प्रयागराज (ब्‍यूरो)। पानी अमूल्य है और इसे व्यर्थ बहाना ठीक नही। अगर पानी को बचाया है तो उसे स्टोर भी करिए। तभी पानी बचाने के लिए उददेश्य का उचित प्रतिफल मिलेगा। यह कहना था कि वक्ताओं का। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के द्वारा बुधवार को आयोजित परिचर्चा में बड़ी संख्या में समाज के प्रत्येक वर्ग से जुड़े लोग उपस्थित हुए। उन्होंने इस विषय पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने वर्षा जल संचयन को भी महत्वपूर्ण बताया।

जितनी जरूरत हो उतना खर्च करें
परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि लोगों को पानी की जितनी जरूरत होती है उससे अधिक खर्च करते हैं। जैसे गाड़ी और कपड़े धोने में अधिक पानी बर्बाद किया जाता है। फिर इस पानी का रियूज भी नही करते हैं। परिचर्चा में वक्ताओं ने कहा कि लोग चाहें तो पानी का रियूज किया जा सकता है। वाशिंग मशीन, बर्तन धोने, आरओ और एसी से निकले पानी को बहाने के बजाय उससे गार्डनिंग आदि की जा सकती है। जागरुक लोग ऐसा शहर में करके दूसरों के लिए मिसाल भी बने हैं।

अधिकारियों से दर्ज कराई शिकायत
इस अवसर पर तमाम एरिया से आए लोगों ने अपनी शिकायत भी दर्ज कराई। परिचर्चा में जल संस्थान और भूगर्भ जल विभाग के विशेषज्ञ अधिकारी भी मौजूद रहे। उन्होंने वक्ताओं के सवालों का जवाब दिया। लोगों का कहना था कि जल संस्थान की टूटी पाइप लाइन से गंदा पानी घरों में आता है। यह भी कहना था कि अगर साफ पानी की सप्लाई हो तो लोग आरओ का यूज क्यों करें। यह भी कहा गया कि कई एरिया में पाइप लाइन है लेकिन सप्लाई नही होती या पानी प्रेशर से नही आता है।

लोगों में जागरुकता की कमी है। वह गाड़ी, सड़क, कपड़े की धुलाई में काफी पानी बर्बाद करते हैं। अक्सर टंकी भर जाने के बाद पानी बहता रहता है। इस पर भी लोगों का ध्यान नही जाता है। यह पूरी तरह से गलत है।
दिनेश सिंह, अध्यक्ष, सराफा एसोसिएशन प्रयागराज
लोग चाहें तो अपने घर या अपार्टमेंट में सात हजार की लागत से एक मशीन लगाकर पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं। टंकी भर जाने के बाद पानी की सप्लाई अपने आप रुक जाएगी। लोग चाहें तो वेस्ट पानी को बचाकर अपने गार्डन को सीच सकते हैं।
शिवशंकर सिंह, महामंत्री, सिविल लाइंस व्यापार मंडल
एक सर्वे में कहा गया है कि जिस तरह से पानी की बर्बादी हो रही है, उसे देखते हुए 2030 तक आधी आपूर्ति ही रह जाएगी। ऐसा होने से बचने के लिए हमें जागरुक होना जरूरी है। ब्रश कर रहे हैं तो नल बंद रखें, गाड़ी धुलने में लिमिटेड पानी का यूज करें। ये सब करना होगा।
सुशील खरबंदा, अध्यक्ष, सिविल लाइंस व्यापार मंडल
मैं शंकरगढ़ का निवासी हूं। वह ऐसा इलाका है जहां मई जून में पानी का स्टेटस काफी नीचे चला जाता है। तकरीबन दो सौ फीट, बारिश मेें पानी ऊपर आ जाता है लेकिन वह गंदा होता है जिससे लोग बीमार होने लगते हैं। बाकी एरिया के निवासी इससे भी सबक नही ले रहे हैं। वह चाहे तो पानी की बर्बादी रोक सकते हैं।
