प्रयागराज ब्यूरो । मदरसे में नकली नोट छापने वाले भले ही जेल की सलाखों के पीछे चले गए हों, मगर अब यह मामला जल्द ठंडा होता नहीं दिख रहा है। एक तो पहले से ही नकली नोट छापने का जुर्म और उस पर तुर्रा ये कि मदरसे से आपत्तिजनक साहित्य भी मिला है। आपत्तिजनक साहित्य ने इस मामले में इंटेलीजेंस एजेंसियों को भी शामिल कर दिया है। हाल फिलहाल अब आगे की जांच के लिए पुलिस अरोपितों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की तैयारी में है। पूछताछ में मामला सही पाए जाने पर अन्य गंभीर धाराएं मुकदमें में बढ़ाई जा सकती हैं।

ये है मामला
सिविल लाइंस पुलिस ने जाहिर खान और मोहम्मद तफसीरुल को पचास रुपये के नकली नोट के साथ गिरफ्तार किया। दोनों से पूछताछ की गई तो सारा राज परत दर परत खुलता चला गया। पुलिस को पता चला कि जाहिर खान आजाद बस्ती थाना वासुदेवपुर जनपद भदसर उड़ीसा का रहने वाला है। जबकि मोहम्मद तफसीरुल आरीफिन अतरसुइया का रहने वाला है। तफीसरुल ने अपना परिचय बताया कि वह मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम अतरसुइया का प्रिंसिपल है। इसके बाद दोनों ने बताया कि नकली नोट का छापाखाना मदरसे के एक कमरे में चल रहा है। इस पर पुलिस ने वहां छापा मारा। पुलिस को एक लैपटॉप और नोटों की छपाई करने वाली मशीन मिली।
पिं्रसिपल करता था बच्चों का ब्रेनवॉश
पुलिस ने जब दबिश दी तो वहां पर कमरे में नोटों की छपाई करने वाली मशीन के अलावा आपत्तिजनक साहित्य भी मिला। जिसमें एक संगठन को लेकर आपत्तिजनक बातें सामने आई हैं। आपत्तिजनक साहित्य में एक किताब मिली है। इसी किताब के हवाले से मदरसे का प्रिंसिपल बच्चों को पढ़ाता था। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच चल रही है।

इंटेलीजेंस एजेंसियों ने बढ़ाई सक्रियता
मदरसे में आपत्तिजनक साहित्य मिलने और बच्चों का ब्रेनवॉश किए जाने का मामला खुलने के बाद इंटेलीजेंस एजेंसियों की सक्रियता बढ़ गई है। एजेंसियों की टीम मदरसे के आसपास से गुपचुप तरीके से इनपुट ले रही है। अगर मामला यूं ही बढ़ता रहा तो आरोपितों की मुश्किलें बढऩे से इंकार नहीं किया जा सकता है।

बच्चों से ली जा सकती है जानकारी
इस केस को मजबूत करने के लिए मदरसे में पढऩे वाले बच्चों से प्रिंसिपल के बारे में जानकारी ली जा सकती है। प्रिंसिपल बच्चों को क्या पढ़ाता था, उसका टॉपिक क्या रहता था, इस पर जानकारी मिलने के बाद प्रिंसिपल और उसके साथियों के खिलाफ केस में और गंभीर धाराओं को बढ़ाया जा सकता है।