प्रयागराज (ब्‍यूरो)। बारिश के सीजन में जर्जर भवनों के अंदर रहने वाले लोग खुद के साथ पूरे परिवार की सुरक्षा ताक पर रख दिए हैं। ऐसे भवनों व उनके बारजा आदि के गिरने से हो चुके कई हादसों के बावजूद लोग वहां रहने से बाज नहीं आ रहे। जबकि चिन्हित किए गए अति संवेदनशील यानी जर्जर करीब 90 भवनों में रह रहे परिवारों को नगर निगम पूर्व में ही नोटिस दे रखा है। नोटिस के बावजूद मौत के इस घर से उन परिवारों का मोह नहीं छुट रहा। यह स्थिति कभी भी शहर में कभी भी मौत और मातम का मंजर पैदा कर सकती है। समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, और लोग खुद की सुरक्षा को लेकर सतर्क नहीं हुए तो हालात किसी भी समय दहलाने वाले हो सकते हैं।


300 से भी अधिक पुराने शहर में हैं जर्जर भवन
100 के करीब भवनों की स्थिति है बेहद जर्जर
90 भवनों में रहने वालों को जारी है नोटिस

हादसे के बाद तैयार हुई यह लिस्ट
पिछले वर्षों में बारिश के दिनों में ही हुए हादसे के बाद नगर निगम द्वारा जर्जर भवनों का सर्वे कराया गया था। नगर निगम के जनकार विभाग से प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो तैयार की गई लिस्ट में करीब 300 जर्जर भवन शामिल थे। इनमें सर्वाधिक ऐसे मकानों की संख्या पुराने शहर में पाई गई थी। इनमें भी लगभग 100 मकानों को अति जर्जर करार दिया गया था। इन्हीं सौ मकानों में से तकरीबन 90 भवनों में रहने वाले परिवारों को नगर नोटिस दी गई थी। नोटिस जारी करने के बाद यह देखने की जहमत नहीं उठाई गई कि लोग वहां सुरक्षा के क्या प्रबंध किए? वह भवनों को दुरुस्त कराए या खाली करके सुरक्षित जगह चले गए। इस बात की जानकारी नगर निगम को भी नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक इन भवनों में एक हजार से भी अधिक परिवारों के रहने की बात बताई जाती है। यदि ऐसा है तो कहा जा सकता है कि शहर के एक हजार परिवारों पर मौत का खतरा मंडरा रहा है।

इस लिए नहीं छूट रहा है मोह?
जर्जर मकान काफी पुराने और जर्जर व खतरनाक होने के बावजूद उसमें रहने वालों का मोह वहां से क्यों छूट रहा? इस वाल के जवाब में कुछ जानकार लोग अगूढ़ बातें बताते हैं। वह कहते हैं कि ऐसा इस लिए है क्योंकि ऐसे मकानों में ज्यादातर लोग या तो कब्जा करके फ्री में रहते आ रहे हैं, या फिर नाम मात्र 100 और 200 एवं 300 जैसे नाम मात्र किराए पर रहते हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कोर्ट में केस दायर कर रखे हैं।

केस-1 बारिश में 230/258 दायरा शाह अजमल में करीब सौ वर्ष पुराने मकान की छत भरभराकर गिर गई। गनीमत यह रही की इस मकान में उस वक्त कोई मौजूद नहीं था। वर्ना बड़ा हादसा होने से कोई रोक नहीं सकता था। इस घटना में जन हानि तो नहीं हुई, पर मलबे में दबने से मो। अस्करी की पूरी गृहस्थी बर्बाद हो गई थी। घटना के वक्त वह खुद ड्यूटी गए हुए थे, जबकि उनकी पत्नी कानपुर में थीं।

केस-2 पांच सितंबर 2022 को शहर के मुट्ठीगंज में हटिया चौराहे पर जर्जर मकान का बारजा गिर गया था। इस हादसे में मलबे के नीचे दबने से पांच लोगों की मौत हो गई थी। चौराहे के ठीक पास एक अखाड़ा का पुराना ठाकुरद्वारा ट्रस्ट है। मंदिर के बगल एक जर्जर मकान था। इसी मकान में कुछ लोग जनरल स्टोर, चाय, पान व नाश्ते की दुकान खोल रहे थे। बारजा उस वक्ता गिरा था जब कुछ लोग दुकान पर चाय व नाश्ता कररहे थे। घायल हुए कुछ लोगों कई दिनों तक इलाज के बाद ठीक हुए थे।

केस-3 शाहगंज इलेक्ट्रानिक मार्केट के सामने वाली गली में 19 नवंबर 2022 को निर्माणाधीन मकान के बगल जर्जर भवन का बाजरजा गिर गया था। मलबे में दबने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी। निर्माणाधीन मकान अवनीश सिंह का था। वह ठेकेदार संजय गुप्ता को निर्माण के लिए ठेका दे रखे थे। अवनीश के पड़ोसी सौरभ सिंह के जर्जर मकान का अगला हिस्सा अचानक गिर गया था। इतना ही नहीं, 15 नवंबर को बहारुदगंज में जर्जर मकान के अचानक गिरने से मवेशी की मौत हो गई थी।

ऐसे भवनों में रहने वालों को सुरक्षा के लिहाज से नोटिस दी जा चुकी है। नगर निगम किसी को मकान से निकाल तो सकता नहीं। उन्हें सुरक्षा के लिहाज से समझा ही सकता है। जो किया जा रहा है। उन्हें खुद व परिवार की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
दीपेंद्र यादव, अपर नगर आयुक्त