लूट व चोरी में पकड़े जा रहे ज्यादातर अभियुक्तों की उम्र है 18 से 25 साल

जेहन में गिरफ्तारी ही नहीं समाज में बदनामी का भी नहीं है इनमें भय

PRAYAGRAJ: जिले की पुलिसिंग में कुछ तो गड़बड़ है। क्योंकि यहां अपराधियों की नर्सरी तेजी से बढ़ रही है। तमाम युवाओं के कदम अपराध की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें न तो पुलिस का डर दिखाई दे रहा और न ही बेइज्जती का अहसास है। यह स्थिति ऐसे माहौल में है, जब अपराधी पकड़े भी जा रहे हैं और मुठभेड़ भी हो रही है। गिरफ्तारी और मुठभेड़ के बाद पुलिस खुद की पीठ भले ठोक रही हो, पर पब्लिक सिचुएशन को कुछ और ही नजरिए से देख रही है। हाल ही में पकड़े गए तमाम लुटेरे व चोरों में ज्यादातर की उम्र 18 से 25 के बीच आंकी गई। वारदात को अंजाम देने वालों छात्र भी शामिल रहे। इसकी एक बड़ी वजह परी समाज शास्त्री प्रकाश डालते हैं।

केस 1

करेली पुलिस व एसओजी टीम द्वारा रविवार को दो बाइक चोर पकड़े गए। एक विधि तो दूसरा बीकॉम का छात्र था। दोनों एक दो नहीं बल्कि 11 बाइक की चोरी उन लोगों ने शहरी क्षेत्र से की थी। विधि छात्र ने खुद को डॉक्टर का बेटा बताया था। एक के बाद एक बाइक चोरी करते समय इनमें पुलिस या गिरफ्तारी का तनिक भी खौफ नहीं रहा। इस बात की भी चिंता नहीं रही कि पता चलने पर मां बाप और समाज क्या कहेगा।

केस 2

एक फरवरी को मोबाइल चोर गैंग के जिन चार गुर्गो को फाफामऊ गोहरी में पकड़ा गया। उनमें दो की उम्र 18 वर्ष और दो की करीब 20 साल बताई गई। आए दिन हो रही मुठभेड़ व पकड़े जा रहे अपराधियों के बारे में जानने के बावजूद इनमें पुलिस का डर न होना, लोग जिले की पुलिसिंग पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

केस-3

जनवरी माह में नैनी एरिया से हुक्काबार में आधा दर्जन के करीब युवा पकड़े गए। धुएं का छल्ला उड़ाने वालों में ज्यादातर युवाओं की उम्र 23 से 30 के अंदर की रही। जब यह हुक्का पी रहे थे तो इन्हें यह भी मालूम जरूर रहा होगा कि वे गुनाह कर रहे हैं। पुलिस उन्हें पकड़ सकती है। फिर भी पकड़े के डर से बेखौफ युवा यहां कस लगाते रहे।

बहक रहे युवाओं की खास वजह

गुनाह की तरफ बढ़ते युवाओं के कदम व गिरफ्तारी से बेखौफ होते युवाओं की इस हरकत के पीछे समाजशास्त्री कई कारण बताते हैं

कहते हैं कि पुलिस के स्ट्रिक्ट एक्शन में कमी और फरमेलिटी वाले रोल एवं मैनेजिंग सिस्टम की वजह समाज में छवि कमजोर हुई है

इससे भी बड़ी वजह यह बताते हैं कि युवाओं की बराबर अभिभावकों के द्वारा मानीटरिंग न किया जाना व उनकी बॉडी लैंग्वेज को केयर न करना

अभिभावकों की कंट्रोलिंग पॉवर कमजोर होना और काम धंधे में व्यस्त होने के नाते बच्चे क्या कर रहे हैं यह जानने की कोशिश न करना

युवाओं की फ्रैंड सर्किल पर अभिभावकों द्वारा नजर न रखा जाना और उनके रहन सहन पर गौर न करना भी एक बड़ी वजह है

बगैर रुपये दिए युवाओं के शाहखर्च होने और दोस्तों संग अक्सर पार्टी या घूमने फिरने पर अभिभावकों का साइलेंट रहना भी एक कारण है

लेवल से ऊंचे लोगों से सम्बंध रखना व उनके हावभाव और रहनसहन की कॉपी करना भी युवाओं के कदम बहने की वजह है

परिवार का एकल होना व मोहल्ले के लोगों या रिश्तेदारों की शिकायत पर अभिभावकों का उन्हीं से लड़ना भी युवाओं के बिगड़ने का कारण है

गलत कार्यो में भी अभिभावकों द्वारा पाल्यों का सपोर्ट हर स्तर पर किए जाने को भी समाजशास्त्री उनके कदम डिगने की वजह मानते हैं

समाज में तमाम तरह के लोग होते हैं। ज्यादातर लोग कॉपी राइट में रुचि रखते हैं। ऐसे लोग या युवा दूसरों की लक्जरी लाइफ को कॉपी करने की कोशिश करते हैं। असफल होने पर कुछ गुनाह के रास्ते से पूरा करने का प्रयत्‍‌न करने लगते हैं। युवाओं में अपराध की बढ़ती प्रवृत्ति की यह एक बड़ी वजह है। समस्या जो भी हो पर अभिभावकों द्वारा युवाओं की मानीटरिंग न करना भी कारण है।

प्रो। आशीष सक्सेना, समाजशास्त्री इलाहाबाद यूनिवर्सिटी