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प्रदेश के मुखिया से लेकर थाने स्तर तक पुलिस वाहनों का नहीं है बीमा
ajeet.singh@inext.co.in
ALLAHABAD: इसे अंधेर नहीं तो और क्या कहेंगे आप? बगैर बीमा के पकड़ने पर आम आदमियों के वाहनों का चालान करने वाली पुलिस की गाडि़यों का ही यहां बीमा नहीं है। आप को यह जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ अल्फा बाइक ही नहीं, एएसपी व एसएसपी सहित प्रदेश के डीजी तक की कार बगैर बीमे के दिन रात सड़कों पर दौड़ रही है। चूंकि, इन गाडि़यों पर पुलिस के जवान व साहब ही चलते हैं, लिहाजा इनके वाहनों का चालान करे तो कौन करे? दूसरों को कानून का पाठ पढ़ाने वाले इन अफसरों को न तो कानून का भय है और न ही किसी हादसे की चिंता।
17,720
प्रदेश में वाहनों की संख्या
442
जनपद में वाहनों की संख्या
146
हल्के वाहनों की संख्या
13
भारी वाहनों की संख्या
180
मोटर साइकिल की संख्या
24
मध्यम वाहनों की संख्या
07
बृज वाहनों की संख्या
72
डायल 100 वाहन
बीमा न होने पर कार्रवाई
ट्रैफिक विभाग ने पिछले दो सालों में बगैर बीमा के सड़क पर चल रही सात सौ गाडि़यों का चालान किया है
प्रति वाहन एक हजार रुपए शमन शुल्क की होती है वसूली
जिले में किसी भी सरकारी वाहन का नहीं है दुर्घटना बीमा
किसी व्यक्ति के साथ दुर्घटना होने पर क्षतिपूर्ति विभाग खुद वहन करता है
ये है नियम
मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सभी वाहन चालकों को अपने वाहन का बीमा करवाना अनिवार्य है
सरकारी वाहनों के लिए प्रावधान है कि यदि वाहन का मालिक खुद की जिम्मेदारी वहन करता है तो उन वाहनों का बीमा करवाया भी जा सकता है। और नहीं भी
बीमा करवाने की स्थिति में जिम्मेदारी बीमा कंपनी की होगी और नहीं करवाने स्थिति में उस विभाग के मुख्यालय अथवा राज्य सरकार की होगी
उन्हीं को पीडि़त को कंपनसेशन देना पड़ेगा
पुलिस के वाहनों का बीमा नहीं होता है। इनका केवल पंजीयन होता है। राज्य सरकार का एक विभाग होता है जो सरकारी गाडि़यों देख रेख-क्षतिपूर्ति आदि देखता है। पुलिस के वाहन से दुर्घटना होने पर उसे प्रदेश सरकार वहन करती है।
-अशोक कुमार शुक्ला,
एसपी हेडक्वार्टर
किसी भी सरकारी वाहन का बीमा नहीं होता। सरकारी वाहनों को छूट दी गई है। यह सरकार की जिम्मेदारी है। प्रदेश सरकार पर डिपेंड करता है कि वह बीमा कराए या न कराए। सरकारी वाहन से दुर्घटना होने पर सरकार वहन करती है।
-शगीर अहमद,
आरटीओ