प्रयागराज ब्यूरो । इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में संचालित होने वाले प्रत्येक कोर्स में एनआरआई कोटे के तहत पांच सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। इन सीटों पर प्रवेश वर्तमान सत्र में सुपरन्यूमरिक तरीके से होगा। नेक्स्ट सेशन से कुल स्वीकृत सीटों में विलय कर दिया जाएगा। यह सीट वृद्धि शोध पाठ्यक्रमों पर लागू नहीं होगी। कोर्स के लिए पांच से अधिक आवेदक होने पर चयन प्रवेश समिति की ओर से निर्धारित नियमों के तहत योग्यता के आधार पर किया जाएगा। यह फैसला गुरुवार को सीनेट हाल में हुई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की वर्किंग कमेटी की मिटिंग में लिया गया। एनआरआई कोटे की सीटें फिक्स करने का फैसला एडमिशन की डिमांड पर लिया गया है। इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले कमेटी की मिटिंग में लिये गये।
पहले नियुक्ति पर बात
मिटिंग कीअध्यक्षता कुलपति प्रो। संगीता श्रीवास्तव ने की। इसमें विभिन्न श्रेणियों में 123 गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्त को स्वीकृति प्रदान की। इसके साथ ही, 64 शिक्षकों की नियुक्त को नियमित (कन्फर्म) किया गया है। यूनिवर्सिटी की पीआरओ प्रो। जया कपूर ने बताया कि हाल ही में संपन्न हुई विभिन्न श्रेणियों में 123 गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया में नियुक्त के परिणाम को कार्य परिषद ने स्वीकृति प्रदान कर दिया है। इसमें एक अनुभाग अधिकारी, तीन आशुलिपिक, आठ प्रयोगशाला सहायक, 19 पुस्तकालय सहायक, 31 प्रयोगशाला परिचर, 12 लाइब्रेरी अटेंडेंट, 49 कनिष्ठ कार्यालय सहायक की भर्ती को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इसके साथ ही, कार्य परिषद ने संस्कृत विभाग में दो प्रोफेसरों, अंग्रेजी, मनोविज्ञान, प्राणीशास्त्र, संस्कृत और सीबीसीएस विभागों में 10 एसोसिएट प्रोफेसरों और अंग्रेजी, मनोविज्ञान, संस्कृत, थिएटर और फिल्म और एनसीईएमपी विभागों में 52 सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति को नियमित (कन्फर्म) करने को भी मंजूरी दी।
सोशल मीडिया पॉलिसी
मिटिंग में सोशल मीडिया पॉलिसी पर भी चर्चा हुई। बता दें कि इस संबंध में रजिस्ट्रार की ओर से दिसंबर 2020 में ही एक लेटर जारी किया जा चुका है। इस लेटर को फिर से जारी करने का फैसला लिया गया। इसके तहत कुलसचिव की ओर से शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के एक आदेश जारी होगा कि बिना कुलपति की अनुमति के कोई भी इनपुट प्रेस को नहीं भेजा जाएगा। सभी प्रकार की इंफारमेशन यूनिवर्सिटी की पीआरओ के जरिये ही मीडिया से शेयर की जाएगी। यूनिवर्सिटी के कर्मचारी कुलपति की ओर से अनुमोदित के उपरांत ही सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय के बारे में लिख सकेंगे।
तो रुकेगी ग्रेच्युटी
मिटिंग में तय किया गया कि देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के मामले में डॉ। विक्रम हरिजन को चेतावनी जारी की जाए। कार्य परिषद ने यह भी मंजूरी दे दी कि यदि कोई कर्मचारी भ्रष्टाचार, यौन उत्पीडऩ, ड्यूटी पर उपस्थित न होने या विश्वविद्यालय की छवि के लिए हानिकारक किसी अन्य कार्य में लिप्त पाया जाता है तो यूनिवर्सिटी के नियम संहिता के अनुसार उस कर्मचारी को सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी का लाभ नहीं दिया जाएगा।
कमेटी गठन को मंजूरी
कार्य परिषद ने शिक्षकों की वरिष्ठता सूची से जुड़े मामलों को देखने के लिए कुलपति की अध्यक्षता में विज्ञान संकाय के डीन प्रो। बेचन शर्मा, और डीन-रिसर्च एंड डेपलपमेंट व निदेशक आईआईडीए प्रो एसआई रिजवी के साथ एक तीन सदस्यीय समिति गठित करने को मंजूरी दी है। एक फैसले में कार्य परिषद ने अर्थशास्त्र विभाग के तीन वरिष्ठ प्रोफेसरों के खिलाफ झूठी शिकायत के संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मामले में डॉ। दीपशिखा सोनकर को दिए गए कारण बताओ नोटिस और उनकी इस नोटिस के उत्तर की जांच के संबंध में प्रो। भारती दास को जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त करने को मंजूरी दे दी। इस मामले में कारण बताओ नोटिस का संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने के कारण यह निर्णय लिया गया है।
डॉ दीपशिखा को नोटिस
एक अन्य मामले में डॉ। दीपशिखा सोनकर द्वारा 90 दिनों से अधिक समय तक ड्यूटी से अकारण अनुपस्थिति के मामले में, परिषद ने प्रस्ताव पारित किया कि नियमों के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई के साथ आगे बढऩे से पहले रजिस्ट्रार की ओर से डा। सोनकर को दूसरा कारण बताओ जारी किया जाए। कुलसचिव प्रो। आशीष खरे की ओर से अध्यक्ष और उपस्थित सदस्यों को धन्यवाद देने के साथ बैठक का समापन किया गया।