बढ़ जायेगी आईपीएस ऑफिसर्स की तैनाती, पब्लिक और पुलिस का रेशियो भी हो जाएगा चेंज
एडीजी जोन और आईजी रेंज की टेरेटरी से बाहर रहेगा कमिश्नरेट, दोनो के क्षेत्राधिकार में एक-एक जिले होंगे कम
प्रयागराज (ब्यूरो)। कमिश्नरेट प्रयागराज में बड़ी संख्या में आईपीएस रैंक के अफसरों की तैनाती की जाएगी। एसपी ट्रैफिक से लेकर एसपी प्रोटोकाल तक के पदों पर आईपीएस की तैनाती की जाएगी। यह संख्या आठ से दस तक हो सकती है। थानों के स्ट्रक्चर में भी चेंज होगा। एक थाने पर इंस्पेक्टर की संख्या तीन तक हो सकती है। पूर्व आईजी आरके चतुर्वेदी बताते हैं कि इनकी नियुक्ति वर्क डिस्ट्रिब्ूयशन के आधार पर होगी। थानों पर संख्या बल बढऩे और जिम्मेदारी का बंटवारा होने से सुपरविजन काफी क्लोज हो जाएगा। विवेचनाएं जल्दी हो पाएंगी। पब्लिक और पुलिस का रेशियो मेंटेन होने पर अपराधियों की क्लोज मानिटरिंग आसान हो जाएगी।
पुलिस कमिश्नर को अधिकार
दंगे व उपद्रव की स्थिति में बल प्रयोग के लिये मजिस्ट्रेटी अधिकार
गुंडा अधिनियम, गैंगस्टर अधिनियम व रासुका में निरुद्ध करने का
अपराधियों के शस्त्र लाइसेंस कैंसिल करने का भी अधिकार
धरना-प्रदर्शन-आयोजनों की अनुमति देने का जिम्मा
धारा 151 और 107/116 में आरोपी को सीधे जेल भेजने का
अनैतिक व्यापार अधिनियम के तहत विधिक अधिकार
पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के तहत कार्रवाई का
कारागार अधिनियम 1894 के तहत विधिक अधिकार
गोपनीयता रोकथाम अधिनियम 1923 के तहत विधिक अधिकार
विदेशी अधिनियम 1946 के तहत विधिक अधिकार
गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम 1967 के तहत विधिक अधिकार
भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के तहत विधिक अधिकार
यूपी अग्निशमन सेवा अधिनियम 1944 के विधिक अधिकार
यूपी अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम 2005 के अधिकार
पुलिस द्रोह अधिनियम के तहत विधिक अधिकार
धारा 144 लागू करने का अधिकार
सीआरपीसी के तहत पुलिस को धारा 107/116 के तहत किसी को पाबंद करने के साथ-साथ रास्ते के विवाद में आदेश देकर उसे खाली कराने का अधिकार भी होगा। लोक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए पुलिस धारा 144 लागू करने के साथ ही शांतिभंग करने की आशंका में किसी व्यक्ति का धारा-151 के तहत चालान करने के साथ ही एसडीएम की तरह उसे सुनवाई कर आरोपित को जेल भेजने अथवा जमानत पर छोडऩे का अधिकार पुलिस के पास होगा। अब तक जेलों में डीएम के साथ ही एसएसपी/एसएसपी निरीक्षण करने जाया करते थे। पुलिस आयुक्त के पास किसी बंदी की सात-आठ दिनों की पैरोल मंजूर करने का अधिकार भी होगा। पुलिस कमिश्नर के पास अनैतिक देह व्यापार, विस्फोटक पदार्थों से जुड़े मामलों से लेकर पशु क्रूरता के मामलों में भी कार्रवाई करने की शक्ति होगी।
प्रयागराज का चयन क्यों
बता दें कि प्रयागराज आबादी के मामले में उत्तर प्रदेश के बड़े जिलों में से एक है। जिले की व्यवस्था देखने वाले एसएसपी को सपोर्ट करने के लिए एसपी गंगापार, एसपी यमुनापार और सिटी एसपी की तैनाती है। इतने बड़े जिले में होने वाले सभी बड़े मामलों में एसएसपी के पहुंचने की अपेक्षा की जाती थी। कमिश्नरेट बनने के बाद सपोर्ट सिस्टम की संख्या में चेंज नहीं हुआ तो भी तीनो स्थानों पर एसएसपी या एसपी रैंक का अफसर तैनात कर दिया जायेगा। इन्हें डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस या पुलिस उपायुक्त के रूप में जाना जायेगा। टेरेटरी डिफाइन और छोटी होने से यहां अफसरों का पहुंचना आसान होगा। इन्हें सपोर्ट करने के लिए एडिशनल एसपी जिन्हें अपर पुलिस आयुक्त और सीओ रैंक जिन्हें सहायक पुलिस आयुक्त कहा जाएगा तैनात होंगे। थानों में सेग्मेंट वाइज इंस्पेक्टर की तैनाती ने इनकी संख्या भी बढ़ जाएगी। इससे सुपरविजन क्लोज हो जाएगा।
बेसिक इंफ्रा की रहेगी समस्या
कमिश्नरेट बनने के बाद यहां बड़ी संख्या में आईपीएस अफसरों की तैनाती किये जाने के बाद बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर डेपलव करना शुरुआती दिनो की समस्या होगी। पूर्व आईजी आरके चतुर्वेदी बताते हैं कि उन्होंने लखनऊ और नोएडा दोनो कमिश्नरेट में काम किया है। शुरुआती दिनो में व्यवहारिक समस्या संसाधन थी लेकिन चूंकि गवर्नमेंट इन सब को वर्कआउट करने के बाद ही कमिश्नरेट पर फैसला लेती है तो संभव होगा कि जल्द ही बेसिक इंफ्रा पर ज्यादा काम हो। प्रयागराज में कुंभ आयोजित होता है। 2025 में कुंभ का आयोजन होना है तो संभव है कि उससे पहले ही इस व्यवस्था को मुकम्मल कर लिया जाय।
जेल में छापा मार सकेंगे पुलिस कमिश्नर
पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होते ही पुलिस के अधिकारों का दायरा भी बड़ा हो जाएगा। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मुंबई, कोलकता व दिल्ली में लागू कमिश्नरेट सिस्टम की तरह पुलिस के पास आबकारी लाइसेंस, सराय एक्ट व चलचित्र अधिनियम के तहत लाइसेंस देने का अधिकार होगा या नहीं।
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद कई बदलाव देखने को मिलेंगे। इसमें सीआरपीसी के तहत दिये एडीएम और एसडीएम को मिले अधिकार पुलिस आयुक्त के पास शिफ्ट हो जाएंगे। गैंगस्टर और गुंडा एक्ट में जल्दी कार्रवाई संभव हो पाएगी। अब मंजूरी के लिए फाइल डीएम के पास नहीं भेजनी होगी।
प्रेम प्रकाश
एडीजी जोन, प्रयागराज
एसएसपी के पास से अब बर्डेन काफी हद तक कम हो जाएगा। अभी तक वह एडमिनिस्ट्रेटिव काम भी देखता था। ऊपर तक रिपोर्ट भी करता था। लाइन भी उसी को देखना होता था और कोर्ट में रिपोर्टिंग भी उसी की होती थी। उससे यह भी अपेक्षा की जाती थी कि वह बड़ी घटनाओं में मौके पर पहुंचे। वर्क डिस्ट्रिब्यूशन होने से उस पर प्रेशर कम होगा तो वह लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने पर ज्यादा फोकस होकर काम कर सकेगा।
आरके चतुर्वेदी रिटायर्ड आईजी