सुनील कुमार, बिजनेसमैन
शहर की अपेक्षा गांव में पानी की क्वालिटी अधिक खराब है। वहां पर बच्चों की ग्रोथ रुक जाती है। कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। लोगों को बिना देर किए जागरुक होना होगा। पानी का उतना ही यूज करना होगा ,जितना जरूरी हो। दुनिया के कई शहर ऐसे हैं जहां पानी खत्म हो चुका है लोग बूंद बूंद के लिए परेशान हैं।
डॉ। गोपाल कृष्ण, ओनर ई पहल संस्था
तीन दिन बिजली कर्मियों की हड़ताल थी। जल आपूर्ति ठप हो जाने से लोगों को तब जाकर पानी की कीमत समझ आई। अगर ऐसा सब दिन उन्हें लगे तो पानी की कमी से हम बच सकते हैं। मेरी जल संस्थान के अधिकारियों से शिकायत है कि खुशरूबाग की वाटर सप्लाई पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
सुनीता चोपड़ा, पार्षद व महिला नगर अध्यक्ष प्रयागराज व्यापार मंडल
मैं अपने घर में आरओ और एसी के वेस्टेज वाटर का रियूज करती हूं। सबको ऐसा करना चाहिए। पानी फेकने के बजाय उसे दोबारा यूज में लाना होगा। मेरी जल संस्थान से शिकायत है कि अक्सर नाली के पास उनकी टूटी पाइप लाइन से गंदा पानी सीधे घरों में जाता है। जिससे लोग बीमार पडऩे लगते हैं।
शिखा खन्ना, जिला प्रभारी महिला, प्रयागराज व्यापार मंडल
सब कहने से कुछ नही होने वाला है। इसके लिए करके दिखाना होगा। सभी के घर में वाटर टैक होना जरूरी है जिससे बारिश के पानी को एकत्र किया जा सके। इसके अलावा वेस्टेज वाटर के इसमें एकत्र कर उसका दोबारा यूज किया जा सके। बहुत से लोग ऐसा कर भी रहे हैं लेकिन सबको इस दिशा में बढऩा होगा।
सौरभ गुप्ता, अध्यक्ष, कम्प्यूटर्स डीलर्स एसोसिएशन प्रयागराज
364 दिन तक हमें पानी की चिंता नही होती। अचानक वल्र्ड वाटर डे के मौके पर हम जागरुक हो जाते हैं। मै पूछता हूं कि आखिर शहर में ऐसे कितने घर हैं जिनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग का पालन किया गया है। अगर सभी लोग बारिश का जल एकत्र करने लगे तो पानी की समस्या से निपटा सकता है। बड़े बड़े अपार्टमेंट में इस नियम का पालन नही होता है।
महेंद्र गोयल, प्रदेश अध्यक्ष कैट व मेंबर जीएसटी काउंसिल
ऐसा नही है। सरकारी नियम के मुताबिक किसी अपार्टमेंट कानिर्माण तब तक नही हो सकता, जब तक उसे पीडीए से रेन वाटर हार्वेस्टिंग की एनओसी न मिल जाए। यह नाम्र्स सब के लिए जरूरी है। लोग रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवा तो लेते हैं लेकिन जांच नही करते हैं। ऐसे में वर्षा का पानी संचय नही हो पाता है। ऐसे कई कारण है जिससे पानी की बर्बादी नही रुक रही है।
मनीष गुप्ता, चेयरमैन, प्रयागराज व्यापार मंडल
अगर पानी की बर्बादी को रोकना है तो छोटी छोटी चीजों का ध्यान रखना होगा। अगर बर्तन धो रहे हैं तो पानी कम खर्च करें। अब तो ऐसी वाशिंग मशीन आ गई जिसमें पानी का काफी कम यूज होता है। इसी तरह बाजार में ऐसी डिवाइस हैं जो पानी की बचत करने में सहायक हैं। बस कमी हमलोगों में है। हम लोग जागरुक नही है जिसकी वजह से अपने लिए ही समस्या को बुलावा दे रहे हैं।
