कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं असलहाधारी, सरकारी जांच के डर से फाइल नही छू रहे कर्मचारी
जिन लोगों के असलहे लाइसेंस जम्मू कश्मीर या नागालैंड से बने हैं उनका रिनीवल खटाई में पड़ता जा रहा है। सरकारी जांच के डर से कर्मचारी इन फाइलों को छूने से भी मना कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब सरकार से कोई स्पष्ट आदेश नही मिल जाता, तब तक ऐसे मामलों से दूरी बनाए रखना ही बेहतर है। हालांकि सरकार का कहना है कि दूसरे राज्यों में बने लाइसेंस को एनओसी लेने के बाद रिनीवल किया जा सकता है।
चक्कर लगाकर थक गए लोग
प्रयागराज में हजारों की संख्या में ऐसे लाइसेंस है जो जम्मू कश्मीर से जारी हुए हैं। इनमें सेना और अर्द्धसैनिक बलों के लोग भी शामिल हैं। इसके अलावा इस मौके का फायदा उठाने वालों ने भी वहां से येन केन प्रकारेण लाइसेंस हासिल कर लिया। नौकरी के दौरान इन्होंने वहां से लाइसेंस हासिल किया था। बाद में यह अपने शहर वापस आ गए। अब यहा आने के बाद लाइसेंस रिनीवल का आवेदन किया तो फाइल आगे ही नही बढ़ी। लाख कोशिशों के बाद उनको इंकार ही सुनना पड़ रहा है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो अब चक्कर काटकर घर बैठ गए हैं।
चल रही है जांच
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से बचाव के नाम पर 4.5 लाख से अधिक लाइसेंस जारी किए गए थे।
बाद में जांच में पता चला कि इनमें से कई लाइसेंस फर्जी तरीके से जारी हुए हैं और इनके डाक्यूमेंट तक उपलब्ध नही हैं।
जिसकी उच्च स्तरीय जांच की जा रही है।
अब जब इनमें से लीगल असलहाधारी अपने शहरों में वापस आए तो उन्हें इस जांच की आंच में जलना पड़ रहा है।
इनको एनओसी तक उपलब्ध कराने में दिक्कत पेश आ रही है।
पहले से टॉप थ्री में प्रयागराज
प्रयागराज यूपी में असलहों के मामले में पहले से टॉप थ्री में है।
यहां 57 हजार असलहाधारी मौजूद हैं।
सरकार ने पहले ही लाइसेंस की संख्या कम किए जाने के फरमान जारी किए हैं।
हाल ही में तीन असलहाधारियों का एक लाइसेंस सरेंडर किए जाने के आदेश जारी हुए थे
जिसका बहुत अधिक फायदा नही मिला है।
लोगों ने अपना तीसरा लाइसेंस बचाने का भी जुगाड़ खोज लिया है
कुल मिलाकर सरकार की मंशा यहां भी पूरी नही हुई है।
रिनीवल तो किया जा रहा है। कहीं पर भी रोक नही है। जिनके पास एनओसी है वह अपनी फाइल बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा असलहे का यूनिक नंबर भी मौजूद होना चाहिए। नियमानुसार ही सभी काम किए जा रहे हैं।
एके कनौजिया,
एडीएम सिटी प्रयागराज