प्रयागराज ब्यूरो क्या आपको पता है कि तंबाकू केवल शरीर को नही नुकसान पहुंचाती, यह जमीन को भी बंजर कर देती है। विश्व में हर साल 3.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर तंबाकू की खेती होती है और इसमें से दो लाख हेक्टेयर जमीन मरुस्थल बन जाती है। फिर इस जमीन पर कोई भी खेती करना मुश्किल होता है। यह बात स्वास्थ्य विभाग जिला तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के जिला सलाहकार डॉ। शैलेष कुमार मौर्या ने दी है। वह बोटेनिकल सर्वे आफ इंडिया कार्यालय के सभागार में बुधवार को आयोजित उन्मुखीकरण कार्यक्रम में बोल रहे थे। जहां तंबाकू से होने वाले दुष्प्रभाव की जागरुकता के लिए राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

हमें तंबाकू नही अनाज चाहिए
डॉ शैलेष ने इस मौके पर कहा कि इस बार हमारी थीम वी नीड फूड नाट टुबैको है। यानी हमें अनाज चाहिए, तंबाकू नही। जब तंबाकू उत्पाद ही कम होगा तो लोग उपयोग भी कम ही करेंगे। उन्होंने बताया कि तम्बाकू स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक एवं वातावरण को भी क्षति पहुंचाता है। उन्होंने इस मौके पर बताया कि एक ओर तंबाकू की खेती करने से लाखों हेक्टेयर भूमि मरुस्थल हो जाती है तो दूसरी ओर 300 सिगरेट बनाने के लिए एक पेड़ को काटना पड़ता है। इसका हमारे वातावरण और जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस दौरान उन्होंने कोटपा एक्ट अधिनियम 2003 के बारे में भी जानकारी दी।

लाइफ बदलकर छोड़े तंबाकू
इस अवसर पर मनोचिकित्सक डॉ राकेश कुमार पासवान ने बताया कि सामान्य लाइफ स्टाइल को बदल कर भी तम्बाकू को छोड़ा जा सकता है। उन्होंने बताया कि आम तौर पर निकोटिन हमारे दिमाग पर प्रभाव डालती है। उन्होंने कहा कि तंबाकू की सेवन करने वालो को विशेष प्रकार की काउंसिलिंग की जरूरत होती है। उन्होंने इस मौके पर कहा कि लोग तनाव से छुटकारा पाने के लिए तंबाकू का सेवन करते हैं। लेकिन इसका कोई फायदा नही होता है। उल्टे तंबाकू शरीर में जाकर उसे नुकसान पहुंचाती है।