प्रयागराज (ब्यूरो)। प्राइमरी स्कूलों से लेकर कॉलेजों तक सभी को 23 तक फिजिकली पढ़ाई बंद रखने के आदेश उप्र के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के मामलों की रोकथाम के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। लेकिन इन संस्थानों में ऑनलाइन कक्षाएं जारी रहेंगी। जिससे पढ़ाई यथावत चलती रहे। इसके पहले 16 जनवरी तक शैक्षणिक संस्थानों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर शासन भी सतर्क हो चला है। इसके पहले चुनाव आयोग ने भी 22 जनवरी तक किसी भी तरह की रैली या सभाएं आयोजित करने पर रोक लगा दी है। यह भी कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं।

हाईकोर्ट में भी संक्रमण का खतरा

कोरोना संक्रमण का प्रकोप निरंतर बढ़ रहा है। इसे देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश ङ्क्षबदल ने सभी अनुभाग अधिकारियों/सुपरवाइङ्क्षजग अधिकारियों को निर्देश दिया है कि एक दिन के अंतराल पर 50 प्रतिशत स्टाफ से इस तरह काम लें कि किसी सीट का कार्य न रुकने पाये। निबंधक न्यायिक द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि जिस किसी अधिकारी को बुखार हो तुरंत कोविड जांच कराएं।

परिसर में नशा हुआ प्रतिबंधित

हाईकोर्ट परिसर व लखनऊ खंडपीठ परिसर में शराब पीकर, पान, गुटका व तंबाकू खाकर आने को प्रतिबंधित कर दिया गया है। साथ ही गंभीर बीमारी से पीडि़त अधिकारियों को इसकी सूचना न्यायालय प्रशासन को देने को कहा गया है, जिससे ऐसे लोगों को ड्यूटी पर तैनाती से छूट दी जा सके। यह सूचना लखनऊ पीठ के सीनियर रजिस्ट्रार वह इलाहाबाद के रजिस्ट्रार न्यायिक को दी जाय। अनुभाग अधिकारी को यह छूट दी गई है कि अतिआवश्यक होने पर घर पर बैठे स्टाफ को काम के लिए बुला सकते हैं। सभी स्टाफ टेलीफोन या इलेक्ट्रानिक उपकरणों के जरिए अपने अनुभाग से संपर्क बनाये रखें। इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश ने यह आदेश प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के 10 जनवरी के अनुरोध पत्र पर दिया है। जिसमें कोरोना संक्रमण की चेन ब्रेक करने के लिए 50 प्रतिशत स्टाफ से काम लेने का अनुरोध किया गया है।