प्रयागराज ब्यूरो । डेंगू, चिकन गुनिया, स्क्रब टाइफस के सीजन में दवा के रूप में स्टेयरायड का अधिक नुकसान शरीर को नुकसान पइुंचा सकता है। जानकारी के अभाव में लोग जल्द दर्द और सूजन से निजात पाने के लिए स्टेरायड का उपयोग कर रहे हैं, खुद डॉक्टर्स भी इसे स्वीकार कर रहे हैं।
जोड़ों के दर्द से परेशान हैं मरीज
संक्रामक बीमारियों के इस सीजन मं मरीज जोड़ों के दर्द और सूजन से सबसे ज्यादा परेशान हैं। एक बार बुखार की चपेट में आने के बाद उनका चलना फिरना मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा खुजली भी लोगों को परेशान कर रही है। इन लक्षणों से निजात दिलाने के लिए डॉक्टर्स भी मरीजों को स्टेरायड की अधिक डोज दे रहे हैं। स्टेरायड के इस्तेमाल से सूजन और दर्द तो तत्काल कम हो जाता है लेकिन इसके साइड इफेक्ट रह जाते हैं।
स्टेरायड से होने वाले नुकसान
अस्थमा, ऑटोइम्यून डिजीज, कैंसर, ब्लैक फंगस, इम्युनिटी लो होना, इंफेक्शन का खतरा, मांसपेशियों में कमजोरी, शुगर का बढऩा, त्वचा का पतला होना, हाई बीपी, भूख में वृद्धि और वजन बढऩा, मिजाज और मूड में बदलाव,
मुंहासे, दृष्टि का धुंधला होना आदि नुकसान हो सकते हैं। इसके अलावा कई अन्य लक्षण भी हैं जो स्टेयरायड की अधिक मात्रा लेने से सामने आ सकते हैं। इसलिए जब तक जरूरी न हो स्टेरायड का यूज नही करना चाहिए।
मेडिकल स्टोर नहीं करते पालन
डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना किसी मरीज को स्टेरायड नहीं दिया जाना चाहिए। इसके लिए पर्चे पर लिखा होना जरूरी है लेकिन ऐसा हो नही रहा है। मरीज को आसानी से यह दवाएं मिल रही हैं।
रोजाना पांच हजार जांच
इस सीजन में डेंगू, चिकनगुनिया, टाइफाइड और स्क्रब टाइफस की रोजाना पांच हजार से अधिक जांच पैथोलाजी में हो रही है। यह सैंपल शहर और गांव से मिलाकर आ रहे हैं। हालात यह हैं कि बेली, काल्विन और एसआरन अस्पताल की पैथोलाजी में टेक्नीशियन को 12-21 घंटे जांच करनी पड़ रही है। इस सीजन में बुखार के मरीजों की संख्या बढऩे से क्लीनिकों में मरीजों की लंबी लाइन लगी है।
दर्द, सूजन और जलन आदि से निजात के लिए लोग स्टेरायड का यूज कर रहे हैं जो शरीर के ठीक नही है। इससे भविष्य में तमाम व्याधियां हो सकती हैं। मरीजों को खुद जागरुक होना होगा।
डॉ। मंसूर
फिजीशियन, बेली अस्पताल