प्रयागराज (ब्यूरो)। ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते के जरिए आरपीएफ हजारों बच्चों की जिंदगी बचा चुका है। ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते के जरिए आरपीएफ ने तमाम ऐसे मामलों का खुलासा किया जिनमें मामूली चूक बच्चों की जिंदगी नर्क बना देने के लिए काफी थी। सात साल पहले शुरू किया गया ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते एक रिकार्ड बना चुका है। इसका श्रेय आरपीएफ को जाता है। जिसने इस ऑपरेशन को सफल बनाया। पिछले तीन वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो आरपीएफ ने करीब दो हजार बच्चों को वापस उनके घर पहुंचाया।
ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते
तमाम छोटे बच्चे किसी बात से नाराज होकर अपना घर छोड़ देते हैं। या फिर उनका अपहरण कर लिया जाता है। इसके अलावा तमाम बच्चों को बरगला कर मजदूरी के लिए पंजाब, दिल्ली या फिर हरियाणा ले जाया जाता है। ऐसे बच्चों के लिए करीब सात साल पहले ऑपरेशन नन्हेें फरिश्ते शुरू किया गया। इस ऑपरेशन को चलाने की जिम्मेदारी आरपीएफ को दी गई। और आरपीएफ ने इस ऑपरेशन को पूरी ईमानदारी से पूरा करने का बीड़ा उठा रखा है। इस ऑपरेशन में आरपीएफ को घर छोड़कर भागने वाले बच्चों, अपहृत बच्चों और बरगला कर ले जाए जाने वाले बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी दी गई।
घर से भागे बच्चे को पकड़ा
11 जुलाई को एक 12 वर्षीय बच्चा रेलवे जंक्शन के सिटी साइड टिकट घर के पास खड़ा था। आरपीएफ के दारोगा गौरव ने गश्त के दौरान बच्चे को देखा तो उससे पूछताछ की। पहले तो बच्चे ने आनाकानी की फिर उसने अपना नाम करन, पिता का नाम सर्वेश बताया। उसने बताया कि वह फरीदाबाद के खेरीपुर का रहने वाला है। वह घर से नाराज होकर मुंबई जा रहा है। जिस पर दारोगा ने मोबाइल नंबर लेकर करन के घर वालों से सम्पर्क किया। मां ने बताया कि उसका बेटा करन घर छोड़कर चला गया है। दारोगा ने बताया कि करन प्रयागराज में रेलवे जंक्शन पर मिला है। इसके बाद आरपीएफ ने करन को चाइल्ड लाइन भेज दिया। परिजन प्रयागराज आकर करन को अपने साथ ले गए।
तीन बच्चों को भेजा चाइल्ड लाइन
सात जुलाई को रेलवे जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर छह पर तीन बच्चे आरपीएफ को मिले। पूछताछ में बच्चों ने अपना नाम मोहम्मद मिजान, मो.सूफियान और मो.इकबाल बताया। तीनों बिहार के सहरसा जिले के थाना सहरसा के बालम घडिय़ा गांव के रहने वाले थे। तीनों ने बताया कि वह मदरसे में पढ़ते थे, वहां से भाग कर आए हैं। आरपीएफ ने तीनों बच्चों से उनके परिवार का मोबाइल नंबर लिया। परिजनों को सूचना दी। इसके बाद बच्चों को चाइल्ड लाइन भेजा। वहां से परिजन तीनों बच्चों को वापस ले गए।
दो बहनों को पहुंचाया चाइल्ड लाइन
तीन जून को दो बच्चियां जंक्शन के प्लेटफार्म चार पांच पर लावारिश हाल में घूम रही थीं। आरपीएफ के दारोगा विवेक कुमार की गश्त के दौरान दोनों पर नजर पड़ी। दोनों बच्चियों को दारोगा विवेक कुमार अपने साथ आरपीएफ पोस्ट ले गए। एक ने अपना नाम रश्मि बताया जबकि दूसरी ने लक्ष्मी बताया। दोनों ने बताया कि उनकी मां की मौत हो चुकी है। दोनों बक्सर की रहने वाली हैं। दोनों को रात में उनके पिता ट्रेन में बैठाकर कहीं चले गए। इस पर आरपीएफ ने दोनों बच्चियों को चाइल्ड लाइन भेज दिया।
7 साल पहले शुरू किया ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते.
2022 में 1020 बच्चों को बचाया.
2023 में 805 बच्चों को बचाया.
2024 में 224 बच्चों को बचाया.
ऑपरेशन नन्हें फरिश्ते के तहत बच्चों को बचाकर उनके परिजनों को सूचना दी जाती है। ऐसे बच्चों के ट्रेन या जंक्शन से पकड़े जाने पर उन्हें चाइल्ड लाइन भेज दिया जाता है।
शिवकुमार सिंह
इंस्पेक्टर आरपीएफ