कोविड बाद शुरू हुआ सेंटर

कोरोना की तीसरी लहर के बाद यह सेंटर शुरू किया गया है। इस सुविधा के जरिए हजारों मरीजों को लाभ प्राप्त होगा। बता दें कि हेपेटाइटिस बी और सी जानलेवा बीमारी है। इसका अगर समय पर इलाज नही मिले तो मरीज को दिक्कत हो सकती है। अभी तक जांच में पाजिटिव आने के बाद मरीजों को बाजार से हर महीने हजारों रुपए की दवाएं खरीदनी पड़ती थीं। जिससे उनका इलाज कराना मुश्किल हो जाता था।

जांच की सुविधा नही है उपलब्ध

हालांकि अभी इलाज की सुविधा ही मिली है। हेपेटाइटिस की जांच बेली अस्पताल में नही हो रही है। इसका सैंपल जांच के लिए वाराणसी और लखनऊ भेजा जाता है। वहां से पांच से दस दिन में सैंपल की रिपोर्ट आ जाती है। जांच में देखा जाता है कि मरीज के भीतर हेपेटाइटिस का वायरल लोड कितना अधिक है। अधिक वायरल लोड होने पर इलाज तत्काल शुरू कर दिया जाता है।

इन कारणों से होता है हेपेटाइटिस बी और सी

- अनसेफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन

- मदर से बेबी को

- एएनसी पेशेंट को रिस्क

- मल्टी पार्टनर्स के साथ सेक्सुअली रिलेशन

- निडिल पिक

लक्षण

- भूख न लगना

- कमजोरी

- बुखार

- वेट लॉस

- पेट में पानी

- खून की कमी

- शौच में ब्लड

हो जाता है कैंसर का खतरा

जानकारी के मुताबिक हेपेटाइटिस बी और सी के जरिए लीवर में इंफेक्शन फैलता है। अगर वायरल लोड बढ़ता है तो यह इंफेक्शन कैंसर में कनवर्ट हो सकता है। डॉक्टर्स का कहना है कि यही कारण है कि शुरुआती लक्षणों के आधार जांच और इलाज शुरू कराना जरूरी होता है। वहीं हेपेटाइटिस ए और ई आसानी से ठीक हो जाते हैं। इनसे लेागों को कम खतरा होता है। जबकि हेपेटाइटिस बी और सी खतरनाक श्रेणी में गिना जाता है।

हेपेटाइटिस बी और सी के फ्री इलाज की सुविधा शुरू हो गई है। जांच अभी उपलब्ध नही है लेकिन पाजिटिव आने पर इलाज मिल जाएगा। इससे मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।

डॉ। एमके अखौरी, अधीक्षक, बेली अस्पताल प्रयागराज

लक्षणों के आधार जांच कराकर इलाज कराने पर खतरा कम होता है। अभी कई मरीज ओपीडी में आते हैं। छह मरीजों का सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। पाजिटिव रिपोर्ट आने पर इलाज कराया जाएगा।

डॉ। मंसूर अहमद, फिजीशियन, बेली अस्पताल प्रयागराज