प्रयागराज ब्यूरो । । यमुनापार में आतंक का पर्याय रहे हिस्ट्रीशीटर बदमाश पप्पू गंजिया को गिरफ्तार कर लिया गया है। हत्या और रंगदारी को लेकर एक दशक से ज्यादा समय तक चर्चा में रहे पप्पू गंजिया को राजस्थान के अजमेर से गिरफ्तार किया गया है। एक के बाद एक सनसनी खेज वारदात को अंजाम देने वाला गंजिया अतीक गैंग का सक्रिय सदस्य है। गंजिया की गिरफ्तारी एसटीएफ ने की है। गंजिया यमुनापार में अतीक का काम देखता था। उसके खिलाफ कई थाने में 41 केस दर्ज हैं। गंजिया को अजमेर से ट्रांजिट रिमांड पर नैनी कोतवाली लाया गया है। उसकी गिरफ्तारी रंगदारी के एक मामले में की गई है। मामले में वह एक साल से वांछित था।

रंगदारी मांगने पर दर्ज हुआ केस
नैनी कोतवाली का हिस्ट्री शीटर बदमाश जावेद उर्फ पप्पू गंजिया जरायम की दुनिया का एक जाना पहचाना नाम है। रंगदारी वसूलना उसकी फितरत बन गई थी। वर्ष 2022 में तीन जून को डांडी गांव के विशाल यादव की तहरीर पर जावेद उर्फ पप्पू गंजिया समेत तीन के खिलाफ रंगदारी मांगने का केस दर्ज किया गया था। केस नैनी कोतवाली में दर्ज किया गया था। आरोप है कि पप्पू गंजिया ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर विशाल से पांच लाख की रंगदारी मांगी। रंगदारी नहीं देने पर पप्पू गंजिया ने विशाल को मारापीटा और जान से मारने की धमकी दी। केस दर्ज होने के बाद नैनी पुलिस सक्रिय हुई तो पप्पू गंजिया फरार हो गया। पुलिस ने कई जगह दबिश दी लेकिन उसे पकड़ा नहीं जा सका। जिस पर मामला एसटीएफ के सुपुर्द कर दिया गया।

अजमेर से हुई गिरफ्तारी
पिछले वर्ष मुकदमा दर्ज होने के बाद जब एसटीएफ ने मामले को देखना शुरू किया तो पप्पू गंजिया वापस नहीं लौटा। कई महीने तक एसटीएफ को जानकारी मिलती रही कि पप्पू गंजिया दिल्ली और आसपास में अपना ठिकाना बनाकर रह रहा है। एसटीएफ मुखबिर लगाती रही, मगर उसका सुराग नहीं लग पा रहा था। पिछले हफ्ते एसटीएफ को जानकारी हुई कि पप्पू गंजिया राजस्थान के अजमेर में है। वह वहां पर एक होटल में डेरा डाले है। सटीक मुखबिरी पर एसटीएफ ने पप्पू गंजिया को होटल से गिरफ्तार कर लिया।

गंजिया और महरा की दुश्मनी जगजाहिर
1980 के दशक में यमुनापार में अरैल के महरा परिवार की तूूती बोलती थी। यमुना किनारे बसे अरैल का महरा परिवार नाव चलाने वालों से वसूली करता था और यमुना में मछली के कारोबार के अलावा बालू का धंधा करता था। नैनी इंडस्ट्रियल एरिया के रूप में विकसित होने लगा तो महरा परिवार ने ठेकेदारी में हाथ लगाया। 1989 में ठेकेदारी के विवाद में पप्पू गंजिया के परिवार के सदस्य महबूब का कत्ल हो गया। और यहीं पप्पू गंजिया और महरा परिवार की दुश्मनी शुरू हो गई। पप्पू गंजिया ने महरा परिवार के गुलाब महरा की हत्या करवा दी। मामले में पप्पू गंजिया को जेल जाना पड़ा। इसके बाद दोनों गैंग में आए दिन गोली चलने की घटना आम हो गई। गुलाब महरा के पौत्र आनंद महरा ने पप्पू के भाई पर जानलेवा हमला किया। जिस पर पप्पू गंजिया ने महरा परिवार के एक सदस्य को मार डाला।

