प्रयागराज ब्यूरो । कोरोना काल के बाद बच्चों में बुक्स पढऩे को लेकर रुझान कम हुआ है। उनकी रीडिंग हैबिट पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इसे सीएम योगी ने काफी पहले ही भांप लिया था। शायद यही कारण था कि उन्होंने छात्रों का आह्वान किया था कि वे हर दिन कम से कम एक हिंदी और एक अंग्रेजी का अखबार जरूर पढ़ें। अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (सीबीएसई) ने भी इस दिशा में कदम आगे बढ़ा दिया है। स्कूल गोइंग स्टूडेंट्स में बुक्स के प्रति इंट्रेस्ट क्रिएट करने पर फोकस वर्किंग करने पर काम शुरू कर दिया है। बोर्ड ने लाइब्रेरी के महत्व और स्टूडेंट की किताब पढऩे की आदत को बढ़ावा देने के लिए बकायदा वर्कशाप आर्गनाइज की। लाइब्रेरी के यूज को बढ़ाने और पढऩे की हैबिट का संवर्धन टॉपिक पर डेढ़ घंटे की ऑनालइन वर्कशाप में व्हाइटफील्ड ग्लोबल स्कूल बेंगलुरू के डायरेक्टर डॉ। शारदा चंद्रशेखरन ने स्कूलों के प्रिंसिपल और टीचर्स को टिप्स दिए।
मोबाइल से बाहर निकालेंगी किताबें
वर्कशाप में डॉ चंद्रशेखरन ने कहा कि स्कूलों की लाइब्रेरी ऐसी हो, जिसे देखकर स्टूडेंट खुद ब खुद मोटीवेट हों। लाइब्रेरी में ऐसी बुक्स भी होनी चाहिए जो छात्रों को अपनी ओर अट्रैक्ट करें। बच्चा खुद लाइब्रेरी में आकर टाइम स्पेंड करना चाहे। एक्सपर्ट ने कहा कि, कोविड काल के बाद से परिस्थितियां काफी बदली हैं। आनलाइन क्लासेज के चलते वर्तमान समय में हर बच्चा मोबाइल की लत में है। बच्चों को इससे बाहर निकालना चुनौती है। इस चुनौती से हम कुछ अलग करके लड़ सकते हैं। इसके लिए स्कूल की हाइटेक और अट्रेक्टिव लाइब्रेरी का रोल अहम होगा। एक बार बच्चे किताब की तरफ अट्रेक्ट हो जाएंगे तो वह मोबाइल की लत से बाहर आ जाएंगे।
आनलाइन कंटेंट भी उपलब्ध हो
एक्सपर्ट ने सुझाव दिया कि स्कूलों को आनलाइन मोड को मोबाइल से निकालकर कम्प्यूटर की स्क्रीन तक लाना भी एक चैलेेंज है। लाइब्रेरी में अब कंप्यूटर अनिवार्य रूप से होना चाहिए। बच्चों की संख्या के हिसाब से ही कंप्यूटर की भी संख्या होनी चाहिए ताकि किसी बच्चे को निराश न होना पड़े। लाइब्रेरी में वर्तमान समय को ध्यान में रखते हुए अच्छे कंटेंट वाली और फेमस राइटर की बुक अवेलबल होनी चाहिए। लाइब्रेरी में खुद चलकर आने वाले बच्चों का वेलकम इस तरह से किया जाना चाहिए कि दूसरा भी इसे देखकर लाइब्रेरी में आने के लिए प्रेरित हो। उसे महसूस होना चाहिए कि कंटेंट का कोई चैलेंज लाइब्रेरी तक पहुंचने के बाद उसके पास नहीं रहेगा।
स्कूल में लाइब्रेरी का महत्व
लाइब्रेरी बेसिकली हाउस ऑफ बुक है। यह स्कूल में सीखने का माहौल बनाने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह किसी भी स्कूल के एकेडमिक एक्सीलेंस को प्रमोट और रिकग्नाइज करता है।
यह स्टूडेंट की रीडिंग हैबिट को इंक्रीज करने के साथ ही उनका कौशल बढ़ाने में मददगार होती है।
यह पाठ्य पुस्तक से अधिक किसी भी विषय के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है।
यह स्टूडेंट स्वयं सीखने के कौशल को विकसित करता है।
कम से कम इनका ध्यान रखें
न्यूनतम आकार 14 मीटर & 8 मीटर होना चाहिए।
पूरी तरह से सुसच्जित और पढऩे के कमरे की सुविधा के साथ हो।
इसके स्टॉक में प्रति छात्र कम से कम पांच पुस्तकें (पाठ्य पुस्तकों के अलावा) होनी चाहिए
शुरुआत में न्यूनतम 1500 बुक्स होनी चाहिए।
यहां नोट्स, परीक्षा गाइड या किसी भी प्रकार की चाबियों का स्टॉक न हो।
पुस्तकों के चयन में बोर्ड द्वारा प्रदान किए गए मापदंडों या दिशानिदेर्शों का पालन किया जाना चाहिए
बुक्स का सेलेक्शन सब्जेक्ट टीचर्स के परामर्श से किया जाना चाहिए।
स्कूल को पर्याप्त संया में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की सदस्यता लेनी चाहिए।
स्टूडेंट और टीचर्स की व्यावसायिक आवश्यकताओं के लिए कम से कम 15 पत्रिकाओं की सदस्यता ली जानी चाहिए।
लाइब्रेरी में ऐसी कोई भी पुस्तक या साहित्य का कोई अन्य रूप नहीं होगा, जो सांप्रदायिक वैमनस्य या जातिवाद या धर्म, क्षेत्र या भाषा आदि के आधार पर भेदभाव का समर्थन या प्रचार करता हो।
सीबीएसई की तरफ से आयोजित वर्कशाप का मोटो बच्चों को लाइब्रेरी में ले आने तक ही फोकस नहीं थी। परपज यह भी था कि बच्चे लाइब्रेरी में आने के लिए सेल्फ मोटीवेट हों और यहां टाइम स्पेंड करना पसंद करें। लाइब्रेरी को रिच कंटेंट वाली बुक्स के साथ रुटीन के अपडेट से परिचित कराने की भी बात हुई है।
सुष्मिता कानूनगो
प्रिंसिपल, जेटी