हाथी पार्क में बच्चों के मन बहलाने की सुविधाओं में दिखी कमी

झूले पर बारी के लिए काफी समय करना पड़ रहा इंतजार

mukesh.chaturvedi@inext.co.in

PRAYAGRAJ: कोरोना काल में लंबे समय से घरों में ऊब चुके बच्चों का मन हाथी पार्क नहीं बहला पा रहा है। पिंजरों में चिडि़यों के न होने से उत्साह में पहुंचे बच्चे मायूस नजर आ रहे हैं। एक मात्र झूला ही यहां उनके मनोरंजन का साधन बचा है। वह भी झूले की संख्या इतनी कम है कि काफी इंतजार बाद बच्चों का नंबर आता है। बस पूल में पानी होने से बच्चे यहां बोटिंग का आनंद उठा सकते हैं। मनोरंजन के पर्याप्त साधन न होने से बच्चों को लेकर पहुंचे अभिभावक भी मायूस हैं।

ठगा सा महसूस कर रहे अभिभावक

बच्चों का मन बहलाने के लिए हाथी पार्क एक बड़े प्लेस के रूप में जाना जाता है। क्योंकि यही एक ऐसा पार्क है जहां झूला से लेकर चिडि़या घर और नाश्ता आदि अंदर ही मिल जाते हैं। चिडि़या घर में मौजूद पक्षी कभी बच्चों के मासूम दिल को खूब बहलाती थी। पक्षियों को दाना खिला कर बच्चे खुशी से झूम उठते थे। इधर कुछ वर्षो से यह सब गुजरे जमाने की बात हो गई है। नौ पिंजरों में पक्षियों के नेम प्लेट तो है पर पक्षी नहीं। पिंजरा पूरी तरह से खाली है। केवल दो पिंजरों में गिनती की पक्षियां है। वहीं पार्क पहुंचने के बावजूद बच्चों के उतरे चेहरे को देखकर अभिभावकों का मन भी खट्ठा हो जा रहा।

अभिभावकों का कहना था कि झूले की संख्या इतनी कम है कि बच्चों को काफी देर नंबर लगाने केबाद वक्त लगता है। तब तक इंतजार से ऊब चुके बच्चों का मूड बदल जाता है।

नेम प्लेट बता रही कभी थी चिडि़यां

हाथी पार्क के गेट से प्रवेश कर आगे बढ़ते ही दाहिनी ओर पक्षियों के लिए पिंजरे बनाए गए हैं

पक्षियों के इन पिंजरों के बाहर पक्षियों के नेम प्लेट आज भी लगे हैं जो बता रहे कि कभी यहां पक्षियां हुआ करती थीं

चिडि़या घर के इन पिजरों में कुल 11 कोहटरी है जिसमें नौ पिंजरे पूरी तरह से खाली दिखाई दिए

केवल राजहंश बतख पिंजरे में छह और सिराज कबूतर वाले पिंजरे में चारकबूतर यहां दिखाई दिए

हाथी पार्क के एक पिंजरे में पक्षी की जगह कबाड़ भरे हैं, बाहर की जाली पर एक फटी हुई बोरी लटक रही है

पक्षियों के संरक्षण को लेकर की जा रही जिम्मेदारों द्वारा उपेक्षा पार्क आए बच्चों के साथ अभिभावकों को भी अखर रही है

कभी यहां चहकती थीं ये पक्षियां

पिंजरे पर लगाए नेम प्लेट पर करीब एक दर्जन पक्षियों के नाम लिखे गए हैं। इनमें बजरी बर्ड, काटील बर्ड, लव बर्ड, फैंसी बटर बर्ड, गिदी फाल बर्ड, रिगनेट पैरेट, गिनपिक चूहा और तरकी मुर्गी शामिल हैं। यह ऐसे नाम व पक्षियां हैं जो पिंजरे में एक भी नहीं दिखाई दी। केवल राजहंश बतख व मकसूबी बतख में चंद पक्षियां फुदकते नजर आई।

बच्चे का इलाज कराने आया था सोचा कि हाथी पार्क घुमा दूं। मगर यहां उसके लायक सिवाय झूले के कुछ भी नहीं है। पक्षियों के पिंजरे की तरफ गया था। मगर खाली पिंजरा देख उसका मन और भी गिर गया। बच्चे के चेहरे को देख कर ऐसा लगा मानों वक्त व पैसा दोनों बर्बाद ही हुआ।

अंसार अहमद, प्रतापगढ़ सिटी

पार्क को संरक्षित करने के लिए डिपार्टमेंट के पास बजट होता है। बिकने वाले टिकट का भी पैसे इनके पास होते हैं। मगर जब कोई इस तरफ ध्यान दे तब तो न। पार्क का पिंजरे खाली हैं। अफसरों को चाहिए कि वे इस पार्क पर ध्यान दें। झूले की संख्या भी बढ़ाई जाय।

विदित शुक्ला, मुट्ठीगंज