सीएमओ कार्यालय में लगे मेडिकल बोर्ड में लगी लोगों की भीड़
केवल दस फीसदी को मिला इलेक्शन ड्यूटी से छुटकारा, बाकी को वापस भेजा
सोचा था कि डॉक्टर के पर्चे पर बीमारी लिखवाकर इलेक्शन ड्यूटी से छुटकारा मिल जाएगा। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। डॉक्टर्स ने बातों-बातों में सच्चाई का अंदाजा लगा लिया और आवेदन पर फिट फार इलेक्शन ड्यूटी लिख दिया। इससे पूरे किए कराए पर पानी फिर गया। बात हो रही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की ड्यूटी कटवाने वाले सरकारी कर्मचारियों की। यह सभी इलेक्शन में अपना योगदान नहीं देना चाहते। यही कारण है कि बीमारी का बहाना बनाकर किसी तरह छुटकारा पाने की कोशिश में लगे हैं। हालांकि इनमें कुछ वाकई बीमार हैं और छुटकारे के पात्र हैं।
नौकरी कर रही हैं तो इलेक्शन ड्यूटी भी करिए
प्रशासन ने इलेक्शन ड्यूटी से बचने वालों के आवेदन की लंबी लिस्ट देखी तो तत्काल सीएमओ के अंडर में मेडिकल बोर्ड बनवा दिया। जिसका काम ऐसे आवेदनों की सत्यता की जाचं कर अपनी रिकमेंडेशन देना है। गुरुवार को मेडिकल बोर्ड ने सौ से अधिक आवेदनों की सुनवाई की। इसमें बमुश्किल दस फीसदी को अनफिट पाया। बाकी को इलेक्शन में ड्यूटी करने की सलाह दी। अधिकारियों का कहना था कि जब आप नौकरी कर सकते हैं तो फिर इलेक्शन में जाने में क्या दिक्कत है।
किसी ने रोआबा झाड़ा तो कोई संबंध गिना गया
दोपहर 12 बजे सीएमओ कार्यालय के एक नंबर कमरे के बाहर आवेदन करने वालों की लंबी लाइन लगी थी। अंदर पैनल में डॉ। महानंद यादव, डॉ। अमित श्रीवास्तव और डॉ। आरसी पांडेय मौजूद थे। इनके सामने पहुंचने वालों ने न केवल अपना आवेदन और बीमारी दिखाई, बल्कि यह भी बताया कि उनके काफी ऊंचे रसूख हैं। बावजूद इसके वह प्रॉसेस के तहत ड्यूटी कटवाने आए हैं। लोगों ने शासन से लेकर प्रशासन और न्याय पालिका तक अपनी रिश्तेदारी गिनवाने में कोई कसर नही छोड़ी।
500 में 450 कर दिए रिजेक्ट
डॉक्टर्स ने बताया कि अब तक तीन बार बोर्ड बैठ चुका है और इसमें 500 आवेदन की जांच की जा चुकी है। जिसमें से 450 आवेदनों को रिजेक्ट किया गया है। महज 50 ही जेनुइन पाए गए हैं। इनको अनफिट करार दिया गया है। क्योंकि कम से कम ड्यूटी काटे जाने का प्रशासन की ओर से दबाव है। अगर सभी को एग्जेम्ट कर दिया जाएगा तो चुनाव में कर्मचारियों की क्राइसेस हो सकती है।
पति-पत्नी दोनों करेंगे इलेक्शन ड्यूटी?
इस दौरान कई अप्लीकेशन ऐसी भी मार्क की गई थी जिसमें लिखा था कि पति और पत्नी दोनों की इलेक्शन में ड्यूटी लगाई गई है। ऐसे में घर पर बच्चों की देखभाल कौन करेगा। इस पर पूछने पर प्रशासन ने बताया कि यह ड्यूटी एनआईसी के जरिए लगाई गई है। जिन लोगों को आपत्ति है या ऐसा हुआ है वह अपना आवेदन करें। जिससे दोनों में से किसी को मुक्त कर दिया जाएगा। यह चुनाव आयोग की नियमावली में भी शामिल है।
इलेक्शन ड्यूटी काटे जाने की कंडीशन एकदम स्पष्ट है। जो लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं या गर्भवती महिलाएं हैं। इनको इलेक्शन से मुक्त कर दिया जाता है। और भी लोगों की कैटेगरी है जिसके आधार पर इलेक्शन ड्यूटी हटा दी जाती है।
डॉ। महानंद यादव
प्रभारी, मेडिकल बोर्ड प्रयागराज