प्रयागराज ब्यूरो , बता दें कि इस साल स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रयागराज को नेशनल लेवल पर 16वां स्थान मिला है और उप्र प्रदेश में तीसरी रैंक हासिल हुई है। जबकि पिछले साल नेशनल लेवल पर हमारा शहर 26वें स्थान पर है। जानकारों का कहना है कि यह प्रदर्शन संतोषजनक है लेकिन बेहतर नही कहा जा सकता है। क्योंकि सबसे ज्यादा सवाल बसवार प्लांट की कार्यप्रणाली को लेकर उठते हैं। पता नही चलता कि वह डंपिंग प्लांट है या प्रोसेसिंग प्लांट। कूड़े का ढेर देखकर नही लगता कि यहां कूड़े की प्रॉपरली प्रोसेसिंग चल रही है। इसका असर शहर की स्वच्छता व्यवस्था पर भी पड़ता है।
प्रयागराज पर हैं दुनियाभर की नजरें
2025 में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है। जिसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं। मेले और कूड़ा निस्तारण के नाम पर केंद्र और प्रदेश की सरकार हर साल करोड़ों का बजट जारी करती है। बावजूद इसके अगर शहर का स्थान टॉप टेन में नही है तो चिंता की बात है। लोगों का कहना है कि शहर की स्वच्छता व्यवस्था पर एक बार पुन: मंथन करने की जरूरत है। भ्रष्टाचार से भी छुटकारा पाना होगा।
ऑनलाइन सर्वे में पिछड़ा शहर
स्वच्छता सर्वेक्षण में दो तरह के तरीके अपनाए जाते हैं। इसे आफ लाइन और ऑनलाइन कहते हैं। आफलाइन में केंद्र सरकार की ओर से भेजी गई टीम एक माह तक रहकर प्रत्येक वार्ड के 100-100 घरों में जाकर लोगों स्वच्छता व्यवस्था को लेकर राय मशविरा करती है। इसके साथ ही ऑनलाइन सर्वे में लोगों से विभिन्न सवालों के जवाब पूछे जाते हैं। जानकारी के मुताबिक रैंकिंग में टॉप टेन आए शहरों के मुकाबले प्रयागराज में ऑनलाइन सर्वे में महज तीस से चालीस फीसदी लोगों ने हिस्सा लिया। यहां प्रयागराज सबसे ज्यादा पिछड़ गया। अन्यथा तस्वीर कुछ और हो सकती थी।

दोनों पायदानों पर हुआ सुधार
बता दें कि हाल ही में प्रयागराज को मिलियन प्लस सिटी में देशभर में गारबेज फ्री सिटी में पहले नंबर पर स्थान प्रदान किया गया। इसके अलावा लास्ट ईयर 26 तो इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में राष्ट्रीय स्तर पर 16वां स्थान मिला है। वहीं प्रदेश स्तर पिछले साल 21वां और इस बार तीसरा पायदान मिला है।

मेरा नगर निगम से केवल एक सवाल है कि बसवार, डंपिंग ग्राउंड है या प्रोसेसिंग प्लांट। यहां की कार्यप्रणाली चिंताजनक है। कूड़े का प्रॉपर निस्तारण हो तो प्रयागराज की रैकिंग में सुधार हो सकता है।
आनंद घिल्डियाल, पार्षद कर्नलगंज

हमारे शहर के लिए यह अच्छी बता है। सफाई व्यवस्था ठीक चल रही है। हालांकि सुधार की जरूरत है क्योंकि संसाधनों के लिहाज से हम टॉप टेन में जा सकते हैं। जनता को भी जागरुक होना होगा।
मुकुंद तिवारी, पार्षद मेहंदौरी

कुंभ के नाम पर सबसे ज्यादा बजट प्रयागराज को सफाई के नाम पर मिलता है। बावजूद इसके स्थिति में अधिक सुधार नही हो रहा है। जब तक भ्रष्टाचार खत्म नही होगा तब तक जुगाड़ पद्धति से ऐसे ही औसत रैंकिंग मिलती रहेगी।
शिव सेवक सिंह, पूर्व वरिष्ठ पार्षद

देश और प्रदेश दोनों लेवल पर रैंकिंग में सुधार हुआ है। यह जनता के प्रयासों की जीत है। अगर लोग और जागरुक हो जाएं तो ऑनलाइन सर्वे के जरिए हम टॉप टेन में जगह बना सकते हैं।
अखिलेश सिंह, नगर निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष