प्रयागराज ब्यूरो ।मेकअप को लेकर लोगों में बढ़ती चाहत के बावजूद शहर में एक भी ब्यूटी पार्लर नहीं है। यही नहीं, यहां पर कोरियर, हार्डवेयर शॉप और प्रिंटिंग मशीनें भी इस शहर में संचालित नहीं होतीं। यह बात मैं नहीं, नगर निगम लाइसेंस डिपार्टमेंट के आंकड़े कहते हैं। लाइसेंस विभाग से इन प्रतिष्ठानों का एक भी लाइसेंस जारी नहीं हुआ है। निर्धारित फीस जमा करके कोई लाइसेंस बनवाना मुनासिब भी नहीं समझा। जबकि जुलाई महीने के अंत तक सारे दुकानदारों को नगर निगम से लाइसेंस बनाने का नियम है। इसके बाद नगर निगम के द्वारा निर्धारित शुल्क का बीस प्रतिशत की दर से ब्याज वसूल करता है। अब यह बात और है लाइसेंस के इन आंकड़ों से जमीन की हकीकत काफी इतर है।
82
कोचिंग का गत वर्ष बना था लाइसेंस इस साल महज छह
116
मैरेज हाल संचालक पिछले वर्ष नगर निगम से बनवाए थे लाइसेंस
38
मैरेज हॉल का ही इस वर्ष अब तक बना लाइसेंस
70
ज्वैलर्स के शॉप का नगर निगम से गत वर्ष बना था लाइसेंस
08
ज्वैलर्स शॉप का ही विक्रेताओं ने बनवाया लाइसेंस
36
पेट्रोल पम्प का गत वर्ष नगर निगम में बनवाया गया था लाइसेंस
22
पेट्रोल पम्प का ही लाइसेंस नगर निगम से अब तक हुआ जारी
नगर निगम भी नहीं है गंभीर
शहर में संचालित तमाम तरह के प्रतिष्ठानों का लाइसेंस नगर निगम से भी बनवाने का नियम है। लाइसेंस बनाने के लिए नगर निगम में बाकायदे एक लाइसेंस विभाग ही है। हर चीज के लिए यहां अलग-अलग वार्षिक शुल्क निर्धारित हैं। शुल्क जमा करने वालों को प्रतिष्ठान के नाम से विभाग रसीद देता है। यही रसीद नगर निगम का लाइसेंस कहा जाता है। नगर निगम लाइसेंस डिपार्टमेंट के आंकड़ों पर गौर करें तो शहर में कोचिंग की संख्या घट गई है। पिछले वर्ष नगर निगम में करीब 82 कोचिंग प्रतिष्ठानों का लाइसेंस जारी हुआ था। इस बार जुलाई बीत गई और महज छह प्रतिष्ठानों के संचालक ही कोचिंग का लाइसेंस नगर निगम से बनवाए। इसी तरह पिछले साल नगर निगम से 116 मैरेज हॉल के संचाल एक हजार रुपये फीस जमा करके रसीद यानी लाइसेंस बनवाए थे। इस बार अभी तक मैरेज हॉल के महज 38 लाइसेंस ही बनवाए गए हैं। इसी तरह नगर निगम लाइसेंस विभाग के आंकड़ों में कई ऐसे प्रतिष्ठान हैं जिनकी संख्या चौंकाने वाली है। बताते चलें कि हर चीज का एक नार्मल वार्षिक शुल्क है। बावजूद इसके लोग नगर निगम में फीस जमा करके यह लाइसेंस बनवाना मुनासिब नहीं समझते। इस हालात के पीछे नगर निगम की उदासीनता और उपेक्षा भी बड़ी वजह मानी जा रही है।
अब तक के लाइसेंस व वार्षिक फीस
नाम लाइसेंस शुल्क
ब्यूटी पार्लर 00 100
कोरियर 00 200
हार्डवेयर शॉप 00 200
प्रिंटिंग मशीन 00 400
ज्वैलरी शॉप 08 1000
कोचिंग 06 1000
मैरेज हॉल 38 1000
टेंट हाउस 07 200
मिठाई शॉप 24 400
सेनेटरी 01 200
लोहा विक्रेता 08 400
इलेक्ट्रानिक 01 100
ट्रैवेल एजेंसी 02 400
मार्बल 02 400
सीमेंट एजेंसी 08 100
रेडीमेड कपड़ा शॉप 07 200
जनरेटर युक्त शॉप 04 400
फर्नीचर 02 500
ट्राली ठेला तिपहिया 304 75
आइसक्रीम ठेला 185 150
ठेला चार पहिया 49 100
भूसा विक्रेता 09 500
ज्वलनशील सामग्रियों का लाइसेंस
नाम लाइसेंस शुल्क
पेट्रोल पम्प 22 2000
गैस एजेंसी 09 1000
कोयला विक्रेता 07 500
लकड़ी टाल 36 500
फॉम विक्रेता 00 500
बीड़ी पत्ता सेलर 01 500
मिट्टी तेल 00 500
शहर से गायब हो गए साइकिल रिक्शा
शहर में अब न तो साइकिल रिक्शा रहे और न ही उनके चालक। साइकिल रिक्शा शहर से गायब हो चुके हैं। इस बात की पुष्टि नगर निगम लाइसेंस डिपार्टमेंट के आंकड़े करते हैं। जुलाई माह तक नगर निगम से लाइसेंस बनवाने की डेट होती है। महीना बीत गया और एक भी साइकिल रिक्शा का लाइसेंस नगर निगम के द्वारा किसी ने नहीं बनवाया। साइकिल रिक्शा लाइसेंस के लिए विभाग में मात्र 75 रुपये वार्षिक लाइसेंस फीस निर्धारित है।
लाइसेंस की डिटेल देखने के बाद ही इस मामले में कुछ बता पाएंगे। अभी हम कुछ दिन पूर्व ही आए हैं। यदि रियल में संख्या अधिक है और लाइसेंस कम तो अभियान चलाकर कार्रवाई कराई जाएगी।
अरविंद राय
अपर नगर आयुक्त