यहां टॉयलेट कहां हैं बाहर कोई बोर्ड नहीं लगाया गया कि वही देखकर लोग समझ जाय। खैर टॉयलेट को छोड़ दिया जाय तो फ्री ऐयर और वाटर की व्यवस्था काफी बेहतर है। यहां भी मैनेजर से मुलाकात नहीं हो सकी। मेडिकल कॉलेज के पास स्थित पेट्रोल पम्प पर फ्री एयर की सुविधा मौजूद दिखी। जबकि टॉयलेट व पेयजल की व्यवस्था नजर नहीं आई। पूछने पर कर्मचारियों ने बताया कि मैनेजर कहीं निकले हैं। देर शाम आइएगा। टॉयलेट ऑफिस के पीछे है। सवाल पर कि एक बोर्ड तक लगा देते कि टॉयलेट पीछे है, तो जवाब कर्मचारी खामोश हो गए।
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यहां सुविधा मिली चाकचौबंद
शहर के पत्रिका चौराहे पर स्थित पेट्रोल पम्प पर टॉयलेट ठीक सामने है जहां हर किसी की नजर आसानी से पड़ सकती है।
फ्री एयर की सुविधा भी मौजूद दिखाई दिखाई दी। इसी तरह धोबी घाट चौराहे पर भी टॉयलेट और फ्री एयर की व्यवस्था तो दिखाई दी पर पीने के लिए पानी का प्रबंधक सुव्यवस्थित नहीं है।
गर्मी आ गई है। ऐसे में यहां उपभोक्ताओं को दिक्कत हो सकती है। खैर कर्मचारियों ने बताया कि मैनेजर शाम को मिलेंगे।
बालसन चौराहे पर स्थित पेट्रोल पम्प पर पेयजल से लेकर वाटर फ्री ऐयर और टॉयलेट की व्यवस्था भी उम्मदा दिखाई दी।
इस फ्यूल पम्प पर पहुंचते ही ठीक सामने टॉयलेट आसानी से नजर आता है।
यहां पेट्रोल पम्प के दोनों तरफ फ्री एयर मशीन और उन पर कर्मचारी तैनात मिले। पानी और टॉयलेट का प्रबंध भी बेहतर दिखाई दिया।
कर्मचारी से मैनेजर के बारे में पूछने पर सामने खड़े मालिक से मिलने की बात कही गई। रिपोर्ट सामने खड़े मालिक पेट्रोल पम्प के मालिक से मिला।
उन्होंने अपना नाम सुनील पांडेय बताया गया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस पेट्रोल पम्प पर रात भर फ्री एयर की सुविधा मिलती है।
रात नौ बजे तक यहां हम पंक्चर बनाने की भी सुविधा उपभोक्ताओं को देते हैं। कंपनी खुद इन सब पर ध्यान देती है
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शहर में कई ऐसे फ्यूल पम्प हैं जहां पर टॉयलेट की सुविधा सिर्फ नाम की है। फर्ज अदायगी करते हुए एक कोने में टॉयलेट बनाकर दरवाजा लगाकर बंद कर दिया गया है। कायदे से कहीं यह लिखा तक नहीं कि टायलेट किस साइड बना है। एक ऐसा बोर्ड होना चाहिए। जिससे यह स्पष्ट दिखाई दे कि टायलेट कहां पर है। जिससे लोग बगैर पूछे जरूरत पडऩे पर उसका उपयोग कर सकें।
डॉ। पवन पचौरी
पेशे से टीचर हूं और हर रोज शहर आना होता है। बालसन चौराहा हो या फिर कचहरी के पास का फ्यूल पम्प। यहां टायलेट इतना कोने बनाया गया है कि दिखाई ही नहीं देता। जिम्मेदारों के जरिए कोई बोर्ड नहीं लगाया गया कि लोग देखकर समझ सकें कि टायलेट कहां हैं। एसी स्थिति में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है।
शशांक तिवारी
नियम है कि फ्यूल पम्पों पर टायलेट और एयर और वाटर की उपलब्धता हो। एयर और वाटर की सुविधा तो शहर के सभी फ्यूल पम्प पर दिखाई देते हैं। लोहिया मार्ग पर स्थित फ्यूल पम्प पर टायलेट एक दम कोने में बना दिया गया है। देखने से लगता है कि वह स्टोर रूम है। यहां पहले दो कमरों में स्टोर रूम ही है। तीसरे रूम में टायलेट है पर कोई बोर्ड नहीं लगा कि लोग यह समझ सकें कि यहां टायलेट है।
दीपक मिश्रा
मुख्य रूप से फ्री वाटर व एयर और टॉयलेट इन तीनों की व्यवस्था हर फ्यूल पम्प पर होनी चाहिए। ऑन रेकार्ड यह तीनों सुविधाएं हर जगह हैं। इसकी बाकायदे चेकिंग की जाती है। जगह के अभाव में यदि कहीं गली या कोने में टॉयलेट है तो बेशक बोर्ड लगाना चाहिए। ताकि ग्राहकों की नजर आसानी से पड़ सके।
शशि वैश्य, मैनेजर इंडियन ऑयल