20 साल तक चला पप्पू का खौफ
सन 2000 आते आते पप्पू गंजिया यमुनापार में जाना पहचाना नाम हो गया। पप्पू गंजिया के नाम पर वसूली शुरू हो गई। नैनी इंडस्ट्रियल एरिया के रूप में विकसित हो रहा था। नैनी में प्लाटिंग का धंधा शुरू हो गया था। पप्पू गंजिया ने नैनी इलाके से अथाह रूपया कमाया। जहां मन हुआ वहीं पर अपने नाम का खौफ जता दिया। एक समय ऐसा भी आया जब नैनी कोतवाली पुलिस पप्पू गंजिया के आगे सरेंडर रहा करती थी। सैकड़ों मामले में तो पप्पू के खिलाफ केस ही दर्ज नहीं हुआ। उसके डर से तमाम लोग पुलिस के पास नहीं जाते थे। 2020 तक पप्पू गंजिया का खौफ लोगों के सिर पर तारी रहा। बीस साल के दौरान पप्पू गंजिया ने जमकर रंगदारी वसूली। जिसे चाहा उसे रास्ते से हटा दिया।

अतीक के साथ हो गया गठजोड़
सन 2010 के दौरान पप्पू गंजिया अपने पूरे उफान पर था। इसी दौरान अतीक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के ठेकों को लेकर पप्पू गंजिया के गुर्गों और अतीक के गुर्गों में आमना सामना हुआ। पप्पू गंजिया गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के ठेकेदारों से कमीशन लेता था तो अतीक गैंग के सदस्य ठेका लेने के लिए जोर आजमाइश करते थे। पप्पू गंजिया अतीक के साथ हो गया। पुलिस को जब इसकी जानकारी लगी तो पुलिस ने माफिया अतीक के गैंग आईएस 227 में पप्पू गंजिया का नाम दर्ज कर दिया। हालांकि कभी पप्पू गंजिया शहर की ओर नहीं आया। उसका सारा धंधा यमुनापार में ही फैला था।

अकेले चलाता था बादशाहत
पप्पू गंजिया ने 2005 में गंजिया गांव के बाहर अपना बंगला बनवाया। यहां पर वह अपना दरबार चलाता था। जमीन के धंधे में वसूली उसका मुख्य धंधा हो गया था। पप्पू अपने दरबार में जमीन के धंधे का विवाद हल करता था। नैनी इलाके में प्लाटिंग का धंधा करने वाले उसे चढ़ावा चढ़ाते थे। जो उसके खिलाफ जाता था उसे रास्ते से हटा दिया जाता था या फिर उसे इस कदर पीटा जाता था कि वह दोबारा पप्पू की खिलाफत के बारे में नहीं सोचता था। पप्पू अपना विरोध करने वाले को अपने बंगले पर उठवा कर लाता था। फिर कई दिन तक उसे छोड़ा नहीं जाता था।


काफिला लेकर चलने का था शौक
पप्पू गंजिया को फिल्मी स्टाइल में काफिला लेकर चलने का शौक था। उसके बंगले पर हर समय दस से पंद्रह असलहाधारी मौजूद रहा करते थे। नए यमुना पुल के समीप बने उसके बंगले के रास्ते से कोई डर की वजह से जल्दी गुजरता नहीं था। पप्पू गंजिया जब बंगले से निकलता था तो उसके काफिले में आठ से दस वाहन करते थे।

नैनी कोतवाली और जेल में थी ठसक
पप्पू गंजिया की एक वक्त नैनी कोतवाली और नैनी जेल में खासी ठसक थी। नैनी कोतवाली में उसके खिलाफ शिकायत पर सुनवाई नहीं होती थी तो नैनी जेल में बंद उसके विरोधियों की आए दिन पिटाई होती थी। पप्पू गंजिया अपने गुर्गों के जरिए नैनी जेल में बंद विरोधियों की पिटाई करवा देता था। जिसकी वजह से नैनी जेल के अफसर भी उसके आगे नतमस्तक रहा करते थे।