प्रयागराज (ब्यूरो)

केवल 480 जगह लगा है सिस्टम
रेन वाटर हार्वेस्टिंग का सिस्टम फिलहाल जिले में 480 लगा हुआ है।
अभी हजारों इमारतों पर इसको लगाया जाना बाकी है।
सरकार ने रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की मानीटरिंग की जिम्मेदारी लघु सिचाई विभाग को सौंपी है।
जिसके बाद सभी शासकीय और अद्र्धशासकीय भवनों को पत्र भेजकर जानकारी मांगी गई थी।
जिसमें पता चला कि जिले में शासकीय और अद्र्धशासकीय मिलाकर कुल 7 हजार भवन मौजूद हैं
इसमें से महज 480 जगहों पर ही यह सिस्टम है।

यहां पर लगा है सिस्टम
विकास भवन, इंदिरा भवन, संगम पैलेस, एमएनएनआईटी, पीएम आवास योजना कालिंदीपुरम, मंगल बिहार आवास योजना, वसुधा विहार और जागृति विहार आवास योजना, इंडियन बैंक सिविल लाइंस, एसबीआई मेन ब्रांच, बैथनी कांवेंट नैनी, बीपीसीएल जार्जटाउन व झूंसी, ब्लॉक मुख्यालय, तीस पंचायत भवन, जसरा पालिटेकिनक।

यहां लगना है बाकी
पुलिस कार्यालय, पुलिस लाइन, पुलिस थाना व चौकी, तहसील मुख्यालय, सीएचसी, नगर पंचायत मुख्यालय, जिला पंचायत, लोक निर्माण विभाग, आईटीआई पुरुष व महिला, क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय, पालीटेक्निक हंडिया, टीबी अस्पताल, एनसीजेडसीसी, ग्राम्य विकास संस्थान बसनेहटा, आबकारी विभाग, संयुक्त शिक्षा निदेशक मंडल, एमडीआई अस्पताल, उच्च शिक्षा निदेशालय।

क्या है रेन वाटर हार्वेस्टिंग
सरकारी आदेश है कि 300 वर्ग मीटर या इससे अधिक क्षेत्रफल में बने निजी व सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग के लिए सिस्टम फिल्टर लगवाया जाता है, जिसकी कीमत छह हजार रुपये से नौ हजार रुपये तक होती है। छोटी छत के लिए यह फिल्टर सिस्टम मात्र तीन हजार रुपये में भी लग सकता है। अगर फिल्टर नहीं लगवाना है तो पानी को मेन टैंक में भेजने से पहले एक स्टोरेज टैंक या पानी की टंकी में जमा किया जा सकता है। इस टंकी में पानी कुछ समय के लिए जमा रहेगा। इसके बाद गंदा पानी नीचे बैठ जाएगा और ऊपर साफ पानी बना रहेगा। घर बनवाते समय इसे लगवाना आसान होता है।

क्यों जरूरी है यह सिस्टम
जिले के तमाम ब्लॉकों में भूगर्भ जल का लेवल काफी नीचे जा चुका है।
ऐसे में शहर डार्क जोन में आ गया है।
शहर के तमाम एरिया पीपल गांव, बेली अस्पताल, आईईआरटी ,सदर तहसील, प्रधान डाकघर, पुलिस लाइन आदि एरिया में वाटर लेवल चिंताजनक स्थिति में आ चुका है।
इसको देखते रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पर जोर डाला जा रहा है जिससे वर्षा के पानी को बचाया जा सके।

हमारी ओर से मानीटरिंग जारी है। तमाम सरकारी और गैर सरकारी भवनों को पत्र भेजकर जानकारी मांगी जा रही है। अभी तक 480 जगह सिस्टम लगा होना पता चला है।
एके सिन्हा, सहायक अभियंता, लघु सिचाई विभाग