प्रयागराज (ब्यूरो)। पिछले साल सरकार का आदेश आया था कि किसी भी व्यक्ति के पास दो से अधिक असलहे नही रहेंगे। इस आदेश के आने के बाद हड़कंप मच गया। क्योंकि जिले में तमाम माफिया, बिजनेसमैन और राजनीतिक हस्तियां ऐसी हैं जिनके पास तीन लाइसेंसी असलहे मौजूद थे। उन्होंने इसे जमा करने के बजाय वरासत के नियम के तहत अपने सगे को ट्रांसफर कर दिया। नियमानुसार लाइसेंसी असलहे को अपने भाई, बेटे, माता-पिता या बहन को दिया जा सकता है। लेकिन इसे अपने भतीजे या पुत्री के बेटे को नही दे सकते हैं।
महज 133 असलहे हुए सरेंडर
इस समय प्रयागराज में 43936 लाइसेंसी असलहे हैं और यह प्रदेश में तीसरे नंबर पर किसी जिले में सर्वाधिक संख्या है। इनमें से 527 व्यक्ति ऐसे हैं जिनके पास दो लाइसेंस हैं। तीसरे असलहे के नाम पर महज 133 लाइसेंस ही सरेंडर किए गए हैं। इनमें से छह लाइसेंस ऐसे हैं जिनकी सेल परमिशन जारी कर दी गई है। लाइसेंसधारियों को इनको बेचकर प्रशासन को प्रमाण देना होगा।
सामने आ गया खेल
नियमों की आड़ में किस तरह खेल हुआ है इसका उदाहरण सामने है। ठेकेदार बच्चा यादव के मर्डर केस में गिरफ्तार हुए आरोपित राजेश यादव के पास तीन लाइसेंसी असलहे बरामद किए गए हैं। पिछले साल सरेंडर के आदेश के बाद यह कैसे हुआ, सच जांच का विषय है। इसी तरह बहुत से लाइसेंसधारियों के असलहे भी सरेंडर नही हुए है। सोर्सेज बताते हैं कि तीसरा असलहा अभी भी लोगों के घर पर ही मौजूद है। बस लाइसेंसधारी का नाम चेंज हो गया है।
जांच हुई तो खुलेंगे कई राज
पिछले साल जुलाई के बाद आए तीसरा असलहा सरेंडर किए जाने के आदेश का किस प्रकार मखौल बनाया गया है, इसकी जांच की जानी चाहिए। अगर प्रशासन इसकी पड़ताल करता है तो कई लोगों की असलियत सामने आ जाएगी। पता चल जाएगा कि नियमों की आड़ में कैसे लोगों ने अपने असलहे सरेंडर होने से बचा लिए हैं। सरकार को सौंपने से बेहतर उन्होंने अपने ही परिवार में इसे सुपुर्द कर दिया।
अभी मामले की पड़ताल की जा रही है। असलहा विभाग से सूचना मांगी जा रही है। पता चला है कि केवल छह असलहे ही सरेंडर होने को रह गए हैं। आप जो जानकारी दे रहे हैं उसकी जांच भी कराई जाएगी। अगर किसी ने नियमों की आड़ में असलहा सरेंडर होने से बचा लिया है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
गौरव श्रीवास्तव सिटी मजिस्ट्रेट प्रयागराज