प्रयागराज ब्यूरो । नगर निगम में मर्ज होने के पूर्व नगर पंचायत झूंसी से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। नगर पंचायत में अनुसेवक पद पर तैनात रहे अमृत लाल को मृत दिखाकर जिम्मेदारों ने उसका वेतन सहित अन्य विभागीय सुविधाएं रोक दी गईं। काफी प्रयास के बावजूद उसे विभाग से इंसाफ नहीं मिला। इसके बाद वह विधान सभा समिति अनुसूचित जाति में मामले की शिकायत किया। कई गई शिकायत में पूरे प्रकरण का हवाला देते हुए इंसाफ की गुहार लगाया। अब वर्षों बाद इस मामले की जांच विधान परिषद अनुसूचित जाति जनजाति की टीम प्रयागराज पहुंची। पूरा वाकया वर्ष 2012 से 2015 के बीच का बताया जा रहा है।

पंद्रह माह ऐसे हुआ भुगतान
एक समय था जब झूंसी नगर पंचायत हुआ करती थी। उस वक्त वहां नगर पंचायत अध्यक्ष हुआ करते थे। बताते हैं कि नगर पंचायत झूंसी में अमृत लाल सहित कुल आठ लोग अनुसेवक के पद पर तैनात था। पंद्रह महीना काम कराने के बावजूद उन्हें भुगतान करने के बजाय विभाग से हटा दिया गया। दबी जुबान प्रकरण से जुड़े जानकार बताते हैं कि सभी के द्वारा भुगतान के लिए काफी प्रयास किया गया। बावजूद उन पंद्रह महीनों का भुगतान उन्हें नहीं दिया गया। ऐसे में अमृत लाल इंसाफ की उम्मीद लिए विधान परिषद समिति अनुसूचित जाति जनजाति समिति से शिकायत किया। आरोप लगाया कि उसे मृत बताकर उसका भुगतान व अन्य मिलने वाली सुविधाएं रोक दी गई हैं। जबकि वह जीवित है। शिकायत को परिषद समिति अनुसूचित जाति जनजाति समिति द्वारा संज्ञान लिया गया। समिति द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के बाद कर्मचारियों द्वारा पंद्रह माह तक किए गए वर्क का भुगतान किया गया। इस बीच सीमा विस्तार के बाद नगर पंचायत झूंसी नगर निगम प्रयागराज में शामिल हो गया है। अब वह इलाका नगर निगम जोन आठ का हिस्सा है। मगर, अमृत लाल को मृत दिखाए जाने की जांच अब भी चल रही है। बताते हैं कि इसी मामले की जांच के लिए परिषद समिति अनुसूचित जाति जनजाति समिति की टीम मंगलवार को प्रयागराज पहुंची।


इन बातों में कितनी है सच्चाई?
नगर निगम जोन आठ में तैनात कुछ कर्मचारी दबी जुबान बताते हैं कि झूंसी नगर पंचायत में उस वक्त अस्थाई रूप से आठ कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। जिसमें एक अमृत लाल भी शामिल था। नियुक्ति के समय यह सर्त थी कि जब सरकार पद सृजित करेगी और वजट देगी तब भुगतान किया जाएगा। चूंकि सरकार न तो पद सृजित की और न ही बजट का प्रबंध हुआ। ऐसे में पंद्रह महीने तक उनके द्वारा किए गए काम का भी भुगतान नहीं किया जा सका था।

प्रकरण में परिषद समिति अनुसूचित जाति जनजाति समिति की टीम आई तो थी। पर पूरा मामला वर्षों पुराना है। इससे ज्यादा जानकारी चाहिए तो आप नगर निगम के शीर्ष अफसरों से बात कर लीजिए।
सुदर्शन चंद्रा, जोनल अधिकारी नगर निगम जोन आठ