नाजिया नफीस, एडवोकेट व समाजसेविका
पानी को कैसे बचाना है यह हमलोगों को नही पता है। अगर हर शहर या गांव में पर्याप्त मात्रा में तालाब हों तो पानी को स्टोर कर उसकी बचत की जा सकती है। हमारी नदियां दूषित हो रही हैं लेकिन हमें जागरुक नही हो रहे हैं। घरों से निकलने वाले पानी को नदियों में जाने से बचाना होगा। इससे दो फायदे होंगे। पहला कि नदियां दूषित नही होंगी और दूसरा की पानी की खपत कम हो जाएगी।
मो। फिरोज, एडवोकेट
वेस्ट वाटर को स्टोर किया जाना चाहिए। उसकी बर्बादी न हो। लोग जागरुक हो जाएं। आज भी ऐसे कई एरिया हैं जहां वाटर लेवल इतना नीचे चला गया हे कि लोग परेशान हैं। धीरे धीरे दूसरे एरिया का यही हाल हो रहा है। फिर भी लोग समझ नही रहे हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि अपने बच्चों को पानी के संचय के बारे में बताएं। ताकि वह जीवन भर पानी का मोल समझें। बदले समय में पानी के लिए होशियार होना जरूरी है।
सौरभ मिश्रा, एडवोकेट
कहा जाता है कि तीसरा युद्ध पानी के लिए होगा। ऐसी स्थिति बन रही है। जिन देशों में पानी नही बचा है वह दूसरे देशों में पर दबाव बना रहे हैं। इजरायल जैसे देश पानी कम होने के बावजूद उसका निर्यात कर रहे हैं , जबकि इंडिया में पानी का भंडार है लेकिन बर्बादी की वजह से हाय तौबा मची रहती है। इतना सब होने के बाद भी लोगों को समझ नही आ रहा कि कैसे इस समस्या का सामना किया जाए।
ब्रजेंद्र कुमार पांडेय, पूर्व उपाध्यक्ष, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन प्रयागराज
शहर में कुल 664 ट््युबवेल लगे हैं जिससे तमाम एरिया में पानी की सप्लाई की जाती है। रोजाना 400 एमएलडी पानी सप्लाई होती है। इसमें यमुना से 80 एमएलडी लिया जाता है। लेकिन पानी का स्टेटस नीचे जाने की वजह से हर साल दस से बारह फीसदी नलकूप को रिबोर कराना पड़ता है। इसलिए हम लोग पानी का वेस्टेज करने वालों पर नजर रख रहे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
शिवम, एई, जल कल विभाग प्रयागराज
हमारी ओर से दो नंबर जारी किए गए हैं। ये 1076 और 1533 हैं। इन पर कॉल करके पानी की सप्लाई से जुड़ी अपनी समस्याओं के बारे में बता सकते हैं। लोग कहते हैं कि उनकी शिकायत दर्ज नही होती लेकिन ऐसा नही है। हम सभी की शिकायत का समाधान करते हैं। लोग खुद जागरुक नही है। अगर वह चाहे तो पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं। पानी का रियूज करना और उसे स्टोर करना ही इस समस्या से निपटने का तरीका है।
संघभूषण सिंह, एक्सईएन, जलकल विभाग
अगर वाटर लेवल कम हो रहा है तेा इसके हम जिम्मेदार हैं। नल में लिमिटेड पानी आता है लेकिन नलकूप से अथाह पानी बह जाता है। आजकल हर घर में सबमर्सिबल पंप लगता है और इससे दिनभर पानी की बर्बादी होती है। लोग इस ओर ध्यान नही देते हैं। मेरी राय में लोगों को अब जागरुक हो जाना चाहिए। अगर कोई दूसरा भी पानी की बर्बादी कर रहा है तो उसे समझाना और बताना दोनों होगा।
रघुनाथ द्विवेदी, अध्यक्ष, टैंपो टैक्सी यूनियन प्रयागराज