प्रयागराज ब्यूरो रविवार को परेड ग्राउंड पर हुए एयर शो में पहुंचने वाले तीन घंटे के लिए स्टिल मोड पर रहे। उन्हें हिलने को भी नही मिला। जो जहां था वही का होकर रह गया। अगर किसी को प्यास लगी थी तो वह भी भीषण धूप में कई घंटे तक बूद बूंद पानी को तरस गया। हालांकि एयर शो देखने का ऐसा उल्लास और उत्साह था कि लोग भूख प्यास को भी बर्दाश्त कर गए।
नहीं रखवाए गए पानी के टैंकर
शुक्रवार को हुए फूल ड्रेस रिहर्सल से भी सबक नही लिया गया। परेड ग्राउंड पर पानी के टैंकर मौजूद नही थे। पानी और खानपान की दुकाने भी बंद करा दी गई थीं। ऐसे में जो लोग संगम एरिया में पहुंच गए थे वह पूरे एयर शो में अपनी जगह से टस से मस नही हो सके। ऊपर से भीषण धूप ने उनकी जमकर परीक्षा ली। ह्यूमिडी अधिक होने की वजह से लगातार पसीना भी आया। जिससे लोगों ने चक्कर आने की शिकायत दर्ज कराई।

गूंजता रहे भारत माता की जय के नारे
जो लोग भूख प्यास से परेड और संगम एरिया में मौजूद थे, उनके भीतर उत्साह की कोई कमी नजर नही आई। उनका कहना था कि यह देश के शौर्य का विषय है। इसलिए थोड़ी परेशानी को बर्दाश्त करना जरूरी है। उनका कहना था कि प्रशासन को पानी और खाने के स्टाल भी लगवाने चाहिए थे। हो सकता तो पानी के टैंकर भी लगवाए जाते। ऐसा करने से जो लेाग दूर दराज से आए हैं वह भूख प्यास से परेशान नहीं होते।

इतनी ज्यादा धूप है कि कम से कम पानी के टैंकर रखवाए जाने चाहिए थे। इतनी भीड हो गई है कि आप वापस भी नही जा सकते हैं। क्योंकि फिर दोबारा वापस आने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
विनीत

रिहर्सल के दिन भ यही हाल थे। उस दिन लोगों का कहना था कि पीने के लिए टैंकर रखवा दिए जाएं। लेकिन इस बार भी इस पर ध्यान नही दिया गया। मेरा मानना है कि छोटे छोटे इंतजाम करके लोगों की परेशानी को कम किया जा सकता था।
जितेंद्र

एयर शो देखने के लिए बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं भी आई हैं। इनके लिए कम से कम पांडाल लगाए जाने थे। उनके बैठने का इंतजाम किया जाना था। केवल वीआईपी के लिए कुर्सी थी, आम आदमी को धूप में खड़ा कर दिया गया।
विक्रम

एयर शो बहुत अच्छा था इसलिए दिक्कतों की तरफ ज्यादा ध्यान नही गया। फिर भी प्रशासन आम जनता का कुछ ध्यान रख सकता था। हो सकता है कि लोग इतने बड़े शो के लिए इस तरह की परेशानी का सामना करना सकते हैं।
विनय