प्रयागराज (ब्यूरो)। जानकारी के मुताबिक चित्रकूट निवासी विजय दीक्षित की पत्नी मीनाक्षी तीन दिन से आईसीयू मेडिसिन विभाग में भर्ती थी। उसे वेंटीलेटर पर रखा गया था। बताया गया कि जिस डॉक्टर को प्लाज्मा थेरेपी देनी थी वह दो दिन से वार्ड में पहुंची ही नहीं। ऐसे में मरीज की इलाज के अभाव में जान चली गई। परिजनों का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी के लिए पैसों का भी इंतजाम कर लिया गया था। लेकिन थेरेपी दी ही नही गई। यही कारण रहा कि बुधवार सुबह मरीज की जान चली गई। इसके बाद परिजनों में रोना पीटना मच गया। वह सभी इलाज में अभाव की दुहाई देकर चले गए।
संभव है प्लाज्मा थेरेपी
कोरोना काल में एसआरएन अस्पताल में अफेरेसिस मशीन लगाई गई थी। इसके जरिए ब्लड के तमाम कम्पोनेंट को अलग कर मरीज को प्लाज्मा चढ़ाया जा सकता है। इससे मरीज की इम्युनिटी बढ़ती है और वह रोग के खिलाफ लडऩे लगता है। माइसथेनिया ग्रेविस बीमारी के मरीज के साथ भी ऐसा ही था। अगर उसे समय रहते यह थेरेपी मिल जाती तो वह बीमारी के खिलाफ सर्वाइव कर सकती थी।
मरीज पहले से वेंटीलेटर पर थी। संबंधित डॉक्टर से मैने पूछताछ की है। उन्होंने बताया कि वेंटीलेटर से बाहर आने के बाद ही थेरेपी दी जा सकती है। इसलिए इंतजार किया जा रहा था। इसके पहले ही उसने दम तोड़ दिया।
प्रो। एसपी सिंह, प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज