- कोरोना महामारी के कारण रिसर्च स्कॉलर के सामने खड़ी हुई मुसीबत
- चार साल बाद भी नहीं पूरा हो सका रिसर्च
- चार साल तक ही मिलता है स्टाइपेंड, एक साल ले बढ़ा कोरोना
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PRAYAGRAJ: हाल में ही रिसर्च स्कॉलर के लिए यूनिवर्सिटी ओपेन कर दी गई है। लेकिन पिछले 11 महीनों से शिक्षण संस्थाओं के बंदी का असर सीधे तौर पर रिसर्च पूरा करने के टाइम पर दिखने लगा है। बता दें यूजीसी की ओर से रिसर्च पूरा करने के लिए चार साल का समय निर्धारित किया गया है। इस दौरान स्कालॅर को रिसर्च के लिए जरूरी सामान खरीदने से लेकर अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए स्टाइपेंड भी मिलता है। अमूमन रिसर्च स्कॉलर इन चार सालों में ही अपना रिसर्च पूरा भी कर लेते हैं। लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण रिसर्च जहां एक ओर समय पर पूरा नहीं हो सका वहीं मिलने वाला स्टाइपेंड भी रूक गया है। रिसर्च स्कालर का कहना है कि सरकार को चाहिए कि जब वह रिसर्च पूरा करने के लिए एक्सटेंशन दे रही है, तो स्टाइपेंड पर भी ध्यान देकर उसे भी कंटीन्यू करें। फील्ड व लैब वर्क का नहीं मिला समय
विभिन्न विषयों में रिसर्च कर रहे स्कॉलर और उनके गाइड ने बताया कि रिसर्च में स्कॉलर को जरूरत के हिसाब से लैब और फील्ड में जाना पड़ता है। साथ ही अपने डाउट्स को दूर करने के लिए सुपरवाइजर से कंसल्ट करना रहता है, लेकिन पिछले 11 महीनों से वह इन चीजों को पूरा नहीं कर सके। वहीं सुपरवाइजर से भी रिसर्च स्कॉलर को फोन पर ही बात करने की सुविधा थी। जिस कारण समय से रिसर्च पूरा होने में प्रॉब्लम हुई है। साथ ही फील्ड में जाकर रिसर्च करने वाले स्कॉलर के पास कोई आप्शन नहीं मिला। सबसे ज्यादा उन रिसर्च स्कॉलर को दिक्कत हुई। जिनका तीन साल पूरा हो चुका था और वह चौथे साल में रिसर्च पूरा करने के करीब थे।
थ्योरिटकल व प्रैक्टिकल बेस है रिसर्च
- थ्योरिटकल रिसर्च के स्कॉलर अपना लिट्रेचर इकट्ठा कर लेते हैैं।
- लेकिन साइंस के स्कॉलर को लैब जाना अनिवार्य होता है।
- ऐसे में बाद में प्रैक्टिकल के लिए लैब नहीं मिला।
- ऐसे में रिसर्च के वर्क को पूरा करने पर काफी असर पड़ा।
- चार साल से ज्यादा यूजीसी स्टाइपेंड नहीं देती है।
- जिसका तीन साल पूरा हो गया, वह इस बार काम नहीं कर पाया।
- ऐसे में उनका स्टाइपेंड खत्म हो गया और काम भी पूरा नहीं हो सका। - आखिर के समय में रिसर्च को एवार्ड कराना, थिसिस पूरा करना, रिसर्च पेपर पब्लिश जैसे कार्य के लिए सबसे अधिक पैसों की जरूरत होती है।
- 21 जुलाई से यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार पीएचडी पूरी होनी चाहिए। ऐसे में रिसर्च स्कॉलर का टाइम खराब होने से काफी नुकसान होगा।
डॉ। संतोष सिंह राठौर, एयू
- रिसर्च का कार्य पिछले करीब एक साल से बंद है। अचानक से शुरू होने के बाद भी रिसर्च पूरा होने में कम से कम एक साल लगेगा। एक्सटेंशन देने के साथ ही स्टाइपेंड भी जारी रखे।
डॉ। जितेन्द्र शुक्ला
गेस्ट फैकेल्टी एयू एंड प्रांत शोध छात्र कार्य प्रमुख अभाविप, काशी प्रांत