प्रयागराज (ब्‍यूरो)। आर्य समाज से मैरिज के बनाए गए फेक सर्टिफिकेट का मामला एक अलग मसला है। गैंग के द्वारा बनाए जा रहे सर्टिफिकेट को दूसरे नजरिए से देखा जाय तो मसला काफी गंभीर और सेंसिटिव हो जाता है। इस फेक सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करके शातिर कहां तक जा सकते हैं और क्या कर सकते हैं? इस बात का अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। इसका कितने तरीके से और कैसे प्रयोग हो सकता है। इस सवाल को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा गैंग का खुलासा होने के बाद पड़ताल की गई। इस पड़ताल में जो तथ्य सामने आए हैं, उसे जानकार आप भी चौंक जाएंगे। हम आप को यह सब कुछ बताएंगे, मगर इसके पहले आप जान लीजिए के प्रयागराज में आर्य समाज की कितनी संस्थाएं हैं और रजिस्ट्रार कार्यालय में कितनों का रजिस्ट्रेशन भी या नहीं।

508 मैरिज रजिस्ट्रेशन 2023 में रजिस्ट्रार के यहां हुआ
390 मैरिज रजिस्ट्रेशन 2024 में रजिस्ट्रार के अब तक हुए
10 रुपये फीस है शादी बाद एक वर्ष अंदर रजिस्ट्रेशन पर
50 रुपये प्रति वर्ष शुल्क लगते हैं एक साल के बाद

रजिस्ट्रार दफ्तर तक जांच की आंच
मामले की जांच में जुटी पुलिस के द्वारा पहले जिले में आर्य समाज की संस्थाओं के बारे में पता किया गया। आर्य समाज के लखनऊ स्थित कार्यालय से जिले में संस्थाओं की डिटेल पुलिस अफसरों के द्वारा मांगी गई थी। यह बात खुलासा कर रहे अफसरों से किए गए सवाल में सामने आई। अफसरों ने बताया कि जिले में ऐसी कुल 31 संस्थाएं काम कर रही हैं। इनमें महज दो का ही रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन था। उन दोनों संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन का रिन्यूवल नहीं हुआ। विधि जानकारों की मानें तो ऐसी जिस भी धार्मिक संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रजिस्ट्रार कार्यालय में नहीं है, उनके मैरिज सर्टिफिकेट वैध नहीं मान्य नहीं माने जाते। शायद यही वजह है कि पुलिस अफसरों के द्वारा रजिस्ट्रार कार्यालय से इन संस्थाओं के एनुअल स्टेटमेंट की डिमांड की गई है। ताकि यह पता चल सके कि ऐसी कौन सी संस्था कितने सर्टिफिकेट को जारी की है। स्टेटमेंट नहीं मिलने पर रजिस्ट्रार कार्यालय के लोगों से भी पुलिस पूछताछ कर सकती है।

सिग्नेचर का मिलान कराएगी पुलिस
आर्य समाज की जिन संस्थाओं के नाम से शातिरों ने फर्जी शादी का प्रमाण पत्र बनाया था। जानकारी होने के बावजूद उस संस्था की तरफ से अब तक पुलिस को कोई तहरीर नहीं दी गई है। जबकि जब नियमानुसार संस्था के पदाधिकारियों को उन शातिरों के खिलाफ तहरीर देनी चाहिए। क्योंकि उनकी संस्था के नाम का दुरुपयोग तो किया ही गया साख भी शातिरों के जरिए खराब की गई। इतना कुछ होने के बावजूद संस्थाओं के पदाधिकारियों की खामोशी का कारण किसी की समझ में नहीं आ रहा है। फर्जी मिले मैरिज सर्टिफिकेट पर जिन पदाधिकारियों के पेन से किए गए हस्ताक्षर मिले हैं, उस सिग्नेचर का मिलान संस्था के पदाधिकारियों के हस्ताक्षर से पुलिस कराएगी। यदि सिग्नेचर मिला हुआ तो मामले में उन पदाधिकारियों को भी कार्रवाई की जद में आने से कोई रोक नहीं पाएगा।

फेक सर्टिफिकेट के मिसयज टूल्स
गिरफ्तार गैंग के गुर्गों द्वारा बनाए गए आर्य समाज से मैरिज के फेक सर्टिफिकेट का दुरुपयोग कोई भी बड़े पैमाने पर कर सकता है।
सदर तहसील के पास स्थित मैरिज रजिस्ट्रेशन कार्यालय के जिम्मेदारों ने बताया कि उसे लगाकर लोग शादी का रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
इसके बूते शादी का रजिस्ट्रेशन हो जाने पर बतौर पति पत्नी युगल पासपोर्ट और विदेश जाने का वीजा हासिल कर सकते हैं।
युगल इसे लगाकर खुद को बालक और मैरिड बता कर बगावत कर रहे परिजनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर सकते हैं।
बतौर पति पत्नी उसी मैरिज रजिस्ट्रेशन को लगाकर वे सरकारी इलाज जैसी योजनाओं का लाभ भी ले सकते हैं।
ऐसे फर्जी प्रमाण पत्र पर कोई भी लड़का किसी भी लड़की का नाम बतौर पत्नी लिखकर उस युवती के परिवार में विवाद करवा सकता है।
इस फर्जी सर्टिफिकेट के दम पर भागे हुए नाबालिग युवती व युवक खुद को बालिग बताकर दुनिया के सामने खुद को पति व पत्नी के रूम में बता सकते हैं।

लीगल मैरिज रजिस्ट्रेशन के नियम
शादी शुदा जोड़ों को लीगली मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए रजिस्ट्रार कार्यालय में जाना होता है। वहां पर दोनों को हाईस्कूल की मार्कशीट, आधार व पैन कार्ड, लड़की व लड़के की फोटो, शादी का कार्ड और मोहल्ले के पार्षद या प्रमाण के लेटर पैड पर मैरिज का प्रमाण पत्र देना होगा। इसके बाद यदि रजिस्ट्रेशन शादी के एक वर्ष के भीतर करवा रहे तो फीस महज दस रुपये देनी पड़ेगी। साल भर बीतने के बाद प्रति वर्ष 50 रुपये के हिसाब से शुल्क देना होगा।

अभी इस मामले में जितने फैक्ट्स सामने आए थे वह बता दिए गए हैं। आगे की विवेचना की जा रही है। सिग्नेचर आदि मिलान कराए जाएंगे।
अभिषेक भारतीया, डीसीपी नगर