नये स्लैब रेट को लेकर विभाजित रहे पार्षद, पुराने स्लैब रेट पर अभी होगी वसूली
जलकर के नये स्लैब पर सदन हाल में पार्षदों के बीच तीखी बहस हुई। कार्यकारिणी उपाध्यक्ष अखिलेश सिंह सहित कुछ पार्षद नये स्लैब के पक्ष में थे। वहीं पार्षद अशोक सिंह, कमलेश सिंह सहित कुछ पार्षद नये स्लैब रेट पर आपत्ति उठा रहे थे। जिस कारण सदन के पटल पर नये स्लैब रेट पर सहमति नहीं बन सकी। जलकल के अधिकारियों का कहना है कि अभी पुराने स्लैब रेट के आधार पर वसूली जारी रहेगी। नये स्लैब रेट पर सहमति बनने के बाद उसे शासन में भेजा जायेगा। शासन की अनुमति के बाद ही नये स्लैब रेट के अनुसार जलकर की वसूली होगी।
स्लैब रेट 24 घंटे में बदलने का भी उठा मुद्दा
बता दें कि नये स्लैब रेट बनाने के लिये गठित कमेटी के चार सदस्यों ने एक हफ्ते पूर्व पुराने स्लैब रेट 0 से 360, 361 से 2000, 2001 से 3500, 3501 से पांच हजार और पांच हजार से अधिक के स्थान पर नया स्लैब रेट 0 से 4000, 4001 से 8000, 8001 से 12000, 12001 से 16000 और 16000 से अधिक भवनों के लिये रेट निर्धारितयुक्त प्रस्ताव कमेटी के समक्ष रखे गये। जिस पर उपस्थित सदस्यों ने सहमति जतायी थी। कमेटी के सदस्य पार्षद अशोक सिंह का कहना था कि स्लैब रेट निर्धारण की बैठक में जलकल विभाग द्वारा प्रस्तावित स्लैब रेट संख्या 0 से 8000, 8001 से 12000, 12001 से 16000, 16001 से 20000, 20001 से अधिक तक पर सहमति हो गई थी। जिसके बाद स्लैब रेट को बदल दिया गया। सदन की बैठक में उन्होंने यह मुद्दा उठाया और कहा कि जो नया स्लैब रेट सदन के पटल पर रखा गया है वह फर्जी है। उस पर अगर जलकर का दर निर्धारित होगा तो जनता के साथ अन्याय होगा। इस बात का पार्षद कमलेश सिंह सहित कई पार्षदों ने समर्थन भी कर दिया।
मिथिलेश सिंह सहित अन्य ने किया समर्थन
नये स्लैब बनाने के लिये गठित कमेटी के सदस्य पार्षद मिथिलेश सिंह ने कहा कि जो नया स्लैब रेट बनाया गया है, वह बिल्कुल सही है। उसे सदन में पास होना चाहिये। कार्यकारिणी उपाध्यक्ष अखिलेश सिंह सहित कुछ पार्षदों ने मिथिलेश सिंह के पक्ष में समर्थन दिया। महापौर ने कहा कि जो सहमति के पक्ष में हो वह अपना हाथ खड़ा करें। यह देखकर पार्षद अशोक सिंह सहित अन्य पार्षद भड़क उठे और कहा कि मनमाना नहीं चलेगा। जिस पर महापौर ने बताया कि यहां जलकर के नये स्लैब के निर्धारण का फैसला नहीं हो रहा हैं। सहमति मांगी जा रही है। सहमति मिलने के बाद इसे शासन को भेजा जायेगा। शासन तय करेगा कि क्या होना है। हालांकि बाद में इस पर सहमति नहीं बन सकी।
नया स्लैब रेट
0-4000
4001-8000
8001-12000
12001-16000
16001 से ज्यादा
पुराना स्लैब रेट
0-360
361-2000
2001-3500
3501-5000
5001 से ज्यादा
इस स्लैब रेट की मांग
0 से 8000
8001 से 12000
12001 से 16000
16001 से 20000
20001 से ज्यादा