प्रयागराज ब्यूरो । निरंजन पुल बंद हो जाने से लोग हद से ज्यादा परेशान हो चुके हैं। जहां सिविल लाइंस से दस मिनट में जानसेन पहुंचा जा सकता था वहीं अब डेढ़ घंटा लग जाना ही है। फिर चाहे हाईकोर्ट होकर जाएं या फिर मेडिकल चौराहा होकर। समस्या की शिकायत लगातार रेलवे अफसरों तक पहुंच रही है। ऐसे में मुमकिन है निरंजन पुल को तय समय पर खोल दिया जाएगा। सात अगस्त को निरंजन पुल खोल दिया जाना है। रेलवे के महाप्रबंधक ने आज वहां हो रहे कामों का निरीक्षण किया। महाप्रबंधक ने मातहत अफसरों से कहा कि पुल का सौंदर्यीकरण भी होना चाहिए। आसपास के क्षेत्र भी विकसित किया जाना चाहिए।
पुल के अंदर होगी लाइटिंग
महाप्रबंधक सतीश कुमार ने पुल का निरीक्षण करते हुए कई बिंदुओं पर सवाल किया। पुल की लंबाई बढ़ाई गई है। इस पर महाप्रबंधक ने पुल के अंदर प्रकाश की व्यवस्था को लेकर सवाल किया। अफसरों ने उन्हें पुल के अंदर की जाने वाली लाइटिंग की जानकारी दी। महाप्रबंधक सतीश कुमार ने रेलवे के अफसरों से कहा कि पुल का सौंदर्यीकरण हो और आसपास भी सौंदर्यीकरण कराया जाए। रेलवे अपनी जमीन पर और स्थानीय प्रशासन अपनी जगह को सुंदर बनाएं। इसके बाद लिए रेल अफसरों को प्रशासन के अफसरों से बात करने का निर्देश दिया।
सू्रबेदारगंज रेल फ्लाई ओवर देखा
महाप्रबंधक सतीश कुमार निरंजन पुल के निरीक्षण के बाद सूबेदारगंज पहुंचे। वहां महाप्रबंधक ने रेल फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य देखा। महाप्रबंधक नेेेेेेेेेेेे पुल के निर्माण में किसी प्रकार की लापरवाही न होने के लिए ताकीद किया। तकनीकि जानकारी ली। निरीक्षण में मंजुल माथुर, अपर मंडल रेल प्रबंधक नवीन प्रकाश और अन्य अफसर मौजूद रहे।
बहुत हो रही दिक्कत
रेलवे ने निरंजन पुल की लंबाई बढ़ाने के लिए सौ दिन का ब्लॉक लिया था। नतीजा निरंजन पुल पर काम शुरू हो गया और आवागमन बंद कर दिया गया। इसके बाद लोगों को पुराने शहर में जाने के लिए मेडिकल चौराहा जाना पड़ रहा है या फिर हाईकोर्ट के सामने रेल फ्लाई ओवर का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। ऐसे में दस मिनट की दूरी डेढ़ घंटा में तब्दील हो गई है।
सिविल लाइंस और चौक का है कारोबारी रिश्ता
सिविल लाइंस फुटकर बाजार है। और चौक मंडी। सिविल लाइंस में बिकने वाले तमाम सामान की खरीद फरोख्त चौक से होती है। ऐसे में अब सिविल लाइंस के कारोबारियों को ज्यादा समय खर्च करना पड़ता है। जाम ने सारा सिस्टम ध्वस्त कर दिया है।
ज्यादा दिक्कत स्कूली बच्चों को कारोबार तो प्रभावित है ही स्कूली बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। पुराने शहर से सिविल लाइंस में पढऩे वाल बच्चों को स्कूल पहुंचने में पापड़ बेल देना पड़ रहा है। हालात बद से बदतर हैं।