प्रयागराज (ब्यूरो)। पोषण पाठशाला में विभागीय अधिकारियों के अलावा विभिन्न विषयों के जानकारी जुड़ेंगे और वह केद्रों से पूछे जाने वाले सवालों का जवाब देंगे। बता दें कि इस इस पाठशाला से 4499 आंगनबाड़ी केंद्रों को ऑनलाइन जोड़ा जाएगा। इस कार्यक्रम को लाइव भी किया जायेगा। इस दौरान महिलाओं को स्तनपान के महत्व के बारे में बताया जाएगा। साथ समाज में इससे जुड़ी भ्रामक चीजों की सच्चाई भी बताई जाएगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
बाल विकास परियोजना अधिकारी अरविन्द व्यास ने बताया कि बच्चों के लिए मां का दूध दवा के समान माना गया है। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए यह आवश्यक है कि नवजात शिशु को जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान जरूर कराया जाए। छह माह की आयु तक केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। मां एवं परिवार को लगता है कि स्तनपान शिशु के लिए पर्याप्त नही है और वह शिशु को अन्य चीजें जैसे कि घुट्टी, शरबत शहद, पानी पिला देती हैं जोकि गलत प्रभाव डालता हैं। स्तनपान से ही शिशु की पानी की भी आवश्यकता पूरी हो जाती है।
इनका जुडऩा अनिवार्य
इस कार्यक्रम से आंगनबाड़ी केंद्रों को जुडऩे की अपील की गई है। अधिकारियों ने बताया कि विभाग स्तर से तैयारी करने के लिए सभी 22 सीडीपीओ, 93 सुपरवाईजर मुख्यसेविकाएं, 4499 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को भी वेब लिंक से जुडऩे का निर्देश दे दिया गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता विभाग से मिले स्मार्टफोन के जरिये कार्यक्रम से जुड़ेगी। इसके साथ ही केन्द्रों पर पंजीकृत गर्भवती व धात्री महिलाएं एवं उनके परिवार के सदस्य भी इस कार्यक्रम से जुड़ेगे। हर आंगनबाड़ी केंद्र से लगभग 10-15 लाभार्थी को कार्यक्रम से जोडऩे के निर्देश दिए गए हैं।
सभी लाभार्थियों और आंगनबाड़ी केंद्रों को वेब लिंक से जुडऩे को कहा गया है। जिससे स्तनपान जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अधिक से अधिक लोगों में जागरुकता फैलाई जा सके।
मनोज राव जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रयागराज