प्रयागराज ब्यूरो । जिस तरह से ऑनलाइन शापिंग का क्रेज बढ़ा है, उसी तेजी से फ्राड के मामले भी बढ़ रहे हैं। तमाम सोशल मीडिया साइटों पर कंपनियां अपना ऐड देती हैं और जब सामान बुक कराने के बाद घर कुछ और कूरियर से पहुंचता है। पैसा भी हाथ से चला जाता है। ऐसे में लोग खुद को ठगा सा महसूस करते हैं। यह तक पता नही चल पाता कि गलती किसकी है। कंपनी और कुरियर, कोई अपने सिर जिम्मेदार नही लेता है। ऐसे में इस तरह के मामले उपभोक्ता फोरम तेजी से पहुंच रहे हैं।
एग्जाम्पल वन
चकिया के रहने वाले विनोद तिवारी ने इंस्टाग्राम पर एक कंपनी के प्रोडक्ट को सर्च किया और एक हजार में तीन टीशर्ट और दो बारमूडा मंगा लिया। एक सप्ताह बाद कुरियर से सामान भी आ गया। पेमेंट भी कर दिया गया। जब पैकिंग खोल कर देखी तो उसमें फटे हुए पुराने कपड़े भरे हुए थे। यह देखकर विनोद के होश उड़ गए। कंपनी को फोन लगाया तो सही रिस्पासं नही मिला। उन्होंने फेयर डिलीवरी बोलकर अपना पल्ला झाड़ लिया।

एग्जाम्पल टू
तुलारामबाग की रहने वाले रिया ने ऑनलाइन कंपनी से एक खिलौना बुक किया था। यह खिलौना एक फ्लाइंग ट््वाय था और इसकी कीमत एक हजार रुपए थी। जब एक सप्ताह बाद सामान आया तो इसकी पैकिंग में भी कबाड़ भरा हुआ था। खिलौने की जगह टूटा फूटा टिफिन देखकर रिया रोने लगी। बाद में कंपनी के नंबर पर फोन लगाने पर किसी ने कॉल पिक नही किया।

एग्जाम्पल थ्री
नैनी की रहने वाली सुमन ने ऑनलाइन घर की सजावट का सामान मंगवाया था। जब कूरियर आता तो उन्होंने पूरा पेमेंट कर दिया। खोलकर देखा तो उसमें कांच के पुराने टुकड़े भरे थे। उन्होंने कूरियर वाले से पैसे वापस करने को कहा ता उसने कहा कि कंपनी में कॉल करके रिटर्निंग की रिक्वेस्ट करिए तो मैं वापस ले जाऊंगा। लेकिन कंपनी ऐसा कुछ भी करने से मना कर दिया। सुमन के दो हजार रुपए भी डूब गए।

दस फीसदी तक बढ़ गए मामले
समय के साथ इस तरह के मामले दस फीसदी तक बढ़ गए हैं। क्योंकि ऑनलाइन शापिंग कर दायरा भी कोरोना के बाद दोगुना हो गया है। आजकल हर घर में ऑनलाइन शापिंग का टूल इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में फ्राड के मामलों में भी इजाफा हुआ है। तमाम कंपनियां ग्राहकों के साथ फ्राड करने में चूक नही रही हैं। प्रोडक्ट कुछ और दिखाया जाता है और भेजा कुछ और जाता है। बाद में इनके रिटर्निंग में तमाम बहाने बनाए जाते हैं।

उपभोक्ता फोरम दिला रहा मुआवजा
जिस तरह से फ्राड के मामले बढ़े हैं ऐसे में उपभोक्ता फोरम लगातार पीडि़त ग्राहकों को मुआवजा दिलाने का काम कर रहा है। इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना पड़ता है। इसके बाद मामला कोर्ट में एडमिट हो जाता है और फिर कंपनी को मुआवजा देना पड़ता है। उपभोक्ता फोरम में इस तरह के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है।

इस तरह से दायर होता है वाद
स्टेप वन- एक सपोर्टिंग एफिडेविट, शिकायती पत्र और बिल की कॉपी लगाकर तीन प्रति में इसे कोर्ट में एडमिट करना पड़ता है।
स्टेप टू- इसके बाद जितने विपक्षी होते हैं, उतनी प्रति भी कोर्ट में जमा करानी पड़ती है।
स्टेप थ्री- ई दाखिल पोर्टल से शिकायत पंजीकृत होती है। इसके जरिए ऑनलाइन वाद दायर किया जा सकता है। पोर्टल पर ऑनलाइन प्रक्रिया का वीडियो भी डाला गया है।

कब लगती है कितनी फीस
पांच लाख तक कम्पंसेशन के मुकदमे में कोई फीस नही लगती है।
5 से 10 लाख तक दो सौ रुपए कोर्ट फीस।
10 से 20 लाख तक वाद में 400 रुपए कोर्ट फीस।
20 से 50 लाख वाद में 1000 कोर्ट फीस।
50 लाख से अधिक वाद लखनऊ में दायर किया जाता है।
नियमानुसार छह माह में वाद का निस्तारण कराया जाना जरूरी होता है।

समय के साथ लोगों में ऑनलाइन शापिंग का शौक भी बढ़ा है। लेकिन इसके साथ ही समस्याए भी बहुत आ रही हैं। लोगों का आरोप होता है कि उन्होंने जो सामान मांगा था वह नही आया, उनके साथ चीटिंग हुई है। ऐसे मामलों को उपभोक्ता फोरम में दायर कराकर उनको कम्पन्सेशन दिलाया जाता है।
पंकज त्रिपाठी, अधिवक्ता

लोगों को भी जागरुक होना होगा। क्योंकि बहुत से कंपनियां ऐसा फ्राड करने में काफी आगे हैं। प्रयागराज मं 50 लाख तक के मुकदमे दायर हो जाते हैं। इससे अधिक के मुकदमों के लिए लखनऊ में जाना पड़ता है।
गौरव मिश्रा, अधिवक्ता