अस्पतालों में मरीजों का चेक हो रहा है ऑक्सीजन लेवल
कम सैचुरेशन वाले मरीजों को दी जाने लगी है तरजीह
शहर के प्राइवेट कोविड हॉस्पिटल्स की मनमानी से प्रशासन भी वाकिफ हो गया है। जिसको देखते हुए तत्काल नई व्यवस्था लागू कर दी गई है। अब यहां वही मरीज भर्ती होंगे जो जिनको वाकई इलाज की दरकार होगी। कम सीरियस मरीजों को घर में रहकर इलाज करने की सलाह दी जा रही है। अगर कोई सिफारिश लगवाता है तब भी उसकी नहीं सुनी जाएगी। इस व्यवस्था में प्रत्येक हॉस्पिटल में प्रशासन की ओर से कर्मचारियों को तैनात किया गया है।
दबाव बनाकर भर्ती कराए जा रहे थे मरीज
शहर में कोविड के बढ़ते मरीजों और हॉस्पिटल्स में बेड क्राइसिस से सभी परिचित हैं। प्रशासन की ओर से लगभग एक दर्जन प्राइवेट हॉस्पिटल्स अलग से खुलवा दिए गए हैं। फिर भी मरीजों को भर्ती होने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन ने इस बारे में जानकारी ली तो हैरान करने वाली हकीकत सामने आई। पता चला कि प्राइवेट हॉस्पिटल्स में दबाव बनाकर एहतियातन कम सीरियस मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। जिसकी वजह से बेड फुल हो रहे हैं और जरूरतमंद सीरियस मरीज बेड के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
कैसे काम कर रही टीमें
प्राइवेट हॉस्पिटल्स में प्रशासन की ओर से कर्मचारियों को तैनात किया गया है।
यह लोग आने वाले मरीजों का ऑक्सीजन लेवल चेक कर रहे हैं।
जिनको वाकई आईसीयू और ऑक्सीजन की आवश्यकता है उन्हें भर्ती किया जा रहा है।
भर्ती करने से पहले मरीजों के ऑक्सीजन लेवल की फोटो क्लिक कर कंट्रोल भेजी जा रही है।
जहां से मरीज को भर्ती करने का अप्रूवल दिया जाता है। जो नार्मल मरीज हैं उन्हें घर पर वापस भेजा जा रहा है।
आरआरटी टीमें कर रही हैं डिसाइड
शहर में इस समय सौ से अधिक आरआरटी यानी रैपिड रिस्पांस टीमों को लगाया गया है।
इनका काम घर-घर जाकर कोविड मरीजों का ऑक्सीजन लेवल चेक करना है।
यह टीमें रिपोर्ट आईसीसीसी सेंटर को भेजती हैं।
ऐसी तमाम रिपोर्ट चेक करने के बाद पता चला कि ऐसे कई मरीज हैं जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 से कम था और बावजूद इसके उन्हें हॉस्पिटल्स में जगह नही दी गई।
इस रिपोर्ट का देखकर डीएम ने तत्काल प्राइवेट हॉस्पिटल्स में टीमें लगाकर चेंिकंग और मानीटरिंग करने के आदेश दिए हैं।
इन हॉस्पिटल्स भर्ती कराए जा रहे मरीज
यूनाइटेड मेडिसिटी, आशा हॉस्पिटल, प्राची हॉस्पिटल, ओझा हॉस्पिटल, विनीता हॉस्पिटल, वात्सल्य हॉस्पिटल, सृजन हॉस्पिटल। कुछ नए हॉस्पिटल खोलने की तैयारी भी स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी है।
यूनाइटेड में खुलवाए गए सौ बेड
आमतौर पर दो तरह के मरीजों को भर्ती होने की जरूरत होती है। एक वह जिनका ऑक्सीजन लेवल 80 तक होता है और यह मॉडरेट माने जाते हैं। ऐसे मरीजों को को केवल ऑक्सीजन आवश्यकता होता है। जबकि जिनको सांस लेने में अधिक तकलीफ होती है और आक्सीजन लेवल एकदम लो होता है ऐसे मरीजों को आईसीयू में वेंटीलेटर पर रखा जाता है। अभी तक देखा जा रहा था कि कम सीरियस मरीजों को दबाव में आईसीयू वार्ड में रखा जा रहा था। ऐसे में प्रशासन ने यूनाइटेड मेर्डिसिटी मे सौ बेड का अलग से ऑक्सीजन वार्ड खुलवाया है। जिससे आईसीयू पर ज्यादा दबाव न बढ़े।
आखिर एल थ्री पेशेंट जाएं कहां?
