- बिल्कुल अंतिम छोर पर बना है एक टॉयलेट, ट्रेनों के आने पर उनमें बने शौचालयों का यात्रीगण करते हैं इस्तेमाल

- दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में प्रयागराज रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर नौ और दस पर मूलभूत सुविधाएं नहीं

PRAYAGRAJ: प्रयागराज रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म नंबर नौ और दस पर मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण पैसेंजर परेशान हैं। इन दोनों प्लेटफार्म पर पर्याप्त टॉयलेट की व्यवस्था नहीं है। जबकि इस प्लेटफार्म पर आधा दर्जन से अधिक ट्रेनें रोज गुजरती हैं। यहां आने वाले यात्रियों को टॉयलेट के लिए दूसरे प्लेटफार्म या फिर किसी ट्रेन के आने का इंतजार करना पड़ता है। ट्रेन के रूकने पर उसमें बने शौचालय का प्रयोग करते हैं। इन दोनों प्लेटफार्म पर एक टॉयलेट अंतिम छोर बना है। वह भी बदहाल है।

इधर, बने टॉयलेट में न कुंडी है न ही दरवाजा बंद होता है। जब तक टॉयलेट के बाहर एक आदमी न खड़ा हो महिला इसका इस्तेमाल नहीं कर सकती। यह सब दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में सामने आया है।

ट्रेन का मूवमेंट है सबसे ज्यादा

दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट द्वारा सोमवार को प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर बने टॉयलेट का रियलिटी चेक किया गया। सभी प्लेटफार्म पर टॉयलेट की व्यवस्था ठीक-ठाक ही मिली। लेकिन वहीं दो प्लेटफार्म ऐसे मिले। जहां रिपोर्टर को खुद ही टॉयलेट ढूंढने में 20 मिनट लग गया। प्लेटफार्म पर मौजूद ज्यादातर पैसेंजर व लोगों को टॉयलेट के बारे में नहीं मालूम था। काफी देर बाद एक कुली ने बताया कि प्लेटफार्म के अंतिम छोर पर एक टॉयलेट बना है। पहुंचने पर वह बदहाल मिला। जेंट्स टॉयलेट में सिर्फ कहने को दीवार था। बाकि कुछ नहीं बना था। वहीं एक लेडीज टॉयलेट के बाहर के जेंट्स खड़ा मिला। जब उससे बात की तो पता चला उसकी पत्‍‌नी अंदर गई है। क्योंकि अंदर से दरवाजा बंद नहीं होता है। पानी तक की व्यवस्था नहीं है। जानकारी लेने पर रिपोर्टर को पैसेंजर ने बताया काफी देर ढूंढने के बाद टॉयलेट का पता चला है।

टॉयलेट के बारे में कई लोगों से पूछा लेकिन सबका यह ही जवाब था। पता नहीं है। काफी देर ढूंढने के बाद एक खाने-पीने का सामान बेचने वाले ने बताया कि बिल्कुल अंतिम छोर पर बना है। पूरा प्लेटफार्म खत्म हो गया। तब जाकर टॉयलेट आया। कुंडी नहीं बंद होने पर पति को बुलाना पड़ा।

रूखसाना लेडीज पैसेंजर

नौ-दस प्लेटफार्म पर टॉयलेट ढूंढने पर नहीं मिला तो ट्रेन आने पर की। लोगों ने कहा बस रुक जाएं ट्रेन आने वाली है। ऐसी टॉयलेट की व्यवस्था कहीं नहीं दिखा है। जेंट्स का तो फिर भी चल जाता है। लेकिन लेडीज कहां जाये। उम्र भी इतना हो गया है कि एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर जाना संभव नहीं है।

पार्वती देवी

यह ही दो ऐसे प्लेटफार्म हैैं। जहां टॉयलेट की ठीक व्यवस्था नहीं है। जबकि आधा दर्जन से अधिक ट्रेन रोज गुजरती हैं। एक टॉयलेट प्लेटफार्म के अंतिम छोर पर बना है। वहां जाने लायक नहीं है। न ही पानी आता है और न ही कुंडी बंद होती है। यह आलम तो है प्लेटफार्म का।

अनिल सिंह, कुली

पति ने फोन कर बताया कि टॉयलेट का दरवाजा बंद नहीं हो रहा है। आप आ जाए। बाहर आकर खड़ा हूं, ताकि वह टॉयलेट जा सकें। जेंट्स के बारे में सरकार न सोचे कम से कम लेडीज के बारे में विचार जरूर करें। हर जगह लेडीज नहीं जा सकती है। जिस किसी भी व्यक्ति से पूछो तो अगले स्टेशन पर जाने का सलाहा देते है।

, आमिर अली, पैसेंजर

यहां रोज गुजरती है रोज ट्रेन

तुलसी एक्सप्रेस

कामायनी

चौरी-चौरा एक्सप्रेस

काशी

गोदान

त्रिवेणी

सारनाथ

लोकमान्य तिलक