ऑडिट रिपोर्ट में पांच वर्षो में लगभग 32 करोड़ 19 लाख रुपये से अधिक के घोटाले
आरटीआइ से मिली जानकारी, जनहित याचिका पर अब 31 अगस्त को होगी सुनवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) में करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता व घोटाले से जुड़ी याचिका के मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार व पीडीए को 31 अगस्त तक जवाब दाखिल करने को कहा है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वरनाथ भंडारी व न्यायमूíत राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र की जनहित याचिका पर दिया है। ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर पीडीए में गत पांच वर्षो के दौरान लगभग 32 करोड़ 19 लाख रुपये से अधिक के घोटाले की जानकारी के आधार पर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है।
32 करोड़ के नुकसान का अनुमान
याचिका में आधार लिया गया है कि याची ने प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल लखनऊ और प्रयागराज से पीडीए द्वारा अप्रैल 2015 से सितंबर 2018 तथा अक्टूबर 2018 से जनवरी 2020 के दौरान कराए गए कार्यो की आडिट रिपोर्ट सूचना के अधिकार (आरटीआइ) के तहत मांगी थी। आरटीआइ रिपोर्ट से पता चल कि उक्त कार्यकाल के दौरान पीडीए द्वारा कराए गए कार्यो से सरकारी खजाने को लगभग 32 करोड़ 19 लाख 41. 816 रुपये की आíथक चोट पहुंची है। याचिका में कहा गया है कि पीडीए के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार करने के बावजूद किसी की उत्तरदाई नहीं माना गया, न ही किसी पर कार्रवाई की गई। ऑडिट अफसरों द्वारा दस्तावेजों की जो सूची उपलब्ध कराई गई थी, वह दस्तावेज उनको नहीं दिए गए जिससे विभाग की भ्रष्टाचार की जानकारी को उजागर न हो सके।
चुनिन्दा ठेकेदारों को ही दिया काम
याचिका में यह भी कहा गया है कि 2019 कुंभ मेला के दौरान पीडीए द्वारा कराए गए तमाम कार्यो में गंभीर वित्तीय अनियमितता की गई है। कुछ गिने-चुने ठिकेदारों को बार-बार ठेके दिए गए। ऑडिट रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है की 2018 में फायर ब्रिगेड चौराहा से पानी टंकी चौराहे तक अंडरग्राउंड केबल बिछाने का ठेका दिया गया, जबकि वहां पहले से अंडरग्राउंड केबल पड़ी थी। इसी प्रकार कालिंदीपुरम् में मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का ठेका एनसीसी लिमिटेड को दिया गया जिसमें 38.63.422.68 लाख रुपये का जीएसटी न काटने का आरोप है। याचिका में मांग की गई है कि इन वित्तीय अनियमितताओं की जांच उच्च स्तरीय कमेटी से कराने का आदेश दिया जाय। इसके साथ किसी विशेषज्ञ संस्था को पीडीए अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाय।