सीएमपी कॉलेज से बैरहना डाट पुल के बीच की सड़क हो चुकी है जर्जर

बारिश होने पर होता है जलभराव, गिरकर लोग हो रह चुटहिल

धूल उड़ने से लोगों को आने लगी खांसी

महज तीन सौ मीटर की सड़क और यकीन मानिए उस पर 250 छोटे-बड़े कुल गड्ढे। यह हाल सीएमपी डिग्री कॉलेज से बैरहाना डॉट पुल के बीच का है। कुंभ में बनी यह सड़क वर्तमान में पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। संबंधित विभाग ने गड्ढों को भरने के लिए गिट्टी और चूरा डालकर पैचअप वर्क किया लेकिन बारिश में यह भी नाकाफी साबित हुआ। फिलहाल लोग इस रोड पर चलने से बेहाल हैं। उनका कहना है कि किसी तरह से इस सड़क की मरम्मत करवाई जानी चाहिए।

दोनों तरफ उखड़ गई परत

इस सड़क का निर्माण 2019 कुंभ के दौरान हुआ था। तब दावा किया गया था यह सड़क लंबे समय तक चलेगी। लेकिन महज दो साल बाद ही जगह-जगह इस सड़क पर गड्ढे नजर आने लगे हैं। आज हम बात कर रहे हैँ सीएमपी कॉलेज के गेट से बैरहना डॉट पुल के बीच की। यहां यह सड़क डिवाइडर के दोनों ओर उखड़ गई है। जगह-जगह गहरे गड्ढे हो गए हैं। इन पर वाहन चलाने से शरीर को जबरदस्त शॉक लगते हैं।

नासूर बन गया पैचअप वर्क

कुछ महीने पहले गड्ढों को पाटने के लिए पैचअप कार्य कराया गया था। लेकिन यह भी काम नहीं आया। बड़े गड्ढों में बडे़े साइज की गिट्टियां डाली गई थी जो बारिश के बाद निकलकर बाहर आ गई हैं .अब इन वाहनों के पहिए रपट जाने से आए दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं। शरीर पर गहरा घाव भी करती हैं। छोटे गड्ढों में मिट्टी और गिट्टी का चूरा डालकर भरा गया था। इसकी मिट्टी भी बहकर निकल गई है और अब यह धूल बनकर आसपास की दुकानों और मकानों में बैठ रही है।

नहीं हो रही सुनवाई

आसपास के लोगों का कहना है कि प्रशासन से बार बार गुहार लगाने के बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है। जोरदार बारिश होन के बाद गड्ढों में घुटने तक पानी भर जाता है। तीन दिन पहले पीडब्ल्यूडी के बुलडोजर से रोड को समतल कराने की कोशिश की गई लेकिन इसका भी अधिक फायदा नही हुआ। हल्की बारिश के बाद मिट्टी और गिट्टी फिर से बाहर आ गई।

कई महीनों से रोड की हालत खराब है। इतनी दूरी पर बार बार गड्ढा हो रहा है। इसका सुधार करना भी मुश्किल साबित हो रहा है। आए दिन लोग गिरकर चोटिल हो रहे हैं फिर भी प्रशासन सुनवाई नही कर रहा।

बनवारी लाल

बारिश होने के बाद जलभराव हो जाता है और इसमें वाहन फंसने लगते हैं। कई बार वाहन पलट जाते हैं। इससे लोग चोटिल होते हैं। इस सड़क की पूरी तरह से मरम्मत करवाई जानी चाहिए।

मो। आसिफ

जिस चीज से पैचअप करवाया गया था वह अधिक सिरदर्द साबित हो रहा है। मिट्टी दिनभर उड़ती है और गिट्टी इधर उधर फैलकर एक्सीडेंट का कारण बन रही है।

सुनील केसरवानी

जन प्रतिनिधियों से शिकायत की गई लेकिन उनके पास यहां आने का समय नही है। अधिकारी भी यहां से गुजरते हैं लेकिन ध्यान नही देते। आम आदमी झटका खाकर बीमार हो रहा है।

अमित पांडेय

दिनभर धूल उड़ने से दुकानदारी चौपट हो रही है। इतने गड्ढे हैं कि आए दिन वाहनों का बंपर या दूसर पार्ट बैठ जाता है। बारिश के बाद तो हालत अधिक नाजुक हो जाती है।

गुलाब