मसला पारिवारिक हो या फिर कोई और कोविड के इस फुर्सत भरे माहौल में कुरेद रहे हैं लोग
घरों में बैठे-बैठे लगातार एक ही समस्या को सोचने से जीवन के प्रति बढ़ रही निगेटिव थॉट
PRAYAGRAJ: कोरोना काल में पुराने जख्म से लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। यही डिप्रेशन सुसाइड के कारण बन रहे हैं। इन दिनों जिले में सुसाइड के केस तेजी से बढ़े हैं। आधा दर्जन से अधिक लोग चार दिनों के भीतर सुसाइड कर चुके हैं। सुसाइड करने वाले इन लोगों में ज्यादातर समस्याएं पारिवारिक बताई गई हैं। मनोचिकित्सक कहते हैं कि ऐसे वक्त में सुसाइड मार्कर टेस्ट के जरिए मनोदशा समझ कर लोग अपनों को बचा सकते हैं। इनकी मानें तो सुसाइड पूर्व लोगों में लक्षण नजर आने लगते हैं। इसे जानने व समझने के लिए तीन बिन्दुओं पर गौर करना चाहिए।
सबसे ज्यादा सिटी में सुसाइड
सुसाइड करने वालों में सबसे ज्यादा लोगों की तादाद शहर में देखने को मिली।
शुक्रवार को कर्नलगंज के पुराना कटरा में संजय सिंह नामक व्यक्ति ने फांसी लगाया।
उसकी पत्नी कुछ दिन पूर्व बच्चों संग विवाद बाद मायके चली गई थी। पुलिस इसी बात को लेकर उसे डिप्रेशन में बताई थी।
नए पुल से यमुना में कूद कर मुट्ठीगंज महिला पूनम श्रीवास्तव ने सुसाइड कर लिया था।
पड़ताल बाद कीडगंज पुलिस द्वारा सुसाइड की वजह पारिवारिक मसला बताया गया था।
इसी दिन करेली के 60 फीड रोड निवासी मो। आसिफ ने बबूल के पेड़ के सहारे फांसी लगाया था।
पुलिस को उसकी लटकती हुई बॉडी मिली थी। शनिवार को उसकी पहचान हुई तो पुलिस को मालूम चला कि वह भी काफी दिनों से घरेलू मसलों से को लेकर काफी डिप्रेशन में था।
इसी रोज फांसी लगाने वाले सेना के जवान महेंद्र सिंह की कैंट एरिया में मिलिट्री हॉस्पिटल में मौत हुई थी। जम्मू काश्मीर निवासी महेंद्र सीओडी छिवकी में तैनात थे।
इसी तरह शिवकुटी न्यू मेहदौरी निवासी असद अहमद ने भी घर के अंदर सुसाइड कर लिया था। शनिवार को घर से दुर्गध आने के बाद लोग मां संग ननिहाल में रहने वाले बेटे अनस को जानकारी दी थी। बेटे के पहुंचने के बाद उसकी बॉडी दरवाजा तोड़ कर निकाली गई थी।
सुसाइड का सिलसिला यहीं नहीं था। इस कोरोना कॉल में नवाबगंज के मधेशा गांव घर के अंदर 28 वर्षीय महिला आशा देवी ने भी फांसी लगा ली थी।
इसकी सुसाइड की वजह भी पुलिस द्वारा पारिवारिक कारण बताई गई थी। रविवार को भी सरायइनायत के जगबंधन गांव के पास एक 30 वर्षीय युवक की बॉडी पेड़ से लटकती हुई मिली।
हालांकि उसकी पहचान देर शाम तक नहीं हो सकी थी। थाना पुलिस का मानना है कि उसने सुसाइड किया है।
क्या है सुसाइड मार्कर टेस्ट
- सुसाइड मार्कर टेस्ट में व्यक्ति के अंदर तीन प्रकार के लक्षण अहम परिलक्षित होते हैं, इसे लोग खुद समझ सकते हैं
- सुसाइड जैसी धारणा मन में आने पर व्यक्ति के इमोशन नेचर में चेंज आता है, वह इसे लेकर निगेटिव बातें करता है।
- दूसरा यह कि उसके बातचीत का लहजा भी बदल जाता है, ऐसे में वह जीवन को लेकर निराशा भरी बातें करता है।
- सुसाइड मार्कर टेस्ट सिद्धांत कहता है तीसरा लक्षण यह है कि व्यक्ति के व्यवहार में नकारात्मकता आ जाती है
- इसे यूं समझिए कि डिपे्रशन से घिर कर सुसाइड की सोच रहे व्यक्ति के इमोशन, बातचीत व व्यवहार बदल जाते हैं।
- ऐसे में बातें करते-करते उसका रोने लगना, मरने की बातें करना, अलसाए हुए भाव से खुद को अकेला बताना
कोविड बढ़ा रहा डिप्रेशन
मनोचिकित्सक कहते हैं कि इन दिनों सुसाइड के बढ़ते केस की वजह पुराने जख्म भले हों, पर वजह कोविड प्रेशर ही है। बताते हैं कि आम दिनों में लोग तमाम समस्याओं से समझौते करके जूझते रहते हैं। एक दूसरे के बीच बैठकर वक्त बिताते हैं। ऐसे में उन पर पुराने दर्द या समस्याएं बहुत हावी नहीं हो पातीं। कोरोना काल में क्या है कि लोग एक दूसरे मिल नहीं पा रहे। लॉकडाउन व कोविड के डर से लोग घरों में हैं। घरेलू समस्याएं वे अपनों से शेयर नहीं कर पा रहे। ऐसे में वह पुराने जख्मों को बैठे-बैठे कुरेद रहे हैं। यह स्थिति उन्हें डिप्रेशन बढ़ा रही है। ऐसे हालात में न संभल पाने वाले लोग सुसाइड का रास्ता अख्तियार कर रहे।
आम दिनों में लोग जो समस्याएं दबी होती है, आज के जैसे हालात में वह उभरने लगती हैं। इसे मनोचिकित्सा फील्ड में मेंटल ब्रेक डाउन कहा जाता है। सुसाइड केस बढ़ने के पीछे भी कोराना कॉल में यही हालत बड़े कारण हैं।
डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक