प्रयागराज (ब्यूरो)। भारतीय रेलवे में करोड़ों के बेडरोल कंडम होने के कगार पर है। 23 मार्च 2020 से ही उनका उपयोग नहीं हो रहा है। जानकारों के अनुसार प्रयागराज स्थित मैकेनाइज्ड लाउंड्री में ही लगभग पचास हजार से अधिक चादरों की उम्र पूरी हो चुकी है। करीब 12 हजार से अधिक कंबल के अलावा तौलिया और तकिये भी पड़े हैं। उनकी क्वालिटी परखी जा रही है। कंबल का प्रयोग चार और चादर का अधिकतम दो साल तक किया जा सकता है। लेकिन करीब दो साल होने को आया है। बेडरोल लाउंड्री से निकले ही नहीं। हालांकि, बीच में रेलवे प्रशासन ने कंबलों और चादरों का उपयोग अस्पतालों और रनिंग रूम में कर दिया था।
लाकडाउन के दौरान लाउंड्री में रखे गए थे बेडरोल
दरअसल, करीब दो साल पहले लाकडाउन के साथ बेडरोल भी लाउंड्री में रख दिए गए। एक जून 2020 से स्पेशल के रूप में ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया। लेकिन रेलवे बोर्ड ने कोविड प्रोटोकाल का हवाला देते हुए वातानुकूलित बोगियों से बेडरोल हटा लिया। पर्दे भी हट गए। अब स्थिति सामान्य होने के बाद सभी ट्रेनें चलने लगी हैं। उत्तर मध्य रेलवे में ही प्रयागराज सहित पचास से अधिक जोड़ी एक्सप्रेस ट्रेनें चलने लगी हैं। इन ट्रेनों में वातानुकूलित कोच भी बढऩे लगे हैं।
रेलवे स्टेशन पर खुला स्टाल भी बंद
रेलवे प्रशासन ने स्टेशनों पर निर्धारित कीमत पर डिस्पोजल बेडरोल की बिक्री की योजना तैयार की है। प्रयागराज में भी स्टाल खुला था लेकिन वह कब बंद हो गया है। यात्रियों को पता ही नहीं चला। अब लोगों को खरीदने पर भी बेडरोल नहीं मिल रहे हैं।