धूमनगंज एरिया के रहने वाले अनुराग खरे की एक रिश्तेदार कोविड पेशेंट होने के चलते रेलवे हॉस्पिटल में भर्ती थीं। वह रेलवे की इम्प्लाई भी थीं। रविवार को अचानक उनकी हालत बिगड़नी शुरू हो गयी। उन्हें वेंटीलेटर की जरूरत महसूस होने पर रेलवे हॉस्पिटल ने उन्हें एसआरएन के लिए रिफर कर दिया। एसआरएन में पेंशेंट भर्ती हो पाएगा या नहीं? यह स्थिति स्पष्ट किये बिना रिफर किये जाने पर श्री खरे ने एतराज जताया तो रेलवे हॉस्पिटल की तरफ से जवाब मिला कि हमारा हॉस्पिटल एल टू लेवल का है। कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार एल थ्री लेवल का पेशेंट एसआरएन रिफर किया जाना मजबूरी है। इसी के चलते उन्हें एसआरएन रिफर किया जा रहा है। इसके बाद श्री खरे एसआरएन पहुंचे ता पता चला कि वेंटीलेटर नई और पुरानी बिल्डिंग मिलाकर कुल चार वार्ड में ही उपलब्ध है और ये चारों फुल हो चुके हैं। नतीजा उनकी रिलेटिव को भर्ती नहीं किया जा सका और उन्होंने दम तोड़ दिया।
बॉडी ले जाइये घर
श्री खरे के अनुसार मौत हो जाने के बाद एंबुलेंस चालक ने बॉडी वहीं छोड़ दिया और जाने लगा। रोकने पर एंबुलेंस चालक ने जवाब दिया कि हमारी डयूटी पेशेंट को एसआरएन तक छोड़ने की थी। इसके बाद हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। आप ले जाइये बॉडी को। श्री खरे इसके बाद फिर सक्रिय हुए और अफसरों को फोन लगाना शुरू किया तब जाकर बॉडी को कोविड बॉडी डंपिंग रूम में स्टोर करवाया गया। उन्हें मंगलवार को 10 से एक बजे के बीच का टाइम एलॉट किया गया कि इस बीच बॉडी का क्रिमिनेशन होगा।
एल थ्री पेशेंट्स मांग रहे जवाब
कोविड प्रोटोकाल के अनुसार एसआरएन इकलौता अस्पताल है तो यहां एलटू और एल वन के केस भर्ती कैसे हो रहे हैं
एल थ्री पेशेंट इसी अस्पताल में रिफर किये जाएंगे, यह प्रोटोकाल में है तो यह एश्योर कौन करेगा एलटू हॉस्पिटल से रिफर होने वाला पेशेंट भर्ती कहां होगा
क्या उसे मरने के लिए एक अस्पताल से दूसरे में रिफर किया जा रहा है
इसकी मॉनिटरिंग प्रशासन की तरफ से क्यों नहीं की जा रही है
एलथ्री हॉस्पिटल के लिए रिफर होने वाले पेंशेंट को भर्ती किया जाना सुनिश्चित होना भी मॉनीटर किया जाना चाहिए
हमारी आरआरटी टीमों की रिपोर्ट है कि अधिक सीरियस मरीज घर पर पड़े है। जब प्राइवेट हॉस्पिटल के वार्ड देखे गए तो यहां पर कम सीरियस मरीजों को भर्ती पाया गया। ऐसे में हमने इन हॉस्पिटल्स में कर्मचारियों को बैठा दिया है जो यह तय करते हैं कि कौन मरीज भर्ती होने लायक है और कौन मरीज घर भेजने लायक है।
डॉ। ऋषि सहाय
नोडल कोविड 19 प्रयागराज