प्रयागराज ब्यूरो । आंदोलन में शामिल बहुतेरे छात्र ऐसे हैं जो रात दस से बारह बजे के बीच या उसके बाद प्रदर्शन स्थल से हट जाते हैं। आराम के लिए आसपास के पार्कों में चले जाते हैं। इसके चलते गुरुवार की सुबह आयोग के गेट के सामने एक सैकड़ा छात्र भी नहीं थे। छात्राओं की संख्या भी बेहद कम थी। इसी के बीच सुबह सात बजे के करीब कुछ हट्टे कट्टे लोग पहुंचे और उन्होंने छात्रों को जबरन उठाना शुरू कर दिया। इस चक्कर में आंदोलन का आह्वान करने वाले आशुतोष पांडेय उनके बीच आ गये। उनको कब्जे में लेने के लिए सादे वेश में लोगों को मशक्कत करनी पड़ी। बीच में छात्राएं आयीं तो उन्हें भी झिड़क दिया गया। उन्हें भी पुरुषों ने ही हटाने की कोशिश की। यह देखकर कुछ छात्रों ने वीडियो बनाकर उसे छात्र ग्रुपों में भेजना शुरू कर दिया।
इसका नतीजा हुआ कि शहर के विभिन्न हिस्सों में रहने वाला छात्रों का कारवां आयोग मुख्यालय की तरफ बढ़ चला। बताया गया है कि पुलिस ने कई छात्रों को उठाया है। आशुतोष पांडेय का हाथ फ्रैक्चर होने की चर्चा भी छात्रों के ग्रुपों में चलने लगी। छात्रों ने इसे गुंडों की कार्रवाई बताना शुरू कर दिया तब बताया गया कि यह पुलिस के लोग थे और सादे ड्रेस में आये थे। इसके बाद छात्रों ने उनके साथ कोई महिला पुलिसकर्मी न होने और छात्राओं के साथ बदसलूकी को मुद्दा बना लिया। बताया गया है कि पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लिया था। इनका चालान शांति भंग के अंदेशे में किया गया है।

डीएम से बात बेनतीजा
बुधवार की रात डीएम ने एक बार फिर से प्रतियोच्च्ी छात्रों को मनाने की कोशिश की। वह छात्रों के बीच पहुंचे और बातचीत से मसला सुलझाने की अपील की। बात करते करते हुए उन्होंने कार्रवाई शब्द का इस्तेमाल कर दिया तो छात्र भी तेवर में आ च्च्ये। नतीजा इस बातचीत का भी कोई नतीजा नहीं निकला।

डीसीपी को किया ट्रोल
गुरुवार की सुबह सादे ड्रेस में पहुंचे लोगों द्वारा छात्रों को प्रदर्शन स्थल से जबरन घसीटकर ले जाने के बाद डीसीपी सिटी ने एक बाइट की। इसमें उन्होंने उपद्रवियों शब्द का इस्तेमाल किया था। प्रतियोगी छात्रों को डीसीपी की यह बात खटक गयी। उन्होंने डीसीपी सिटी अभिषेक भारती की फोटो लगाकर ट्रोल करना शुरू कर दिया। ट्रोल करने वालों का कहना था कि यदि संवैधानिक दायरे में रहते हुए अपने हितों के लिए संघर्ष करने वाले उपद्रवी हैं तो आप भी 2018 के पहले उपद्रवी ही थी। बता दें कि डीसीपी सिटी 2018 बैच के आईपीएस हैं।

कोचिंग संस्थान सील
छात्रों के आंदोलन को कुचलने के लिए प्रशासन के स्तर पर कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। बुधवार को एक फैक्ट सामने आया था कि कुछ कोचिंग संस्थान आंदोलनकारी छात्रों के लिए खाने आदि की व्यवस्था कर रहे हैं। दृष्टि आईएसए ने तो एक्स पर पोस्ट करके छात्रों के समर्थन में कुछ तथ्य रख दिये थे। इसके बाद पुलिस और प्रशासन की त्योरी चढ़ गयी। बुधवार को करीब एक दर्जन कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी कर दिया गया। इसी क्रम में गुरुवार की सुबह संस्कृति आईएएस की बिल्डिं पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण की तरफ से एक नोटिस लगा दी गयी। इसमें कहा गया है कि अनधिकृत होने के कारण इसे सील कर दिया गया है।
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हाई कोर्ट ले जाएंगे प्रकरण
उधर, सुबह छात्रों पर हुए अत्याचार को लेकर आवाज बुलंद होनी शुरू हो गयी। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी और हाई कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत पांडेय ने एक वीडियो जारी किया। इसमें उन्होंने सुबह हुई कार्रवाई को सरकार द्वारा प्राइवेट गुंडे भेजना बताते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है। पुलिस संरक्षण में हुए इस कृत्य को उन्होंने अराजकता करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन को तोडऩे की कोशिश है। पूरे प्रदेश के छात्र इस आंदोलन से जुड़ रहे हैं। इस प्रकरण को महिला आयोग के साथ ही मानवाधिकार आयोग तक ले जाएंगे। हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की जायेगी। इसमें पुलिस कमिश्नर के साथ डीएम को पार्टी बनाया जायेगा।

बच्चों के बीच भी पहुंचा
गुरुवार को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती थी। बाल दिवस के मौके पर स्कूलों में विभिन्न प्रोग्राम आयोजित किये गये थे। इन बच्चों के बीच भी एक दिन में परीक्षा कराने और नार्मलाइजेशन समाप्त करने के स्लोगन वाला पोस्टर दिखायी दिया। इसे प्रतियोगी छात्रों के ही गु्रप में शेयर किया गया था।