प्रयागराज (ब्यूरो)। सरकारी अस्पतालों में अब डॉक्टर और कर्मचारी अपनी मनमानी नहीं कर सकेंगे। शासन ने इसका इलाज खोज लिया है। सभी अस्पतालों की ओपीडी, पर्चा काउंटर, पैथोलाजी और एक्सरे कक्ष में हाई क्वालिटी के सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। इनके जरिए लखनऊ में बैठे अफसर एक क्लिक अस्पताल का हाल देख सकेंगे। अगर कोई कर्मचारी या डॉक्टर अपनी जगह से गायब है तो उस पर कार्रवाई भी आसानी से हो सकेगी।
बेली में लगाए गए हैं 16 कैमरे
इस अभियान की शुरुआत प्रयागराज में बेली अस्पताल से हो गई है। यहां एक सप्ताह पहले ही 16 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं। सभी ओपीडी इन कैमरों से लैस हो चुकी हैं। इसके अलावा दवा काउंटर, एक्सरे और पैथोलाजी में भी कैमरे लग गए हैं। इसके बाद ड्यूटी आवर्स में सभी डॉक्टर्स और कर्मचारी बिना कारण अपने चैंबर से गायब नजर नही आ रहे हैं। उनको डर है कि इसकी जानकारी मुख्यालय में हो गई तो कार्रवाई तय है।
हमेशा ऑन रहेंगे कैमरे
बेली अस्पताल के बाद डफरिन और काल्विन अस्प्ताल में भी सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। जल्द यह अस्पताल भी कैमरे से लैस हो जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि इन कैमरों को चौबीस घंटे तक एलर्ट मोड पर रखना होगा। इन्हे बंद नही किया जाएगा। अगर यह कैमरे बंद होते है तो इसका कारण भी बताया जाएगा। यही कारण है कि कैमरों को इंटरनेट से कनेक्ट कर दिया गया है।
अक्सर होती है फुटेज की आवश्यकता
अस्पतालों में अक्सर ऐसे कांड होते हैं जिनमें सीसीटीवी फुटेज की जरूरत पड़ती है। कभी डॉक्टर के ओपीडी में नहीं होने की शिकायत आती है तो कभी मरीज के वार्ड से गायब हो जाने के किस्से सुनाई पड़ते हैं। अक्सर हॉस्पिटल स्टाफ और तीमारदारों के बीच झगड़े के मामले भी सामने आते हैं। लेकिन जब मामला थाने या कोर्ट में पहुंचता है तो सीसीटीवी फुटेज नही होने पर घटना की असलियत पता नही चलती। कोरोना काल में बेली अस्पताल से गायब हुए कौशांबी के रामलाल के मामले में यही हुआ। दो साल में रामलाल का कही पता नही चला और एविडेंस के अभाव में कोर्ट इस मामले में कोई ठोस निर्णय भी नही ले सकी है।
अस्पताल में सप्ताह भर पहले ही सोलह कैमरे लगा दिए गए हैं। इन्हें सभी महत्वपूर्ण जगहों पर लगाया गया है। यह चौबीस घंटे ऑन रहेंगे और लखनऊ में बैठे अधिकारी इनको कभी भी देख सकेंगे।
डॉ। एमके अखौरी, अधीक्षक, बेली अस्पताल प्रयागराज