प्रयागराज ब्यूरो । अंगदान को महादान कहा गया है। एक डोनर यानी अंगदाता अपने शरीर के विभिन्न अंगों से आठ लोगों की जान बचा सकता है। लेकिन नार्थ इंडिया में लोग अंगदान को लेकर जागरुक नही हैं। इसके चलते बहुत से लोगों की जान चली जाती है। 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस है, इसके उपलक्ष्य में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन अभियान चलाकर लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित और जागरुक करेगा।
ब्रेन डेड मरीजों के डोनेशन की जरूरत
इस संबंध में शनिवार को एएमए की ओर से प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें सीनियर गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट डॉ। रोहित गुप्ता ने कहा कि साउथ इंडिया में लोग अंगदान को लेकर जागरुक हैं, लेकिन नार्थ में इसकी बहुत कमी है। लोग जागरुक नही हैं। खासकर ऐसे मरीज जिनका ब्रेन डेड हो चुका है और डॉक्टर परिजनों को सॉरी बोल चुके हैं और उनके बाकी अंग भी काम कर रहे हैं। ऐसे मरीज को परिजन वेंटीलेटर पर रखे रहते हैं। अगर वह चाहे तो ब्रेन डेड मरीज के अंगदान कर समाज का भला कर सकते हैं। उनके अंगदान से कई मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।
दो तरह से होता है अंगदान
इस दौरान डॉ। गुप्ता ने कहा कि अंगदान दिवस को एएमए जागरुकता पखवाड़े की तरह मनाएगा। उन्होंने बताया कि दान किए गए अंग को ट्रांसप्लांट के जरिए मरीज के शरीर में लगाया जाता है। बताया कि दो तरह के अंगदान होते हैं। जीवित और मृत अंगदान। जीवित में मरीज को उसके निकट संबंधी या दूर के रिश्तेदार अंगदान कर सकते हैं। इनमें पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, भाई, बहन, माता-पिता, दादा, दादी और पोते-पोतियां शामिल हैं। मृत अंगदान में ब्रेन स्टेम डेड व्यक्ति की मृत्यु के बाद अंगदान किया जा सकता है।
मृत अंगदान के क्या हैं नियम
- चार डॉक्टरों का एक पैनल जिनमें दो सरकार द्वारा अनुमोदित पैनल से होने चाहिए। उनको ब्रेन स्टेम डेथ घोषित करने की आवश्यकता होती हे।
- इस पैनल द्वारा मरीज का दो परीक्षण किया जाता है, दोनों के बीच छह घंटे का अंतराल होता है।
- नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है। पैनल के किसी सदस्य को अंग प्रत्यारोपण से किसी प्रकार की दिलचस्पी या लाभ नही होना चाहिए।
- अंत में अस्पताल के अधीक्षक या निदेशक कागज की जांच कर उन पर साइन करना होता है। इसके बाद अंगदान की प्रक्रिया पूरी होती है।
इन अंगों या ऊतकों का होता है प्रत्यारोपण
- लीवर
- किडनी
- पैंक्रियाज
- हार्ट
- लंग्स
- आंत
- कार्निया
- मध्य कान
- स्किन
- हड्डी
- अस्थि मज्जा
- हार्ट वाल्व