प्रयागराज (ब्यूरो)। शहर के अंदर अंदर प्रयागराज विकास प्राधिकरण की दो कार्यशैली लोगों के बीच चर्चा का विषय है। माफिया अतीक अहमद के कब्जे से 76 फ्लैट बनाने का का काम शुरू हुआ था। काम शुरू हुए ठीक से एक साल भी नहीं बीते कि शासन के डर में सारे फ्लैट करीब बनकर तैयार हो गए हैं। फिनिसिंग आदि का काम फिलहाल अभी शेष है। पीडीए के कार्यों का यह एक चेहरा है। इस डिपार्टमेंट का दूसरा चेहरा यह है कि आठ साल बीत गए और आज तक 140 फ्लैटों का निर्माण पूर्ण नहीं हो सका। क्योंकि आम पब्लिक के लिए बनाए जा रहे इस फ्लैट को लेकर न तो शासन का दबाव है और जिम्मेदारों पर किसी का डर। लोगों को यहां फ्लैट के बजाय पीडीए डेढ़ सौ से भी अधिक बार आश्वासन को डोज देता आ रहा है। तमाम शिकवा शिकायत के बाद मैदान में उतरे पीडीए अध्यक्ष की कोशिश भी बेनतीजा रही।

किसी ने बेची जमीन तो कोई लिया कर्ज
प्रयागराज विकास प्राधिकरण के द्वारा शहर के गोविंदपुर में अलकनंदा अपार्टमेंट प्रोजेक्ट को तैयार किया गया। जानकार बताते हैं कि वर्ष 2014 में शुरू इस अपार्टमेंट के निर्माण को 2016 में पूरा किया जाना था। निर्माण कार्य में लगाई गई एजेंसी और पीडीए की लापरवाही में पूरी योजना खटाई में पड़ गई। करीब आठ वर्ष बीत जाने के बाद भी इस निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका। इससे भी हैरान व परेशान करने वाली बात बात यह है कि अपूर्ण अपार्टमेंट में पीडीए फ्लैट के नाम पर कई अधिवक्ताओं, वकीलों व व्यापारियों से पैसा जमा करा चुका है। इनमें कोई बैंक से ऋण लेकर पैसा जमा किया तो कुछ कहीं दूसरी जगह की जमीन बेचकर। रुपये जमा करने वालों में तमाम ऐसे भी लोग हैं जो पूरे जीवन की कमाई हुई रकम पीडीए की झोली में एक छत की उम्मीद में डाल दिए है। फ्लैट के लिए पीडीएक को पैसा देने के बावजूद ऐसे लोग किराए के मकान में रहने के लिए मजबूर हैं। ऐसे लोगों को पीडीए की करतूत के चलते तेहरी आर्थिक मार झेलनी पड़ रही है। पहला तो वे लाखों रुपये फ्लैट नाम पर जमा कर दिए। दूसरा अब भाड़े पर लिए गए रूम का किराया भी दे रहे हैं। इतना ही नहीं जिन्होंने फ्लैट के लिए कर्ज लिया था उन्हें हर महीने किस्त भी अदा करनी पड़ रही है।
बेपरवाह हैं अफसर
बैंक से लिया गया कर्ज भी थोड़ा नहीं है। किसी ने 40 तो कोई 50 लाख तक का ऋण ले रखा है। हैरान करने वाली बात यह है कि आज भी अफसर यह नहीं बता पा रहे कि उन लोगों को यहां फ्लैट वे कब देंगे? जबकि लोग इस मामले की शिकायत शीर्ष अफसरों से लेकर मानवाधिकार तक में किए। जब शीर्ष अफसर व मानवाधिकार का रुख सख्त हुआ तो अफसर आश्वासन दिए थे कि एक महीने में फ्लैट वह लोगों को कब्जा दे देंगे। मगर यह आश्वासन आज तक हकीकत में नहीं बदल सका।

पैदल मार्च निकाल कर हालात से छेड़े जंग
पीडीए की वादाखिलाफी और लापरवाही
से फ्लैट के लिए भटक रहे लोग संघर्ष के लिए मजबूर हो गए हैं।
रविवार को अलकनंदा अपार्टमेंट परिसर में आवंटी संघर्ष समिति की ओर से पैदल विरोध मार्च निकाला गया। इस बीच लोगों के द्वारा प्रदर्शन भी किया गया।
पीडीए की इस कारस्तानी से खफा आवंटी अब विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में है।
पैदल मार्च निकालने वाले आवंटी संघर्ष समिति के लोगों पीडीए को बड़ी चेतावनी दी है।
कहा है कि यदि इसी तरह विभाग आवंटियों को झांसा देता रहा तो वे भूख हड़ताल के लिए बाध्य होंगे।
प्रदर्शनकारियों ने अपार्टमेंट के निर्माण में घटिया सामग्री लगाने का भी आरोप लगा रहे हैं।
पैदल मार्च निकालने वालों में डॉ। कमलेश तिवारी, धीरज कुमार पांडेय,अमित कुमार, आदित्य ङ्क्षसह, आनंद मुखर्जी, राजेश विश्वकर्मा आदि मौजूद रहे।
इन सभी ने कहा कि पीडीए की व्यवस्था पर विश्वास करके हम जैसे तमाम लोग फ्लैट के लिए रुपये जमा किए थे।
जब पीडीए ही लोगों के साथ इस तरह से छल करेगा तो प्राइवेट संस्थाएं लोगों के साथ धोखा करेंगी ही।