प्रयागराज (ब्यूरो)। बेली शहर का तीसरा बडा सरकारी अस्पताल है। यहां रोजाना ढाई हजार मरीजों की ओपीडी होती है। दो दर्जन के आसपास सर्जरी की जाती है। लेकिन पिछले बीस दिनों से यहां सन्नाटा पसरा है। इसे प्रशासन ने लेवल टू कोविड अस्पताल बना दिया है। जिसके बाद यहां आम मरीजों की एंट्री बंद कर दी गई है और केवल कोरोना मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
दूसरे अस्पतालों में जाने को मजबूर
जो मरीज बेली में खुद को दिखाने आते थे वह अब मजबूरी में एसआरएन व काल्विन अस्पताल जा रहे हैं। इसकी वजह से इन दोनों अस्पतालों पर लोड बढ़ गया है। यहां पर रोजाना तीन से चार हजार मरीजों की ओपीडी हो रही है। डॉक्टर्स के चैंबर में लंबी लाइन लगने से सभी मरीजों को उचित समय नही मिल पा रहा है। महज दो मिनट के भीतर डॉक्टर मरीजों को देखकर दवा लिख दे रहे हैं।
इन सुविधाओं से वंचित मरीज
रोजाना दो दर्जन सर्जरी होती थी, वर्तमान में यह बंद हैँ।
एक दिन में ढाई हजार मरीज ओपीडी में मरीज आते थे।
एक दर्जन एमआरआई होती थी लेकिन अब लोग कोरोना के डर से नही आ रहे।
सीटी स्कैन और डिजिटल एक्सरे आम मरीजों के लिए बंद है।
रोजाना डेढ़ से दो सौ जांच होती थी जो अब नही हो रही हैं।
चार मरीजों के लिए इतना संसाधन
226
बेड का अस्पताल है जहां 222 बेड खाली पड़ेे हैं।
35
डॉक्टर अस्पताल में तैनात हैं जिनकी ओपीडी बंद पड़ी है।
70
से अधिक नर्स हैं जिनके पास देखने को मरीज नही हैं।
90
से अधिक वार्ड ब्वॉय सहित अन्य स्टाफ हैं जिनके पास अभी कोई काम नही है।
क्या है सुझाव
हेल्थ एक्सपट्र्स की माने तो वर्तमान में कोरोना की तीसरी लहर अधिक घातक नही है, ऐसे में सभी मरीज लेवल वन के हैं। इनको कोटवा या फूलपुर में शिफ्ट किया जा सकता है। ऐसा करके बेली को आम मरीजों के लिए संचालित किया जा सकता है। वर्तमान में 99 फीसदी मरीज होम आइसोलेशन में है। अस्पतालेां में मरीज भर्ती नही होना चाह रहे हैं। उनकी ऐसी कंडीशन भी नही है।
अभी हमारे पास कुल चार मरीज हैं और सभी पूरी तरह स्वस्थ हैं। इनको आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नही है। यह जल्द ही डिस्चार्ज होकर अपने घर चले जाएंगे। प्रशासन के अगले आदेश पर ही कोई कार्रवाई की जा सकेगी।
डॉ। एमके अखौरी
अधीक्षक, बेली अस्पताल प्रयागराज