प्रयागराज ब्यूरो । प्रदेश के प्राइमरी से लेकर उच्चतर शिक्षा संस्थानों में नियुक्ति अब एक ही आयोग के जरिए होगी। उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने मंगलवार को प्रयागराज में उप्र शिक्षा सेवा आयोग का गठन करने को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस संबंध में प्रस्ताव विधानमंडल में पेश किया जायेगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसके औपचारिक गठन की अधिसूचना जारी होगी। नए आयोग के अस्तित्व में आने के बाद माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से उच्चतर शिक्षण संस्थानों में होने वाली नियुक्तियां भी शिफ्ट हो जाएंगी। प्रतियोगी छात्रों ने कैबिनेट के फैसले का स्वागत किया है साथ ही मांग भी उठायी है कि इससे संबंधित प्रस्ताव को मानसून सत्र में सदन में पास कराया जाय ताकि जल्द से जल्द इसका गठन हो सके। नए आयोग के अस्तित्व में आने के बाद ही माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग में रिक्त पांच हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति का रास्ता खुल जाएगा।
1982
में हुआ था माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन
1980
में हुई थी उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की स्थापना
01
अध्यक्ष होगा शिक्षा सेवा आयोग में
12
सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी आयोग में
05
साल का कार्यकाल होने की संभावना
प्रयागराज में ही होगा मुख्यालय
मंगलवार को यूपी कैबिनेट ने नए आयोग के गठन को मंजूरी देने के साथ इसका मुख्यालय प्रयागराज में ही रखने को भी मंजूरी दी है।
यह आयोग प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालयों हित विवि व संघटक कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती करेगा।
इसके अलावा परीक्षा नियामक प्राधिकारी की टीईटी, सुपर टीईटी, संस्कृत परिषद और मदरसा परिषद की टीचर्स भर्ती व बेसिक शिक्षा परिषद की भर्तियों की जिम्मेदारी उठाएगा।
यहां कुल बारह सदस्य और एक अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी।
इनमें छह-छह सदस्य माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के होंगे।
अभी तक प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक भर्ती का आयोजन उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा की जाती है।
उप्र शिक्षा सेवा आयोग के गठन के बाद माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग समाप्त हो जाएंगे।
इनके पास केवल चयन का अधिकार है। एकेडमिक नही होने से इनका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
इसकी जगह बेसिक शिक्षा परिषद, संस्कृत परिषद, मदरसा परिषद और परीक्षा नियामक प्राधिकारी अपनी जगह बने रहेंगे।
इनका चयन छोड़कर एकेडमिक वर्क चलता रहेगा।
इतिहास बन जाएंगे दो संस्थान
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उत्तर प्रदेश का गठन 1982 में उप्र अधिनियम संख्या 5 के तहत हुआ था। इसमें एक अध्यक्ष और दस सदस्य रखे गए थे। इस बोर्ड के पास माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1921 के अन्तर्गत मान्यताप्राप्त शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों, प्रधानाचार्यों, व्याख्याताओं, मुख्य-शिक्षकों तथा एलटी ग्रेड शिक्षकों के चयन का अधिकार है। इसका मुख्यालय वर्तमान में एलनगंज एरिया में है। बता दें कि पूर्व में इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त हाई स्कूल और माध्यमिक संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम, 1921 और उसके तहत बनाए गए नियमों द्वारा शासित होती थी। बाद में महसूस किया गया कि अधिनियम और विनियमों के प्रावधानों के तहत शिक्षकों का चयन कभी-कभी स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होता है। इसलिए बोर्ड के गठन को मंजूरी दी गई।
उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-200 के अन्तर्गत राज्यपाल द्वारा उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग विधेयक-1980 को स्वीकृति प्रदान किये जाने के बाद एक अक्टूबर 1980 को उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की स्थापना हुई। यह एक निगमित निकाय है जिसने एक नवम्बर 1982 से कार्य करना प्रारम्भ किया था। आयोग में अध्यक्ष के अतिरिक्त छह सदस्य नियुक्त किये जाने का प्राविधान है। अध्यक्ष का कार्यकाल पांच साल और अधिकतम 68 साल की आयु तक नियम है। सदस्यों का कार्यकाल भी पांच साल है। इस आयोग के जरिए राज्य विश्वविद्यालयों व उनके संबद्ध कॉलेजों में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति किया जाना है।
उप्र शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन को कैबिनेट द्वारा मंजूरी दिए जाने का प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति स्वागत करती है। गठन की संपूर्ण प्रक्रिया अविलंब पूर्ण कर लंबित 1.75 लाख शिक्षक भर्ती की जल्द अधिसूचना जारी किया जाए।
प्रशांत पांडेय
मीडिया प्रभारी, प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति
नए आयोग के गठन की मंजूरी मिल गई है। जल्द ही एग्जाम होंगे और रिक्त पड़े हजारों पदों पर नियुक्तियां होंगी। उम्मीद है कि सरकार की इस पहल से स्कूल-कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
जीतेंद्र यादव
यूपी टीजीटी, पीजीटी जीव विज्ञान संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष
इस आयोग के गठन से केवल माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग का अस्तित्व समाप्त होगा। बाकी परिषद अपने एकेडमिक कार्यों को पूरा करेंगे। सरकार के इस कदम से एक लाख से अधिक शिक्षक भर्तियों को भरने में मदद मिल सकती है।
डॉ। हरिप्रकाश यादव
शिक्षक नेता